_*जाने भारत - पाकिस्तान के बीच कितने युद्ध हुए और उनके क्या कारण थ*_ *Shikha Goyal ki Awaaz...* General Knowledge Category:तिथिक्रम विश्व,आधुनिक भारत,सामान्य ज्ञान तथ्य,प्रमुखयुद्ध,इतिहासवर्ष 1947 में ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद भारत से अलग कर पाकिस्तान बनाया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की श्रृंखला को भारत– पाकिस्तान युद्ध का नाम दिया जाता है ।सबसे हिंसक युद्ध 1947-48, 1965, 1971 और 1999 में हुए। जंग की जड़ें हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी और शुरुआत में स्वराज्य रियासतों के स्वभाव में थीं । इसके अलावा, युद्ध के अन्य कई कारणों में सीमा विवाद, कश्मीर समस्या, जल विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर विवाद रहे हैं।भारत– पाकिस्तान युद्धों के कारण और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं–1. भारत – पाकिस्तान युद्ध 1947- 48:कारणः– भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का केंद्र कश्मीर समस्या थी।– वर्ष1947में जब भारत का विभाजन हुआ था, मुस्लिम बहुल कश्मीर के हिन्दू शासकमहाराजा हरि सिंहने स्वतंत्र कश्मीर राज्य का सपना देखा था। हालांकि सितंबर 1947 में जब कश्मीर के पश्चिमी हिस्से में मुसलमानों की हत्या की गई, तब राज्य में विभाजन के दंगे भड़क गए। इसकी वजह से राज्य की जनता ने महाराजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया और खुद के आजाद कश्मीर सरकार की घोषणा कर दी।– इस मौके को अवसर के तौर पर लेते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर में पाकिस्तानी कबायली (tribal) सेनाओं को भेजा जो राज्य की राजधानी श्रीनगर से सिर्फ पंद्रह मील दूर थी ।– इस घुसपैठ से चिंतित होकर महाराजा ने भारत से सहायता मांगी। हालांकि, भारत ने उन्हें भारत में विलय करने के संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहा। महाराजा हरि सिंह ने उस पर हस्ताक्षर किए और नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ कश्मीर के नेता शेख अब्दुल्ला ने इस पर अनुमति दी, भारत ने जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय को स्वीकारा । आखिरकार, भारत ने कश्मीर में अपनी सेना भेजी जबकि पाकिस्तान ने आजाद कश्मीर आंदोलन की सहायता के लिए सैन्य सहायता को भेजा।प्रभावः– भारत– पाकिस्तान युद्ध गतिरोध के साथ समाप्त हुआ क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पाकिस्तान को जम्मू और कश्मीर से अपनी अनियमित सेना को वापस बुलाने हेतु कोशिश करने और उसे मजबूर करने के लिए नव निर्मित संयुक्त राष्ट्र संगठन के माध्यम से राजनयिक साधनों का उपयोग कर आदर्शवादी मार्ग अपनाया। यूएनएससी प्रस्ताव 39 और 47 भारत के पक्ष में नहीं थे और पाकिस्तान ने इन प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था।