Date:22/11/2016
तारक मेहता का उल्ता चसमा टीवी सीरीयल के कलाकर
अब्दुल जैसा नही दिखना चाहते हो तो संघर्ष करो मुस्लिम आरक्षण मोर्चे में शामिल हों ।
आप टीव्ही देखते हो तो सब चैनलपर एक कॉमेडी मालिका है उसको देखे,इस मलिका में बहोत ही सुन्दर कालोनी है जिसमे मराठी,गुजराती,तमिल,बंगाली,कनडा,पारसी,पंजाबी आदि धर्म के लोगो को बताया गया और हां एक कैरेक्टर मुस्लिम का भी है अब्दुल नाम से संबोधित किया गया है इस पात्र को एक किराणे की दूकान है साथ ही उसका काम कालोनी के लोगो के लिए दूध लाना,प्लम्बर बुलवाना,हॉटेल से पार्सल लाना,गाडी का पंचर निकलवाना,उनके बच्चे घुमवाने ले जाना आदि है।अगर तारक मेहता चाहता तो अच्छा कैरेक्टर मुस्लिम का देता न की नोकरवाला,देश का सत्ताधारी मुसलमानो को भी अब्दुल की तरहा देखना चाहता है? इसलिए समाज की अगली पीढ़ी को अब्दुल जैसा न देखना चाहते हो तो संघर्ष करो । और 30 नवम्बर लातूर मुस्लिम आरक्षण मोर्चे में शामिल हों ।
वो लोग अंधे हे जो अपनी समाजकी खराबीया देखने के बावाजुद असको अनदेखा करदेते हे,
वो लोग बेहरे हे जो अपने समाज के आम लोगो की तकलीफो को सुनकर गमगीन नही होते हे,
वो लोग मुंन्गे हे जो अपने समाजके हक्क ओर अधीकार को जानते हे फीरभी चुप हे,
वो लोग अक्कलसे खाली हे जो अपने समाज को बेहतर बनाने के लीये अपनी समजदारी से अपने समाज को बेहतर नही करते हे ,
वो लोग ताकाट से कंमजोर हे जो अपने समाज को देश मे कंमजोर देखते हुये भी अपने आप को ताकटवर साबीत करते हे,
वो लोग अ सीकस्सीट हे जो सीकस्सीट होकर भी अपने समाज को सीकसा नही देता हे ,
वो लोग जागरुत कभी नही केहलायेंगे जो अपने समाज को कंजोर देखते हुये भी उसको जागरुत नही करते हे ,
😇👈 तर्क करो के आप अेक रासते से जारहे हो ओर बीचमे अेक नदी परती हे अगर आप वंहासे गुजरते वक्त ये देखते हो के कोय आदमी दुबरहा हो ओर अगर वो पेहचान वाला नीकले तो काय करोगे ,
आपकी पेहचान
अगर आपको टेरना आता हे फीरभी अाप अपने काम के लीये उस दुबने वाले को बचाने की कोसीस नही करते हो तो आप मे कोय गेयरत नही ,
ओर अगर आप को टेरना नही आता फीरभी आप उस आदमी को बचाने के लीये सोचते हो या कोयभी कोसीस करते हो ,
ये दोनो लायन को जब तक समज नही आये परते रेहना ,