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Sunday, 24 July 2022
हज पैदल या सवारी से की अहम बहस के बीच कुछ बातें याद दिलाने के लिये, क्यों कि जो कुछ लिखा है यह सब हो चुका है और आप भूल भी चुके होगे .
Thursday, 21 July 2022
"एक अजान के देने मे 22 मुसलमान शहीद" जुलाई 13 jul 1931, शेख अब्दुल्ला के देशविरोधी और विभाजनकारी राजनीतिक उदय का इतिहास, शेख के अलगाववाद में साथी थे अंग्रेज़ और कांग्रेस
Wednesday, 20 July 2022
एक्टिवीस को तीन बातें ध्यान करने वाली.
Tuesday, 19 July 2022
हदीस की किताबे हिंदी PDF
Thursday, 14 July 2022
कैंसर को हराएगी समय पर इलाज और मरीज की बीमारी से लड़ने की इच्छाशक्ति
पांच से 14 वर्ष के बच्चों में मृत्यु का नौवां बड़ा कारण कैंसर है। बच्चों में 10 प्रकार के कैंसर देखने में पाए गए हैं। एक्यूट ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, लिम्कोमा,न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म ट्यूमर, रेटिनोब्लास्टोमा, साफ्ट टिश्यू सरकोमा शामिल है। डाक्टरों का कहना है कि इसमें बच्चों में सबसे अधिक एक्यूट ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) है। इसमें हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना, श्वेत रक्तकण कम होना और कई बार अधिक हो जाना, प्लेटलेट्स कम होना लक्षण है। लेकिन यह होने का मतलब यह भी नहीं है कि यह कैंसर के लक्षण ही है। बच्चों में बेवजह बुखार आना और आलस होना, रक्तस्त्राव, हड्डी में दर्द, गर्दन में दर्द की शिकायत रहना।
चिता चिता समान है
मरीज जितना खुश रहेगा, उसके शरीर में बीमारियों से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक शक्ति ज्यादा पैदा होगी। किसी भी बीमारी से ग्रस्त मरीज को खुश रखा जाए तो उसे दवा से ज्यादा फायदा होगा। कैंसर का मरीज चिता ज्यादा करता है। यही कारण है कि कैंसर का मरीज जल्द बीमारी की जकड़ में आता है। जो मरीज ज्यादा चितित रहता है उसपर दोहरी मार होती है। क्योंकि उसके बीमारी शरीर को खोखला कर रही है और उसका साथ चिता दे रही है।
पहचानें इन लक्षणों को
गर्भाशय कैंसर के अंदर कोशिका की हानिकारक वृद्धि तेजी से होने लगती है। गर्भाशय कैंसर के शुरुआती लक्षणों में पीरियड्स के बीच असामान्य खून बहना, दर्द होता है। हार्मोन असंतुलित होने से अंडाशय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के दो हार्मोन पैदा करते हैं। एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। - कैंसर का समय पर इलाज नहीं होने से इलाज में लगने वाला खर्च बच जाएगा। आज भी ब्रेस्ट कैंसर और गर्भाशय कैंसर का इलाज तब शुरू होता है जब वह बीमारी गंभीर हो चुकी है। यही हाल पुरुषों में है। गले का कैंसर होने के शुरुआती दौर में परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन डाक्टर से जांच नहीं कराई जाती। - सबसे बड़ी परेशानी यह है कि महिला बीमारी की शुरुआत में बोलती नहीं है। वह लंबे समय तक दर्द और बीमारी सहन करती रहती है। यही कारण है कि बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। अगर समय पर जांच हो जाए, तो बीमारी गंभीर नहीं हो पाती है। ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर के लक्षण बहुत शुरुआती दौर में महसूस किए जा सकते हैं। - महंगी जांच भी कैंसर का कारण है। क्योंकि लोग महंगे खर्च के कारण समय पर जांच नहीं करा रहे हैं लेकिन समय पर जांच नहीं कराने से बीमारी गंभीर हो जाती है और इलाज भी अधिक महंगा हो जाता है। इसलिए कैंसर के लक्षणों की समय पर पहचान कर इलाज कराने में देरी ना करें।
