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Tuesday, 4 August 2020

ALMPB Social Media Viral later 4 aug 2020 बाबरी मस्जिद के सिलसिले मे.


Da.05 Jul 2020 
   "बाबरी मस्जिद हमे माफ करना"

      बाबरी मस्जिद तेरी सर जमीन पर बुतपरस्ती की सुरुआत हमारी लीडरशिप की रेहबरी को लेकर ये तारीख  हमेशा हमे याद दिलाती रहेगी हम मजबूर हे सौदागरों ने तेरी अजमत का सौदा किया हे बाबरी मस्जिद हमे माफ करना.

     आज की तारीख़ आने वाली नशलों और आज के डोर मे सोचने और समझने वाले हक परस्त  मुसलमानों को हमेशा बाबरी की एतिहासिक तारीख याद रहेगी.

     हमारी नाकारा, फिरका परस्त ,सुद परस्त और सुस्त , सौदागर सहूलत वाली लीडरशिप पर हमेशा सवाल करने पर मजबूर करेगी.


     बाबरी मस्जिद को लेकर सबसे पेहले जिम्मेदार हमारी धार्मिक लीडरशिप जिम्मेदार हे, उसके बाद हमारी पोलिटिकल लीडरशिप दुसरे नंबर पर जिम्मेदार हे, और इस के बाद हमारी सामाजिक लीडरशिप तिसरे नंबर पर जिम्मेदार हे, फिर अवाम बाबरी मस्जिद की सर जमीन पर बुतपरस्ती को लेकर जिम्मेदार हे.
ओल इन्डिया मुस्लिम प्रसनल लो बोर्ड.

ता. 04 Aug 2020 social media letar 


बाबरी मस्जिद  थी  और हमेशा रहेगी  गास्बाना  क्बजे से हक्कित खतम नही होती .
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला जरुर दिया हे मगर इन्साफ को शर्मसार किया हे.

नई देहली 4 aug 2020 आज जब के बाबरी मस्जिद के मकाम पर एक मंदीर की बुनियाद रखी जा रही हे. ओल इन्डिया मुस्लिम प्रशनल लो बोर्ड अपने डेरीना मौकुफ दोहराना जरुरी समझता हे, शरीयत की रोशनी मे जंहा एक बार मस्जिद काईम हो जाती हे, वो ता कयामत मस्जिद रेहती हे, लिहाजा बाबरी मस्जिद कलभी मस्जिद थी आज मस्जिद हे,और  इन्शाअल्लाह आइंदा मस्जिद ही रहेगी, मस्जिद मे मुर्तीया़ रख देने से पुजा पाथ सुरु कर देने से या एक लंबे अरसे तक नमाज पर रोक लगा देने से मस्जिद की हेसियत खतम नही होती ओल इन्डिया मुस्लिम प्रशनल लो बोर्ड के जनर्ल सेक्रेटरी  हजरत मोलाना मुहमद वली रेहमानी ने अपने एक  प्रेश बयान मे कहा हे के हमारा हमेशा से ये मौकुफ रहा हे के बाबरी मस्जिद कीसी मंदिर हिंदू इबादतगाह को तोर कर नही बनाइ गइ अल्लह दुर्रिल्लाह सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले मे  (नवेंबर 2019)  हमारे इस मौकुफ की तसदीक़  करदी हे सुप्रीम कोर्ट येभी कहा हे के बाबरी मस्जिद के निचे खुदाई मेजो आसार मिले वो 12 मी सदी के कीसी इमारत के थे बाबरी मस्जिद की तामिर से  ૪०० साल कब्ल लिहाजा किसी मंदिर को तोडकर मस्जिद नही बनाइ गइ सुप्रीम कोर्ट ने साफ तोर पर कहा के बाबरी मस्जिद मे 22 दिसम्बर  1949 की रात तक नमाज होती रही हे सुप्रीम कोर्ट का येभी मानना हे 22 दिसम्बर 1949  मे मुर्तियों का रख्खा जाना एक गैर कानूनी गैर दशतुरी अमल था  सुप्रीम कोर्ट येभी मानता हे  के  ६ दिसम्बर 1992  को बाबरी की शहादत एक गैर कानूनी गैर दस्तुरी और मुज़रिमाना फआल था अफसोस इन तमाम वाजेह हकाइद को तसलिम करने के बावजुद कोर्ट एक इंतिहाइ गैर मुंसिकाना फैसला दिया मस्जिद की जमीन उन लोगो के हवाले करदी जिन होने मुजरिमाना तरिका पर उसमे मिर्तियां रखी और उसके सहादत के मुरतकिब हुये. .