– इसलिए, पाकिस्तान के नियंत्रण में भारत में जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा है जिसे"पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके)"कहते हैं और पाकिस्तान में भारतीय कश्मीर को"भारत अधिकृत कश्मीर"कहा जाता है।यह समस्या दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दे में से एक रही है।2. 1965 का भारत– पाकिस्तान युद्धः1965 का भारत– पाकिस्तान युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच कई विवादों की वजह से हुआ था ।कारणः– भारत के विभाजन मेंनदी जल बंटवारेको लेकर भी विवाद हुआ था । लगभग सभी नदियों – सिंधु, चिनाब, सतलुज, ब्यास और रावीका पानी भारत से होकर गुजरता है। वर्ष1948में भारत ने इन नदियों के पानी को बंद कर दिया था।– वर्ष1960में नेहरू और अयूब खान के बीच हुए सिंधु जल संधि द्वारा इस विवाद का अंत हुआ। इसके बाद पाकिस्तान झेलम,चेनाब और सिंधु नदी का पानी इस्तेमाल कर सकता था जबकि भारत सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का।....... Majmoon Jari hai. ... *http://Inquilab.waqtkiawaz.in*
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Wednesday, 30 November 2016
भारत ओर पाकीस्तान के जंग की माहेती
Sunday, 27 November 2016
यहुदी का पोर्पगंदा मुसलीम के वीरोध
Date 27/11/2016
बहुत पहले यहूदियों ने पूरी दुनिया के मुसलमानो का सर्वे किया के किस किस तरह के मुस्लिम हैं और उन्हें किस तरह बर्बाद करना है,,
सर्वे के बाद उन्होंने 250 पेज की रिपोर्ट बनाई जिसमे उन्होंने मुसलमानो को 4 कैटगरी में रखा,,
1-"Fundamentalist" ( कट्टरपंथी )
परिभाषा:- ये वो लोग होते हैं जो इस्लाम और क़ुरआन हदीस को हर क़दम पर रहनुमा मानते हैं।सिर्फ इस्लाम ही का सामाजिक(Social) , आर्थिक(economical)
राजनीतिक(Political)व्यवस्था दुनिया में नाफ़िज़ करना चाहते हैं। ये लोग सोचने समझने वाले होते हैं,,ये लोग हमारे (यहूदियों के) सबसे बड़े दुश्मन हैं,,
( इनका इलाज ):- इनपर जितना होसके दबाव डाला जाए, बदनाम किया जाये, इलज़ाम लगाया जाये, ताकि ये लोग अपना मक़सद भूल जाएं,,
2-"Traditionalists" ( परंपरावादी )
परिभाषा:- ये लोग रिवायती होते हैं,,,सोचने समझने का काम नहीं करते, दुनिया में क्या हो रहा है इन्हें उससे कोई मतलब नहीं,, बस जो बाप दादा करते हुए आये हैं वो ही करते हैं,,
इनकी तादाद बहुत ज़्यादा है,, इन्हें अल्लाह का कानून नाफ़िज़ नहीं करना ये लोग बस इबादत में मगन रहते हैं,,इसलिए हमें ( यहूदियो को) इनसे कोई ख़तरा नहीं।
( इनका इलाज ):- ये जिस चीज़ में मगन हैं इन्हें उसी चीज़ में आपस में लड़वा दो फिरके के नाम पर, इनकी ताक़त ख़त्म होजाएगी।
3:- "Modernists"( आधुनिकतावादि )
परिभाषा:- ये वो लोग हैं जो अपनी दुनिया बनाने में लगे रहते हैं,,इन लोगो को अपने career, future, study , buisness के अलावा किसी से मतलब नहीं। सिर्फ एक रिवायत के तौर पर इस्लाम को जानते मानते हैं,,ये लोग हमारे काम के हैं,,
( इनका इलाज ):- इनके लिए career, buisness इतना मुश्किल कर दिया जाये की ये लोग उसी में उलझ कर रह जाएं।