लाइफ स्टाइल के कारण कैंसर का खतरा:
बड़े शहरों में बदलती लाइफ स्टाइल भी कैंसर का एक कारण बन रहा है। इसमें खान-पान बड़ा कारण है। आज बहुत बड़े स्तर पर लोग फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। फास्ट फूड से हमारा पेट भर जाता है लेकिन शरीर को पौष्टिक तत्व नहीं मिलते। स्ट्रीट फूड और फास्ट फूड सामग्री में मिलाए जाने वाले केमिकल कार्सिनोजेनिक यानी कैंसर का कारण बन रहे हैं। यही कारण है कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
तला हुआ खाना:
बड़े शहरों में बड़े स्तर पर यह देखा गया है कि अधिकतर युवा तला हुआ बहुत खाते हैं। डाक्टरों का कहना है कि जब हम खाने की सामग्री को बहुत गर्म तेल में तलते हैं और उसमें हेट्रोसाइक्लिक अमीन और ग्लाइसेशन बनता है।
तंबाकू और धूमपान:
आज युवाओं में धूमपान करना एक स्टेटस सिबल बन रहा है लेकिन वह लोग समझ नहीं रहे हैं कि वह अपने को बीमारी के करीब लेकर जा रहे हैं। युवा लड़के और लड़कियां धूमपान करने को स्टेटस सिबल समझ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार देश में 10 फीसदी लड़कियां धूमपान कर रही है और देश का 15 से 35 वर्ष तक के युवा ज्यादा सेवन कर रहे हैं। देश में हर रोज पांच हजार से अधिक बच्चे धूमपान की शुरुआत करते हैं। आज देश में 35 से 40 प्रतिशत लोग किसी ना किसी रूप में धूमपान कर रहे हैं।
गले के कैंसर के लक्षण:
- तंबाकू और गुटखा खाने वालों को मुख का कैंसर हमेशा संभव है। तंबाकू का सेवन बंद कर देना चाहिए।
- गाल, जबड़ा या मसूड़ों से जुड़े हुए छाले होने और जल्द ठीक नहीं होना कैंसर के लक्षण है।
- गाल और जीभ के कैंसर के कारण बोलने में कठिनाई और बदलाव होते है। जब आवाज बदले तो डाक्टर को दिखाएं।
- कैंसर होने पर खाना निगलते समय गले में दिनोंदिन अटकाव महसूस होना कैंसर सूचक मानना चाहिए।
- कोई आशंका हो तो डाक्टर से मिलें।
- डाक्टरी सलाह के अनुसार उचित समय कैंसर के लिए अपनी जांच करा लें।
. मेरा नाम अजय है। डाक्टर साहब मैं धूमपान करता हूं। क्या कैंसर हो सकता है।
- देखिए कैंसर का खतरा पूरा रहेगा लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं कि वह ताउम्र धूमपान करते हैं और उन्हें कैंसर नहीं होता है। वही लोग प्रचार करते हैं कि धूमपान से कैंसर नहीं हुआ। जबकि कैंसरग्रस्त मरीजों को संख्या देखो जो धूमपान के कारण कैंसर ग्रस्त हुए हैं। धूमपान से कैंसर ही नहीं टीबी होने का भी खतरा रहता है। जो धूमपान, तंबाकू और शराब का सेवन करते हैं उन्हें गले का कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। सबसे अधिक खतरा तंबाकू, धूमपान का सेवन करने से रहा है और दूसरा कारण शराब होता है।
. मेरा नाम रामकरण सिंह है। मेरे गले में कई बार दर्द रहता है और दो-तीन दिन बाद स्वयं ठीक हो जाता है। क्या यह कैंसर के लक्षण है?
