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Wednesday, 2 November 2016

कुर्आन की हीफजत अल्लाह करते हे

बराये मेहरबानी पुरा पढे........
जब क़ुरान पे पाबंदी लगी 1973 रूस में कम्युनिज्म का तोता बोलता था बल्कि दुनिया तो ये कह रही थी कि बस अब पूरा एशिया सुर्ख हो जाएगा उन दिनों में हमारे एक दोस्त मॉस्को ट्रेनिंग के लिये चले गए वो कहते हें कि जुमे के रोज मैंने दोस्तों से कहा की चलो जुमा अदा करने की तैयारी करते हैं तो उन्होंने कि यहाँ मस्जिदों को गोदाम बना दिया गया है एक दो मस्जिदों को सय्याहों का क़यामगाह बना दिया गया है सिर्फ दो ही मस्जिद इस शहर में बची है जो कभी खुली तो कभी बंद होती है मैंने कहा आप मुझे मस्जिद का पता बता दे मैंं वहीं चला जाता हूँ जुमा अदा करने पता लेकर में मस्जिद तक पहुंचा तो मस्जिद बन्द थी मस्जिद के पड़ोस में ही एक बन्दे के साथ मस्जिद की चाबी थी मैने उन आदमी से कहा कि दरवाज़ा खोल दो मुझे नमाज़ पढ़नी है ।
उसने कहा दरवाज़ा तो मैं खोल दूंगा लेकिन आपको कोई नुकसान पहुंचाया गया तो मैं इसके लिए ज़िम्मेदार नही हूँगा । मैंने कहा देखें जनाब मैं पाकिस्तान में भी मुसलमान था और रूस के मॉस्को मैं भी मुसलमान हूँ पाकिस्तान के कराची में भी में भी नमाज़ अदा करता था और रूस के मॉस्को में भी अदा करूँगा चाहे कुछ भी हो जाये । उसने मस्जिद का दरवाज़ा खोला तो अंदर मस्जिद का माहौल बहुत ख़राब था मैंने जल्दी जल्दी सफ़ाई की और मस्जिद की हालत अच्छी करने की कोशिश करने लगा काम से फ़ारिग़ होने के बाद मैंने बुलंद आवाज़ से अज़ान दी.........
अज़ान की आवाज़ सुनकर बूढ़े मर्द औरत बच्चे जवान सब मस्जिद के दरवाज़े पर जमा हुए कि ये कौन है जिसने मौत को आवाज़ दी .........? लेकिन मस्जिद के अंदर कोई भी नही आया ..... ख़ैर मैंने जुमा तो अदा नही किया क्योंकि अकेला ही था बस ज़ुहर की नमाज़ अदा की और मस्जिद से बाहर चला आया ।
जब में जाने लगा तो लोग मुझे ऐसे देख रहे थे कि में नमाज़ अदा करके बाहर नही निकला बल्कि दुनिया का कोई नया काम मुतार्रिफ़ करवाकर मस्जिद से निकला एक बच्चा मेरे पास आया और कहा कि आप हमारे घर चाय पीने आये उसके लहजे में ख़ुलूस ऐसा था कि में इंकार न कर सका में उनके साथ गया घर में तरह तरह के पकवान बन चुके थे ओर मेरे आने पे सब बहुत ख़ुश दिखायी दे रहे थे मैने खाना खाया चाय पी तो एक बच्चा साथ बेठा हुआ था मेने उससे पूछा आपको कुरआन पाक पढना आता हे बच्चे ने कहा जी बिलकुल कुरआन पाक तो हम सबको आता हैं ।
मैंने जेब से कुरआन का छोटा नुस्ख़ा निकाला और कहा ये पढ़कर सुनाओ मुझे बच्चे ने कुरआन को देखा और मुझे देखा फिर कुरआन को देखा और माँ बाप को देखकर दरवाज़े को देखा फिर मुझे देखा मैंने सोचा उसको कुरआन पढ़ना नही आता लेकिन उसने कहा क्योंकि उसको कुरआन पढ़ना आता हे मेने कहा बेटा ये देखो कुरआन की इस आयत पे ऊँगली या अय्योहललज़ीना आमनु कु अन्फुसकुम व अहलिकुम रखी तो वो फर फर बोलने लगा बिना कुरआन को देखे ही मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा के ये तो कुरआन को बिना देखे ही पढ़ने लगा मेने उसके वालीदेन से कहा हज़रत ये क्या मामला हे ?
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा दरअसल हमारे पास कुरआन पाक मौजूद नही किसी के घर से कुरआन पाक की आयत का टुकड़ा भी मिल जाये तो उस तमाम खानदान को फाँसी की सज़ा दे दी जाती इस वजह से हम लोग कुरआन पाक घरों में नही रखते तो मेने पूछा तो फिर इस बच्चे को कुरआन किसने सिखाया क्योंकि कुरआन पाक तो किसी के पास हे ही नही मेने मज़ीद हैरान होकर कहा इस पर उन्होंने बताया हमारे पास कुरआन के कई हाफिज हे कोई दर्ज़ी कोई दुकानदार कोई सब्ज़िफरोश और कोई किसान हम उनके पास अपने बच्चे भेज देते हे मजदूरी के बहाने वो उनको अलहम्द से लेकर वन्नास तक ज़बानी कुरआन पढ़ाते हे एक वक़्त ऐसा आ जाता हे की वो हाफ़िज़ ए कुरआन बन जाते हे किसी के पास कुरआन का नुस्खा हे नही इसलिये हमारी नई नस्ल को नाज़रा नही आता बल्कि इस वक़्त हमारी गलियों में जितने भी बच्चे दिखाई दे रहें हैं ये सब के सब हाफिज कुरआन हे यही वजह हे जब आपने उस बच्चे के सामने कुरआन रखा तो पढ़ना नही आया नाज़रा करके लेकिन जब आपने आयत सुनाई तो वो फर फर बोलने लगा अगर आप ना रोकते तो ये सारा कुरआन ही पढ़कर सुन देता वो नोजवान कहता हे की मेने कुरआन का एक नही कई हज़ार मोज़ेज़े उस दिन देखे जिस मुआशरे में कुरआन रखने पर पाबंदी लगा दी गई थी उस मुआशरे के हर हर बच्चे बूढे मर्द औरत के सीने में कुरआन हिफ्ज़ होकर रह गया था में जब बाहर निकला तो कई सौ बच्चे देखे और उनसे कुरआन सुनने की फरमाइश की तो सबने कुरआन सुना दी मेने कहा लोगों तुमने कुरआन रखने पे पाबंदी लगा दी लेकिन जो सीने में कुरआन मजीद महफूज़ हे उसपे पाबंदी ना लगा सके तब मुझे अहसास हुआ की अल्लाह पाक के इस इरशाद का क्या मतलब हे इन्ना नहनु नज़्ज़लनज़ ज़िक्रा व इन्ना लहू लहाफ़िज़ून बेशक़ ये ज़िक्र हमने नाज़िल फ़रमाया हे और बेशक़ हम ही इसकी हिफाज़त करने वाले हें ।

अहबाब से  पुरज़ोर अपील हे कि इस तहरीर को दिल खोलकर शेयर करें आपका एक सेकंड लगेगा और लोगों के इल्म में इजाफा होगा इस कारे खेर का सबब आप बनोगे..
Forwarded as its received

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...