और students को इस तरह पढ़ाया जाये की उसे उसका मज़हब एक पुराने लोगो की चीज़ नज़र आये और हमारी (यहूदियों की) मॉडर्न शिक्षा उसे अच्छी लगने लगे,,,
4:- "Secularism"( धर्मनिरपेक्षतावादि )
परिभाषा:- ये लोग बिलकुल हमारे ( यहूदियो) जैसे होते हैं,,ये इस्लाम की विपरीत (opposite) ही बोलते हैं,,इन्हें अपने धर्म से कोई मुहब्बत कोई लगाव नहीं होता,,ये लोग हमारे बहुत काम के हैं,,
( इनका इलाज ):- इन्हें कैसे भी करके अपने साथ लेकर चलना है चाहे वो उन्हें उसका तरीका लालच हो या दबाव,इनके साथ रहने से बाकी धर्म के लोग इस्लाम के खिलाफ होने शुरू हो जाएंगे।
Note:- कैटेगरी नम्बर . 1 को किसी भी कैटेगरी से मिलने न दिया जाये वरना पूरी यहूदी क़ौम को ख़तरा होगा,,और लोगो को इस्लाम की अच्छाइयां नज़र आने लगेगी और हमारी दुनिया पे हुकूमत करने वाली चाल नाकाम होजाएगी॥
मुझे यक़ीन है कि आप अपनी कैटेगरी पहचान गए होंगे,,
और मुझे ये भी यकीन है कि आप इस साज़िश को नाकाम करने में हमारा साथ देंगे॥
Aamir Khan Lucknow
दील्लीमे राम लीला मेदान मे मुसलीम दलीत परदर्सन
Date 27-11-2016
बहुत पहले यहूदियों ने पूरी दुनिया के मुसलमानो का सर्वे किया के किस किस तरह के मुस्लिम हैं और उन्हें किस तरह बर्बाद करना है,,
सर्वे के बाद उन्होंने 250 पेज की रिपोर्ट बनाई जिसमे उन्होंने मुसलमानो को 4 कैटगरी में रखा,,
1-"Fundamentalist" ( कट्टरपंथी )
परिभाषा:- ये वो लोग होते हैं जो इस्लाम और क़ुरआन हदीस को हर क़दम पर रहनुमा मानते हैं।सिर्फ इस्लाम ही का सामाजिक(Social) , आर्थिक(economical)
राजनीतिक(Political)व्यवस्था दुनिया में नाफ़िज़ करना चाहते हैं। ये लोग सोचने समझने वाले होते हैं,,ये लोग हमारे (यहूदियों के) सबसे बड़े दुश्मन हैं,,
( इनका इलाज ):- इनपर जितना होसके दबाव डाला जाए, बदनाम किया जाये, इलज़ाम लगाया जाये, ताकि ये लोग अपना मक़सद भूल जाएं,,
2-"Traditionalists" ( परंपरावादी )
परिभाषा:- ये लोग रिवायती होते हैं,,,सोचने समझने का काम नहीं करते, दुनिया में क्या हो रहा है इन्हें उससे कोई मतलब नहीं,, बस जो बाप दादा करते हुए आये हैं वो ही करते हैं,,
इनकी तादाद बहुत ज़्यादा है,, इन्हें अल्लाह का कानून नाफ़िज़ नहीं करना ये लोग बस इबादत में मगन रहते हैं,,इसलिए हमें ( यहूदियो को) इनसे कोई ख़तरा नहीं।
( इनका इलाज ):- ये जिस चीज़ में मगन हैं इन्हें उसी चीज़ में आपस में लड़वा दो फिरके के नाम पर, इनकी ताक़त ख़त्म होजाएगी।
3:- "Modernists"( आधुनिकतावादि )
परिभाषा:- ये वो लोग हैं जो अपनी दुनिया बनाने में लगे रहते हैं,,इन लोगो को अपने career, future, study , buisness के अलावा किसी से मतलब नहीं। सिर्फ एक रिवायत के तौर पर इस्लाम को जानते मानते हैं,,ये लोग हमारे काम के हैं,,
( इनका इलाज ):- इनके लिए career, buisness इतना मुश्किल कर दिया जाये की ये लोग उसी में उलझ कर रह जाएं।
और students को इस तरह पढ़ाया जाये की उसे उसका मज़हब एक पुराने लोगो की चीज़ नज़र आये और हमारी (यहूदियों की) मॉडर्न शिक्षा उसे अच्छी लगने लगे,,,