आपके बताए मुताबिक आपको यह समस्या लंबे समय से है । देखिए यह कैंसर नहीं है लेकिन आपको जांच करा लेनी चाहिए। मुझे लगता है आपको टौंसिल होते हैं और आप ध्यान रखें कि यह क्या खाने से आपको होते हैं और उस सामग्री को खाने से बचें। . मेरा नाम गौतम है। मुंह में छाले होते रहते हैं। क्या यह कैंसर होने के लक्षण है?
- इसके कई कारण हो सकते हैं। आप का कहना है कि आप धूमपान नहीं करते हैं और न तंबाकू खाते। आपको छालों की समस्या भी पुरानी है तो यह आपको अन्य कारणों से समस्या है। आप किसी फिजिशियन डाक्टर को दिखाएं। कई बार पेट में समस्या होने के कारण यह परेशानी होती है। . मेरा नाम नताशा और आयु 34 वर्ष है। मेरे ब्रेस्ट की साइड में गांठ है लेकिन दर्द नहीं है। क्या कैंसर होने की संभावना है?
दर्द नहीं होने का मतलब नहीं है कि कैंसर नहीं है। आप जांच जरूर कराएं। जांच कराना कोई महंगा नहीं है। जरूरी नहीं है कि गांठ होना कैंसर ही है लेकिन जांच कराना बहुत जरूरी है। हम दर्द नहीं होने कारण कई बार जांच नहीं कराते हैं और लंबे समय के बाद पता चलता है कि वह कैंसर है और तीसरी-चौथी स्टेज का कैंसर है। ऐसे में मरीज का बेहतर इलाज संभव नहीं होता और अधिक महंगा होता है। . 12वीं कक्षा में मैंने धूमपान करना शुरू कर दिया था। दस साल से लगातार धूमपान कर रहा हूं। क्या कैंसर का खतरा है?
खतरा रहेगा लेकिन कैंसर हर हाल में होगा, ऐसा कहना ठीक नहीं है। अगर संभव हो तो आप धूमपान छोड़ दें। देखिए, जो लोग धूमपान नहीं करते हैं और वह उनके साथ रहते हैं जो धूमपान करते हैं तो उसके अंदर भी वह धुआं जाता है जो धूमपान नहीं कर रहा है और उन्हें भी नुकसान करता है। अब सोचिए कि जो धूमपान कर रहा है उन्हें कितना खतरा होगा। वैसे भी गुरुग्राम और एनसीआर के शहरों में पहले ही वायु प्रदूषण का कहर रहता है। यहां पर हर व्यक्ति सांस के द्वारा अपने अंदर जितना धुआं लेता है वह रोजाना 20 सिगरेट पीने के बराबर है। . डाक्टर साहब मैं जानना चाहता हूं कि कौनसा तंबाकू कैंसर बीमारी का कारण होता है?
यह सही है कि तंबाकू अलग-अलग तरह के हैं लेकिन यह करना कि कौन से तंबाकू से कैंसर होने का खतरा रहता है और कौन से तंबाकू से कैंसर नहीं होता है, ऐसा कुछ नहीं है। आप कोई भी तंबाकू का सेवन करते हैं वह कैंसर का कारण बन सकता है। . डाक्टर साहब मैंने एक भी ऐसा मरीज नहीं देखा जो कैंसर से ग्रस्त था और स्वस्थ हो गया।
- आप हमारे पास आएं, हम ऐसे दर्जनों मरीजों से मिलाएंगे, जो कैंसर से ग्रस्त थे और आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। उन्होंने समय पर इलाज लिया और बीमारी को हरा दिया। कैंसर के इलाज में समय का बहुत महत्व होता है। अगर आपने बीमारी गंभीर कर ली तो डाक्टर के लिए बेहतर इलाज देना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। . क्या व्यायाम करना कैंसर से बचाव है?
- व्यायाम करना कैंसर ही नहीं, अन्य बीमारियों से बचाव होता है। व्यायाम करने के साथ पौष्टिक आहार के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। . क्या बच्चेदानी के कैंसर की पहचान पहले की जा सकती है?