बोर्ड के जनर्ल सेक्रेटरी ने आगे कहा चुंके अदालत अजमी मुल्के आला तरीन अदालत हे लिहाजा उसके हतमी फैसले को तसलीम करने के अलावा कोइ चारा नही हे ता हम हम ये जरुर कहेंगे के ये जालिमाना और गैर मुन्सिफाना  फैसला हे जो अक्सरियत जएम मे दिया गया हे सुप्रीम कोर्ट  09 नवेंबर 2019 को फैसला जरुर दिया हे मगर इन्साफ को स्रमशार किया हे. अल्हमदुरिल्लाह हिंदुस्तानी मुसलमाने के नुमाइंदा इसतिमाइ प्लेटफॉर्म  ओ.इ.मु.प.बोर्ड  और दिगर फिरको मे ने भी अदलती लडाई कोइ दकिका नही उथा रख्खा यंहा येभी केहना जरुरी हे के हिंदतो एनासर की पुरी तहरिक जुल्म जहेर दुंस  धांधली कजीब और इफतिराह पर बमनी तेहरिर थी ये सरासर एक सियासी तहरिक थी जिसका मजहब या मजहबी तालिमात से ताअलुक नही था जुठ और जुल्म पर मबनी इमारत कभी बी पाइदार नही होती . . . .

जनर्ल सेक्रेटरी साहाब ने अपने बयान मे आगे कहा के हालत चाहे जितने खराब हो हमे होशला नही हारना चाहिये और अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिये. मुखालिफ हालात मे जिनेका मिजाज बनाना चाहिये हालात हमेशा यकशा नही रेहते अल्लाह ताआला कुरुन मजिद इरशाद फरमाता हे वतिल्कल अय्यामु लिहा नुदाविलु हा बयन्नाश येतो जमाना के नसिब व फराज  हे जिनहे हम लोंगों के दरमियान गरदिश देते रेहते हे. लिहाजा हमे नतो मायुश होना हे ना हालात के आगे सुपुर्ट होना हे हमारे समाने इस्तंबुल की आया सुफिल मस्जिद की मिशाल इस आयत की मुह पर बोलतिो तस्वीर हे  मुसलमानाने हिंद अपिल करता हु वो सुप्रीम कोर्ट के फैसला और मस्जिद की जमीन पर मंदिर की तामिर से हरगिज बी दिल बर्दाश्ता ना हो हमे येभी याद रखना चाहिये तौव्हिद का अलमी मरकज और अल्लाह का घर खानाए काबा भी एक लंबे अरसे तक सिर्को बुत परस्ती का मरकज़ बना रहा बिल आखीर फतहे मक्का के बाद प्यारे नबी स.अ.व. के जरिये वो दौ बारा मरकजे तौहव्हिद बना इन्शाअल्लाह हमे पुरी तव्वकु हे सिर्फ बाबरी मस्जिद ही नही ये पुरा चमन नगए तौव्हिद से माअमुर होगा हमारी जिम्मेदारी एसे नाजुक मोकेपर अपनी गलतियो से तौबाह करे अखलक और किरदार को सवारे घर और समाज दिनदार बनाये अपने होसले के साथ मुखालिफ हालत आगे बडने का फैसला करे.

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...