4:- "Secularism"( धर्मनिरपेक्षतावादि )
परिभाषा:- ये लोग बिलकुल हमारे ( यहूदियो) जैसे होते हैं,,ये इस्लाम की विपरीत (opposite) ही बोलते हैं,,इन्हें अपने धर्म से कोई मुहब्बत कोई लगाव नहीं होता,,ये लोग हमारे बहुत काम के हैं,,
( इनका इलाज ):- इन्हें कैसे भी करके अपने साथ लेकर चलना है चाहे वो उन्हें उसका तरीका लालच हो या दबाव,इनके साथ रहने से बाकी धर्म के लोग इस्लाम के खिलाफ होने शुरू हो जाएंगे।
Note:- कैटेगरी नम्बर . 1 को किसी भी कैटेगरी से मिलने न दिया जाये वरना पूरी यहूदी क़ौम को ख़तरा होगा,,और लोगो को इस्लाम की अच्छाइयां नज़र आने लगेगी और हमारी दुनिया पे हुकूमत करने वाली चाल नाकाम होजाएगी॥
मुझे यक़ीन है कि आप अपनी कैटेगरी पहचान गए होंगे,,
और मुझे ये भी यकीन है कि आप इस साज़िश को नाकाम करने में हमारा साथ देंगे॥
Aamir Khan Lucknow
मुहमद गजनवी की सच्ची कहानी पार्त१
चौंका देने वाला खुलासा। ज़रूर पढ़ें
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गुजरात का सोमनाथ आज फिर दलितों के अत्याचार पर अपने हक़ीक़ी मोहसिन को पुकार रहा है।
.... महमूद गजनवी का ज़हूर एक ऐसे समुद्री तूफ़ान की तरह था जो अपनी राह में मौजूद हर मौज को अपनी आगोश में ले लेती है, वह ऐसा फातेह था जिसकी तलवार की आवाज़ कभी तुर्किस्तान से आती तो कभी हिंदुस्तान से आती, उसके कभी न् थकने वा
ले घोड़े कभी सिंध का पानी पी रहे होते तो कुछ ही लम्हो बाद गांगा की मौजों से अटखेलियां करते । वह उन मुसाफिरों में से था जिसने अपनी मंजिल तै नही की थी, और हर मंजिल से आगे गुजर जाता रहा...
उसे फ़तेह का नशा था, जीतना उसकी आदत थी, वैसे तो वह इसी आदत की वजह से अपने परचम को खानाबदोश की तरह लिए फिरता रहा और जीतता गया, पर अल्लाह रब्बुल इज्जत ने उसे एक अज़ीम काम के लिए चुना था ..
और अल्लाह अपना काम ले कर रहता है।।
...... भारत का पुराना इतिहास खगालने पर यहाँ का सामाजिक ताना बाना पता लगता है, वेस्ट एशिया से एक फ़तेह कौम का भारत पर वर्चस्व हुआ, तो उन्होंने अपनी रिहायश के लिए, हरे भरे मैदान चुने और हारे हुए मूल निवासियों को जंगल दर्रों और खुश्क बंजर ज़मीनों पर बसने के लिए विवश किया गया, चूँकि मूल भारतियों की तुलना में आर्य कम थे इसलिए उन्होंने सोशल इंजीनियरींग का ज़बरदस्त कमाल् दिखाते हुए, मूल भारतियों को काम के हिसाब से वर्गों में और जातियों में बाँट दिया, और इस व्यवस्था को धर्म बता कर हमेशा के लिए इंसानो को गुलामी की न् दिखने वाली जंजीरों में जकड़ लिया । ब्राह्मणों ( आर्य) के देवता की नज़र में मूल भारतीय एक शूद्र, अछूत, और पिछले जन्म का पाप भोगने वाले लोगों का समूह बन गया, ब्राह्मणों के धर्म रूपी व्यवस्था की हिफाज़त के लिए एक समूह को क्षत्रिय कहा गया, वह क्षत्रिय, ब्राह्मणों के आदेश को देवता का हुक्म मानते और इस तरह सदियों-सदियों से लेकर आज तक वह ब्राह्मणवादी व्यवस्था से शूद्र बाहर नही निकल सके
....