बच्चेदानी के कैंसर ही ऐसी बीमारी है जो शुरुआत में ही पहचान ली जाती है। बस महिला को अपनी बीमारी के संबंध में छिपाना नहीं चाहिए। अगर छिपाया जाता है तो बीमारी गंभीर हो जाएगी। बच्चेदानी से गंदे पानी का रिसाव, महामारी का अनियमित होना, सहवास के समय खून आना, कमर या पैर में अधिक दर्द होना और पेशाब में रुकावट इसके शुरुआती लक्षण हैं। बच्चेदानी के मुंह का कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है। . मेरा नाम महावीर है। मुझे वर्ष 2006 में गले का कैंसर हुआ था। अब आपरेशन के बाद सिंकाई चल रही है। क्या दोबारा कैंसर होने का खतरा है?
- जैसा आपने बताया कि आपने वर्ष 2010 में कैंसर का आपरेशन कराया था। अब आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे में आप समय-समय पर अपने डाक्टर से मिलते रहें और जांच कराते रहें। आपने बताया कि आपको नसों में खिचाव महसूस होता है तो आप एक बार सीटी स्कैन कराइए और जिस डाक्टर से आपका इलाज चल रहा है उनको दिखाइए। . मेरा नाम जय प्रकाश मिश्रा है। मुझे जानना है कि कैंसर होने के क्या कारण होते हैं?
देखिए, कैंसर होने का कोई एक कारण नहीं होता है। अगर कैंसर बीमारी का समय पर पता लग जाए तो बेहतर और सस्ता इलाज संभव है। मरीज के पूरी तरह ठीक होने के चांस अधिक होते हैं। अगर आप सावधानी की बात कर रहे हैं तो सभी प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन छोड़ दें। अधिकतर बीमारियां मादक पदार्थों के सेवन से होती हैं। . मेरा नाम मनोज कुमार है। मेरी बहन को ब्रेस्ट कैंसर है। क्या वह पूरी तरह से ठीक हो सकती है?
- जी, आप अभी कहां इलाज ले रहे हैं। कैंसर के पहली और दूसरी स्टेज में प्रयास रहता है कि मरीज को आपरेशन की नौबत न आए। आपकी बहन को कैंसर की कौन सी स्टेज है इसपर निर्भर करता है वह पूरी तरह ठीक हो पाएंगे या नहीं। लेकिन आप किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। . मेरा नाम जतिन है। मुझे फूड पाइप और सांस नली के बीच में कैंसर है?
- आपको कब पता चला कि आपको कैंसर है। देखिए, अभी आप जहां इलाज ले रहे हैं, अपने डाक्टर के बताए अनुसार जांच और इलाज लेते रहिए। घबराइए मत, कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है। मरीज घबराएं नहीं बल्कि सावधानी बरतें और इलाज लेते रहें। . मेरा नाम अंजलि है। मुझे ब्रेस्ट में कई बार दर्द होता है। क्या मुझे ब्रेस्ट कैंसर है?
- आप घबराएं नहीं, ब्रेस्ट में दर्द कई कारणों से होता है। क्या आपको ब्रेस्ट में कोई गांठ दिख रही है या कोई और समस्या महसूस हो रही हो डाक्टर से मिलें। डाक्टर ठीक प्रकार से जांच कर आपको सही जानकारी दे सकेंगे। . मेरा नाम अनिल कुमार है। मुझे हड्डी में कैंसर है। क्या यह कैंसर फैल सकता है?
देखिए, आपको शरीर में किसी और जगह कैंसर होगा जोकि बढ़ कर हड्डियों तक फैल गया है। यह कैंसर आगे न फैले इसके लिए आप दूध और दूध से बनी चीजें खाइए। आपने बताया कि कैंसर की दूसरी स्टेज है। अभी आप जहां से इलाज ले रहे हैं वहां से लेते रहिए। .मेरा नाम ज्योति है। मेरे जानने वाले हैं जिन्हें फूड पाइप में कैंसर है और अंतिम स्टेज मे हैं। क्या वह पूरी तरह ठीक हो पाएंगे?
- कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है। बस हमें सतर्क रहना होगा। शरीर में किसी प्रकार का बदलाव दिखे तो डाक्टर से संपर्क करें। कहीं पर आपको गांठ हो रही है तो उसे नजरअंदाज न करें बल्कि डाक्टर को दिखाएं और ठीक से जांच कराएं। अंतिम स्टेज में ठीक होने के चांस 40 प्रतिशत होते हैं। . मेरा नाम राजपाल है। मेरा पैर और कमर कई बार सुन्न हो जाता है और दर्द होता है। क्या यह कैंसर के लक्षण हैं?
- नहीं, यह कैंसर का कारण नहीं है। आप फिजिशियन को दिखाएं। यह कैंसर से संबंधित बीमारी नहीं है। आपको कोई और दिक्कत होगी जो फिजिशियन से मिलकर ठीक हो पाएगी। . मेरा नाम महेंद्र सिंह है। मेरी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर था। सर्जरी होने के बाद कई बार ब्रेस्ट में दिक्कत रहती है।
आपने जहां सर्जरी कराई थी वहां जाकर डाक्टर से मिलें। वह कुछ जांच करेंगे उसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि क्यों यह दिक्कत हो रही है। आप एक बार आकर हमें यहां अस्पताल में दिखा सकते हैं। अपनी पुरानी रिपोर्ट भी साथ लेकर आएं। . मेरा नाम राकेश है। मुझे सिर में गांठ है। यह कई सालों से है। क्या मुझे कैंसर का खतरा है?
- क्या आपने गांठ की कोई जांच कराई है। अगर नहीं तो एक बार करा लीजिए। घबराने की जरूरत नहीं है। यह रसोली या अन्य गांठ भी हो सकती है। लेकिन इसको नजरअंदाज न करें। एक बार जांच करा लीजिए। बहुत सी ऐसी गांठ होती हैं कि वह दर्द नहीं करती है लेकिन आगे चलकर गंभीर बीमारी बना देती हैं। इसलिए किसी भी बीमारी का इलाज स्वयं न करें, उसे डाक्टर को जरूर दिखाएं। डाक्टर को तय करने दें, कि वह कौनसी बीमारी है या नहीं।
Wednesday, 13 July 2022
Bodeli Mesag Viral
भारत मे जीवदया और मासाहारी.
Tuesday, 5 July 2022
૦૫ જુલાઈ ૨૦૨૨ નેશનલ પાર્ક સોસાયટી રોડ બાબત મિડીયા સમક્ષ રજુઆત .
Monday, 4 July 2022
मुसलमानों होश के नाखून लो WhatsApp Masej Viral
Sunday, 3 July 2022
આલીમ કી બાતકા રિસર્ચ કરના .
Thursday, 30 June 2022
बिहार: ओवैसी के 5 में से चार विधायक भागे, आरजेडी बनी सबसे बड़ी पार्टी
- बिहार पटना,
- 29 जून 2022,
पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आरजेडी के 75 विधायक चुनकर आए थे और बीजेपी के 74 थे. वहीं, AIMIM ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपना परचम लहराया था.
- RJD बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है
- बिहार में AIMIM के पांच विधायक जीते थे
महाराष्ट्र के बाद बिहार में बड़ा सियासी बवंडर मचा है. यहां AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी को तगड़ा झटका लगा है. AIMIM के चार विधायकों ने RJD का दामन थामने का फैसला किया है. बिहार में AIMIM के पांच विधायक चुनाव जीते थे.
AIMIM के टिकट से अमौर सीट से अख्तरुल ईमान, बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, कोचाधामन से मोहम्मद इजहार असफी, बहादुरगंज से मोहम्मद अंजार नईमी विधानसभा पहुंचे थे. इसमें चार RJD में शामिल होंगे. अमौर सीट से अख्तरुल ईमान अभी AIMIM के साथ हैं. चार विधायकों के AIMIM छोड़ने के बाद RJD बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. आरजेडी के 75 विधायक चुनकर आए थे और बीजेपी के 74 थे. इस चुनाव में वीआईपी के टिकट पर चार उम्मीदवार जीतकर विधायक निर्वाचित हुए थे, जिसमें एक का निधन हो गया था. ऐसे में तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इससे बीजेपी का आंकड़ा 77 पहुंच गया था.