महमूद गजनवी को राजा नन्दपाल की मौत की खबर मिल चुकी, अब ग़ज़नवी की फौज नन्दना के किले को फ़तेह करने के लिए बेताब थी, इधर तिर्लोचन पाल को राज़ा घोसित करके गद्दी सौंप दी गयी, त्रिलोचन पाल को जब ग़ज़नवी की फौजों की पेश कदमी की खबर मिली तो उसने किले की हिफाज़त अपने बेटे भीम पाल को सौंप दी, भीम पाल की फ़ौज गज़नबी के आगे एक दिन भी न ठहर सकी, उधर कश्मीर में तिरलोचन ने झेलम के शुमाल में एक फ़ौज को मुनज्जम किया जो एक सिकश्त खोरदा लश्कर साबित हुई।।
रणवीर एक राजपूत सरदार का बेटा था जो भीम सिंह से साथ नन्दना के किले पर अपनी टुकड़ी की क़यादत कर रहा था, रणवीर बहुत बहादुरी से लड़ा और यहाँ तक कि उसके जौहर देख कर गज़नबी मुतास्सिर हुए बिना न् रह सका, वह तब तक अकेला ग़ज़नवी के लश्कर को रोके रहा जब तक उसके पैरों में खड़े रहने की ताकत थी, उसके बाद ज़मीन पर गिर कर बेहोश हो गया, आँखे खोली तो गज़नबी के तबीब उसकी मरहम पट्टी कर रहे थे, रणवीर ने गज़नबी के मुताल्लिक बड़ा डरावनी और वहशत की कहानियां सुनी थीं, लेकिन यह जो हुस्ने सुलूक उसके साथ हो रहा था, उसने कभी किसी हिन्दू राज़ा को युद्ध बंदियों के साथ करते नही देखा । उसे लगा कि शायद धर्म परिवर्तन करने के लिए बोला जायेगा, तब तक अच्छा सुलूक होगा, मना करने पर यह मुस्लिम फ़ौज उसे
अज़ीयत देगी, उसने इस आदशे का इज़हार महमूद से कर ही दिया, कि अगर तुम क़त्ल करना चाहते हो तो शौक से करो पर मै धर्म नही बदलूंगा, उसके जवाब में ग़ज़नवी के होंठों पर बस एक शांत मुस्कराहट थी, गज़नबी चला गया, रणवीर के जखम तेज़ी से भर रहे थे, वह नन्दना के किले का कैदी था पर न् उसे बेड़ियां पहनाई गयी और न् ही किसी कोठरी में बंद किया गया। कुछ वक़्त गुजरने के साथ ही कैदियों की एक टुकड़ी को रिहा किया गया जिसमें रणबीर भी था, रिहाई की शर्त बस एक हदफ़ था कि वह अब कभी गज़नबी के मद्दे मुकाबिल नही आएंगे, यह तिर्लोचन पाल के सैनिकों के लिए चमत्कार या हैरान कुन बात थी, उन्हें यक़ीन करना मुश्किल था, खैर रणवीर जब अपने घर पहुंचा तो उसे उम्मीद थी कि उसकी इकलौती बहन सरला देवी उसका इस्तकबाल करेगी और भाई की आमद पर फुले नही समाएगी, पर घर पर दस्तक देने बाद भी जब दरवाज़ा नही खुला तो उसे अहसास हुआ कि दरवाज़ा बाहर से बंद है , उसे लगा बहन यहीं पड़ोस में होगी, वह पड़ोस के चाचा के घर गया तो उसने जो सुना उसे सुन कर वह वहशीपन की हद तक गमो गुस्से से भर गया, उसकी बहन को मंदिर के महाजन के साथ कुछ फ़ौजी उठा कर ले गए, चाचा बड़े फ़ख्र से बता रहा था कि, रणवीर खुश किस्मत हो जो तुम्हारी बहन को महादेव की सेवा करने का मौका मिला है, लेकिन यह लफ्ज़ रणवीर को मुतास्सिर न् कर सके, रणबीर चिल्लाया कि किसके आदेश से उठाया, चाचा बोले, पुरोहित बता रहा था कि सोमनाथ से आदेश आया है कि हर गाँव से तीन लड़कियां देव दासी के तौर पर सेवा करने जाएंगी, हमारे गाँव से भी सरला के साथ दो और लड़कियां ले जाई गयी हैं। रणवीर खुद को असहाय महसूस कर रहा था, कहीं से उम्मीद नज़र नही आ रही थी, ज़हनी कैफियत यह थी कि गमो गुस्से से पागल हो गया था, वह सोच रहा कि वह एक ऐसे राज़ा और उसका राज़ बचाने के लिए जान हथेली पर लिए फिर रहा था, और जब वह जंग में था तो उसी राज़ा के सिपाही उसकी बहन को प्रोहित के आदेश पर उठा ले गए, उसने सोचा कि राज़ा से फ़रयाद करेगा, अपनी वफादारी का हवाला देगा, नही तो एहतिजाज करेगा,,,चाचा से उसने अपने जज़्बात का इजहार किया, चाचा ने उसे समझाया कि अगर ऐसा किया तो धर्म विरोधी समझे जाओगे और इसका अंजाम मौत है। उसे एक ही सूरत नज़र आ रही थी कि वह अपने दुश्मन ग़ज़नवी से अपनी बहन की इज़्ज़त की गुहार लगायेगा। लेकिन फिर सोचने लगता कि ग़ज़नवी क्यू उसके लिए जंग करेगा, उसे उसकी बहन की इज़्ज़त से क्या उज्र, वह एक विदेशी है और उसका धर्म भी अलग है,, लेकिन रणवीर की अंतरात्मा से आवाज़ आती कि उसने तुझे अमान दी थी, वह आबरू की हिफाज़त करेगा और बहन के लिए न् सही पर एक औरत की अस्मिता पर सब कुछ दाव पर लगा देगा, क्यू कि वह एक मुसलमान है।।
रणवीर घोड़े पर सवार हो उल्टा सरपट दौड़ गया.....इधर सोमनाथ में सालाना इज़लास चल रहा था, इस सालाना इज़लास में सारे राज़ा और अधिकारी गुजरात के सोमनाथ में जमा होते, जो लड़कियां देवदासी के तौर पर लायी जातीं उनकी पहले से ट्रेनिंग दी जाती, जो लड़की पहले नम्बर पर आती उस पर सोमनाथ के बड़े भगवान का हक़ माना जाता, बाकी लड़कियां छोटे बड़े साधुओं की खिदमत करने को रहतीं और अपनी बारी का इंतज़ार करतीं, उन सभी लड़कियों को कहा जाता कि साज़ श्रृंगार और नाज़ो अदा सीखें, जिससे भगवान को रिझा सकें। एक दिन ऐसा आता कि जीतने वाली लड़की को कहा जाता कि आज उसे भगवान् ने भोग विलास के लिए बुलाया है, उसके बाद वह लड़की कभी नज़र नही आती, ऐसा माना जाता कि महादेव उस लड़की को अपने साथ ले गए और अब वह उनकी पटरानी बन चुकी है। यह बातें रणवीर को पता थीं, उसकी सोच-सोच कर जिस्मानी ताक़त भी सल हो गयी थी, ताहम उसका
घोडा अपनी रफ़्तार से दौड़ रहा था, ग़ज़नवी से मिल कर उसने अपनी रूदाद बताई, एक गैरत मन्द कौम के बेटे को किसी औरत की आबरू से बड़ी
और क्या चीज़ हो सकती थी, वह हिंदुत्व या सनातन को नही जानता था, उसे पता भी नही था कि यह कोई धर्म भी है, और जब परिचय ही नही था तो द्वेष का तो सवाल ही नही था, हाँ उसके लिए बात सिर्फ इतनी थी कि एक बहादुर सिपाही की मज़लूम तनहा बहन को कुछ लोग उठा ले गए हैं और अब उसका भाई उससे मदद की गुहार लगा रहा है, वह गैरत मन्द सालार अपने दिल ही दिल में अहद कर लिया कि वह एक भाई की बहन को आज़ाद कराने के लिए अपने आखरी सिपाही तक जंग करेगा ,।