वहीं, आरजेडी के विधायकों के आंकड़े को देखे तो 2020 में 75 विधायक जीते थे और 2022 में हुए उपचुनाव में एक सीट आरजेडी के खाते में आई. इससे उसका आंकड़ा 76 पहुंच गया था. अब ओवैसी की पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल होने से उसके 80 विधायक हो गए हैं और वो सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
AIMIM ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपना परचम लहराया था. सीमांचल इलाके में 24 सीटें हैं. इनमें से अधिकतर सीटें मुस्लिम बहुल है जिस पर महागठबंधन के जीतने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन लोगों ने एआईएमआईएम के हक में फैसला सुनाया था.
कहीं ना कहीं AIMIM के जीतने से महागठबंधन को नुकसान हुआ था. कई सीटें ऐसी भी थी जहां महागठबंधन और AIMIM के बीच वोटों का अंतर बहुत ही कम था. हालांकि अब इसकी भरपाई लगभग हो गई है.
बिहार: AIMIM के 4 विधायक RJD में, बदला विधानसभा का गणित.. BJP-JDU में अंतर्कलह के बीच क्या खत्म होगा NDA राज?
NDA से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को 7 और विधायकों की जरूरत होगी.
बिहार: AIMIM के 4 विधायक RJD में, बदला विधानसभा का गणित.. BJP-JDU में अंतर्कलह के बीच क्या खत्म होगा NDA राज?
NDA से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को 7 और विधायकों की जरूरत होगी.
एक नजर विधानसभा के गणित पर
बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं. 2020 चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी के खाते में आईं. कांग्रेस, महागठबंधन की उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर पाई. वहीं वामदलों ने ठीक ठाक प्रदर्शन किया. बीजेपी ओर जेडीयू सरकार बनाने लायक सीटें ले आईं. सहयोगियों का समर्थन था ही. सो सरकार भी बन गई. मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को 3 सीटें मिली थी. लेकिन बीजेपी ने एक झटके में उसके तीनों विधायक अपने पाले में कर लिए. ऐसे में सहनी के आरजेडी के साथ जाने की संभावना तो खत्म हो गई. लेकिन एआईएमआईएम के 4 विधायकों के साथ आने से आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के हाथ मजबूत हुए हैं.
सत्ता पक्ष
NDA | 126 |
भाजपा | 77 |
जेडीयू | 45 |
हम | 4 |
विपक्ष
महागठबंधन | 115 |
आरजेडी | 80 |
कांग्रेस | 19 |
लेफ्ट | 16 |
निदर्लीय- 1
एआईएमआईएम- 1
महागठबंधन सत्ता से कितनी दूर?
अब विधानसभा में आरजेडी के 80 विधायक (स्वीकृति मिलने के बाद) हो गए हैं. कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 मिलाकर, महागठबंधन के पास कुल 115 सीटें हो गई हैं. वहीं बीजेपी(77), जेडीयू(45) और हम(4) को मिलाकर एनडीए के पास अब भी 126 विधायक हैं. यानी उसके पास 122 के जादुई आंकड़े से 4 सीटें ज्यादा है. कुल मिलाकर महागठबंधन अभी भी जादुई आंकड़े से दूर है और ऐसे में फिलहाल सत्ता में उलफेर की संभावना बनती नजर नहीं आ रही है. सरकार बनाने के लिए उन्हें एनडीए के खेमे से कम से कम 6 विधायक तोड़ने होंगे. एनडीए से 6 विधायक कम हो जाएं तो उनके पास 120 सीटें बचेंगी और एक निर्दलीय को साथ लेकर भी वह जादुई आंकड़े से दूर रह जाएगी. वहीं महागठबंधन को जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए 7 और विधायकों की जरूरत है.
ये 4 विधायक आरजेडी में शामिल हुए
अख्तरुल इमाम के दावे की निकली हवा!
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को पांच सीटों पर जीत मिली. इनमें पूर्णिया ओर किशनगंज जिले की विधानसभा सीटें अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज शामिल हैं. इनमें से जिन चार सीटों पर जीते विधायक अब आरजेडी में शामिल हुए हैं, उनमें कोचाधामन सीट से विधायक मुहम्मद इजहार अस्फी, जोकीहाट से विधायक शाहनवाज आलम, बायसी से विधायक रुकनुद्दीन अहमद, बहादुरगंज से विधायक अनजार नईमी शामिल हैं.
एआईएमआईएम नेता अख्तरुल इमाम ने पिछले दिनों कहा था कि बिहार में उनकी पार्टी एक छोटी पार्टी है और इसलिए बड़ी पार्टियां 2020 विधानसभा चुनाव के बाद से ही हमारी पार्टी के विधायकों से संपर्क कर रही हैं. उनका दावा था कि उनकी पार्टी के नेता कहीं नहीं जा रहे हैं. अब उनको छोड़ बाकी चारों विधायक आरजेडी में शामिल हो गए हैं और इमाम के दावों की हवा निकल ग
Prostitution या वेश्यावृत्ति पर क्या कहता है भारतीय कानून? 2022
Updated:Feb 16, 2022,
डीएनए हिन्दी : भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी तौर पर जुर्म नहीं है. यह पंक्ति पूरी तरह से सही है. भारत में पैसे के बदले सेक्स करने में कोई कानूनी व्यवधान नहीं है. हाँ, इसके लिए कुछेक शर्त ज़रूर हैं. अव्वल तो यह कि इसमें केवल दो वयस्क लोग सहमति से शामिल हों. इसके अतिरिक्त भी कई और शर्तें हैं जिसकी वजह से वेश्यावृत्ति की भारत में वैधता पर सवाल लगाये जा सकते हैं.
एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर वेश्यावृत्ति (Prostitution) कानूनी है तो फिर इसे छिपाकर क्यों किया जाता है?
वह विधेयक जिसकी वजह से वेश्यावृत्ति के कानूनी होने पर भी इसे दबे छिपे ढंग से किया जाता है, वह दरअसल इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 है. यह कानून वेश्यावृत्ति से जुड़ी हुई कुछ हरकतों को अपराध की शृंखला में रखता है.
Brothel या चकलाघर चलाना है क्राइम
इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 के सेक्शन 3 के मुताबिक चकलाघर, वेश्यालय या brothel चलना अपराध है. इसकी परिभाषा में हर वह घर, कमरा या जगह आता है जिसका इस्तेमाल वेश्यावृत्ति के लिए किया जाता है. वहीं इस कानून के सेक्शन 4 के मुताबिक किसी का वेश्या की कमाई पर ज़िन्दगी बसर करना भी अपराध है. परिवार के सदस्य भी ऐसा करें तो भी यह आपराधिक है.
सेक्शन 5 किसी भी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिए लुभाना, उसे इस पेशे में डालने को बाध्य करने को अपराध मानता है. यानि पिम्पिंग या दलाली सरीखी चीज़ें अपराध हैं.
सेक्शन 7 के मुताबिक किसी सार्वजनिक जगह में पैसे के बदले सेक्स करना अपराध है. यानि किसी होटल, हॉस्पिटल, प्रार्थना स्थल या फिर अन्य घोषित सार्वजनिक जगहों पर इसमें लिप्त होना आपराधिक है.
इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 का आठवां सेक्शन
इस एक्ट का आठवां सेक्शन पैसे के लिए किये जाने वाले सेक्स की ख़ातिर किसी को रिझाना, अपनी ओर आकर्षित करना, इशारे करना या सजेस्टिव संकेत देना अपराध है. हालाँकि, इस सेक्शन को विवादित और स्त्री विरोधी भी माना जाता है. यह समान अपराध के लिए पुरुषों को महिलाओं से लगभग आधी सज़ा देता है. महिलाओं के लिए जेल का टर्म एक साल तक हो सकता है पर पुरुषों के लिए यह सात दिन से अधिकतम तीन महीना है.