ग़ज़नवी जिसके घोड़ो को हर वक़्त जीन पहने रहने की आदत हो चुकी थी, और हर वक़्त दौड़ लगाने के लिए आतुर रहते, वह जानते थे कि सालार की बेशतर जिंदगी आलीशान खेमो और महलों में नही बल्कि घोड़े की पीठ पर गुजरी है, गज़नबी ने फ़ौज को सोमनाथ की तरह कूच का हुक्म दिया । यह अफवाह थी कि सोमनाथ की तरफ देखने वाला जल कर भस्म हो जाता है और गज़नबी की मौत अब निश्चित है, वह मंदिर क्या शहर में घुसने से पहले ही दिव्य शक्ति से तबाह हो जायेगा, अफवाह ही पाखंड का आधार होती है, गज़नबी अब मंदिर परिसर में खड़ा था, बड़े छोटे सब प्रोहित बंधे पड़े थे, राजाओं और उनकी फ़ौज की लाशें पुरे शहर में फैली पड़ीं थीं, और सोमनाथ का बुत टूट कर कुछ पत्थर नुमा टुकड़ों में तब्दील हो गया था,, दरअसल सबसे बड़ी मौत तो पाखंड रूपी डर की हुई थी, कमरों की तलाशी ली जा रही थी जिनमे हज़ारो जवान और नौ उम्र लडकिया बुरी हालत में बंदी पायी गईं, वह लड़कियां जो भगवान के पास चली जाती और कभी नही आती, पूछने पर पता चला कि जब बड़े प्रोहित के शोषण से गर्भवती हो जातीं तो यह ढोंग करके कत्ल कर दी जाती, इस बात को कभी नही खोलतीं क्यू कि धर्म का आडंबर इतना बड़ा था कि यह इलज़ाम लगाने पर हर कोई उन लड़कियों को ही पापी समझता ।
महमूद ने जब अपनी आँखों से यह देखा तो हैरान परेशान, और बे यकीनी हालात देख कर तमतमा उठा, रणवीर जो कि अपनी बहन को पा कर बेहद खुश था, उससे गज़नबी ने पुछा कि क्या देवदासियां सिर्फ यहीं हैं, रणवीर ने बताया कि ऐसा हर प्रांत में एक मंदिर है। उसके बाद गज़नबी जितना दौड़ सकता था दौड़ा , और जुल्म, उनके बुत कदों को ढहाता चला गया, पुरे भारत में न् कोई उसकी रफ़्तार का सानी था और न न्कोई उसके हमले की ताब ला सकता था, सोमनाथ को तोड़ कर अब वह यहाँ के लोगों की नज़र में खुद एक आडंबर बन चूका था, दबे कुचले मज़लूम लोग उसे अवतार मान रहे थे, गज़नबी ने जब यह देखा तो तौहीद की दावत दी, वह जहाँ गया वहां प्रताड़ित समाज स्वेच्छा से मुसलमान हो उसके साथ होता गया, उसकी फ़ौज में आधे के लगभग हिन्दू धर्म के लोग थे जो उसका समर्थन कर रहे थे ।उसकी तलवार ने आडंबर, ज़ुल्म और पाखंड को फ़तेह किया तो उसके किरदार ने दिलों को फ़तेह किया ।वह् अपने जीते हुए इलाके का इक़तिदार मज़लूम कौम के प्रतिनिधि को देता गया और खुद कहीं नही ठहरा । वह जो .... महमूद गज़नबी था।
नोट : उक्त लेख इतिहास की सत्य घटनाओ पर आधारित है, किसी की धार्मिक अथवा किसी भी प्रकार की भावनाओं को ठेस पहुँचाना कदापि मकसद नहीं है, लेख के माध्यम से सच्चाई को उजागर करने का प्रयास है।
http://ucnews.ucweb.com/story/864083491111294?lang=hindi&channel_id=902&app=browser_iflow&uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvpf&ver=11.0.8.855&sver=inapppatch&entry=browser&entry1=shareback
Tuesday, 22 November 2016
अेस दोर मे भारतका मुसलमान काय करे !
Date:22/11/2016
तारक मेहता का उल्ता चसमा टीवी सीरीयल के कलाकर
अब्दुल जैसा नही दिखना चाहते हो तो संघर्ष करो मुस्लिम आरक्षण मोर्चे में शामिल हों ।
आप टीव्ही देखते हो तो सब चैनलपर एक कॉमेडी मालिका है उसको देखे,इस मलिका में बहोत ही सुन्दर कालोनी है जिसमे मराठी,गुजराती,तमिल,बंगाली,कनडा,पारसी,पंजाबी आदि धर्म के लोगो को बताया गया और हां एक कैरेक्टर मुस्लिम का भी है अब्दुल नाम से संबोधित किया गया है इस पात्र को एक किराणे की दूकान है साथ ही उसका काम कालोनी के लोगो के लिए दूध लाना,प्लम्बर बुलवाना,हॉटेल से पार्सल लाना,गाडी का पंचर निकलवाना,उनके बच्चे घुमवाने ले जाना आदि है।अगर तारक मेहता चाहता तो अच्छा कैरेक्टर मुस्लिम का देता न की नोकरवाला,देश का सत्ताधारी मुसलमानो को भी अब्दुल की तरहा देखना चाहता है? इसलिए समाज की अगली पीढ़ी को अब्दुल जैसा न देखना चाहते हो तो संघर्ष करो । और 30 नवम्बर लातूर मुस्लिम आरक्षण मोर्चे में शामिल हों ।
वो लोग अंधे हे जो अपनी समाजकी खराबीया देखने के बावाजुद असको अनदेखा करदेते हे,
वो लोग बेहरे हे जो अपने समाज के आम लोगो की तकलीफो को सुनकर गमगीन नही होते हे,
वो लोग मुंन्गे हे जो अपने समाजके हक्क ओर अधीकार को जानते हे फीरभी चुप हे,
वो लोग अक्कलसे खाली हे जो अपने समाज को बेहतर बनाने के लीये अपनी समजदारी से अपने समाज को बेहतर नही करते हे ,
वो लोग ताकाट से कंमजोर हे जो अपने समाज को देश मे कंमजोर देखते हुये भी अपने आप को ताकटवर साबीत करते हे,
वो लोग अ सीकस्सीट हे जो सीकस्सीट होकर भी अपने समाज को सीकसा नही देता हे ,
वो लोग जागरुत कभी नही केहलायेंगे जो अपने समाज को कंजोर देखते हुये भी उसको जागरुत नही करते हे ,
😇👈 तर्क करो के आप अेक रासते से जारहे हो ओर बीचमे अेक नदी परती हे अगर आप वंहासे गुजरते वक्त ये देखते हो के कोय आदमी दुबरहा हो ओर अगर वो पेहचान वाला नीकले तो काय करोगे ,
आपकी पेहचान
अगर आपको टेरना आता हे फीरभी अाप अपने काम के लीये उस दुबने वाले को बचाने की कोसीस नही करते हो तो आप मे कोय गेयरत नही ,
ओर अगर आप को टेरना नही आता फीरभी आप उस आदमी को बचाने के लीये सोचते हो या कोयभी कोसीस करते हो ,
ये दोनो लायन को जब तक समज नही आये परते रेहना ,
7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓
सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...
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वकील ने उत्तराखंड नागरिक संहिता को हाईकोर्ट में चुनौती दी; कहा प्रावधान मुस्लिम, LGBTQ समुदायों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं। होम-आइ...
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Huzaifa Patel Date : 12 March 2025 अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला: न्याय और पारदर्शिता की परीक्षा । अयोध्या, जो अपनी धार्मिक और सा...
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मुस्लिम शरिफ की हदीश 179 जिल्द ,1 हिंदी और उर्दू मे आपकी खिदमत मे पैश करते हे. SAFTeamguj. 03 Aug 2021 السلام عل...