लब्बो लुआब यह है कि वेश्यावृत्ति अपराध नहीं है पर इन सेक्शन का ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है.
Explainer: SC ने वेश्यावृत्ति को पेशा माना, क्या भारत में बदल जाएगी सेक्स वर्कर्स की जिंदगी?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वेश्यावृत्ति को पेशे का दर्जा दिए जाने के साथ ही राज्य, केन्द्र सरकार और पुलिस को भी कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, कॉल गर्ल को भी सजा का प्रावधान
- कई देशों में वेश्यावृत्ति नहीं है जुर्म
सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशे का दर्जा दे दिया है. गुरुवार को अपने एक फैसले में शीर्ष कोर्ट ने अन्य पेशे की तरह यौन पेशे को भी लीगल करार देने के साथ ही इस बाबत राज्य और केन्द्र सरकार के साथ ही पुलिस को भी कई दिशा निर्देश जारी किए हैं. यौन कर्मियों यानी सेक्स वर्करों को लेकर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने पर जोर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों से कहा है कि हर पेशे की तरह मानवीय गरिमा और शालीनता के साथ जीवन जीने के लिए बुनियादी सुरक्षा यौन कर्मियों के लिए भी है. पुलिस और प्रशासन को यौन कर्मियों यानी सेक्स वर्कर्स के साथ भी आम नागरिक की भांति गरिमापूर्ण और सम्मानजनक बरताव व्यवहार करना चाहिए. यानी उनके साथ पुलिस मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करे.
क्या कहता है हमारा कानून?
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार, वेश्यावृत्ति वास्तव में अवैध नहीं है, लेकिन कुछ गतिविधियां ऐसी हैं जो वेश्यावृत्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं और अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत दंडनीय हैं, जैसे...
सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति
- होटलों में वेश्यावृत्ति करना.
- एक सेक्स वर्कर की व्यवस्था करके वेश्यावृत्ति में शामिल होना.
- एक ग्राहक के लिए यौन क्रिया की व्यवस्था करना.
कॉल गर्ल को भी सजा
अनैतिक ट्रैफिक (रोकथाम) अधिनियम, 1986 मूल अधिनियम का एक संशोधन है. इस अधिनियम के अनुसार, वेश्याओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए अगर वे खुद के साथ संबंध बनाने को कहती हैं या दूसरों को बहकाते हुए पाई जाती हैं. इसके अलावा, कॉल गर्ल को अपने फोन नंबर सार्वजनिक करने की मनाही है. ऐसा करते पाए जाने पर उन्हें 6 महीने तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.
भारत में क्या है स्थिति
हमारे देश में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके लिए किसी को फोर्स करना और सार्वजनिक वेश्यावृत्ति करना गैरकानूनी है. वेश्यालय का मालिकाना हक भी अवैध है.
अगर केंद्र सरकार ने कोर्ट के निर्देश को मान लिया तो भारत में क्या बदलेगा?
- यौनकर्मियों को समान कानूनी सुरक्षा दी जाएगी.
- यदि कोई यौनकर्मी किसी आपराधिक/यौन या अन्य प्रकार के अपराध की रिपोर्ट करता है, तो पुलिस इसे गंभीरता से लेगी और कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी.
- यदि किसी वेश्यालय पर छापा मारा जाता है, तो इसमें शामिल यौनकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, दंडित नहीं किया जाएगा.
- कोई भी यौनकर्मी जो यौन उत्पीड़न का शिकार है, उसे तत्काल चिकित्सा देखभाल सहित जरूरी सेवाएं दी जाएंगी.
- पुलिस को सभी यौनकर्मियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होगा और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं कर सकते.
क्या है अन्य देशों में वेश्यावृत्ति को लेकर कानून
कुछ देशों ने वेश्यावृत्ति पर पूरी तरह से रोक लगा रखा है. जबकि अन्य देशों में वेश्यावृत्ति लीगल है. यौनकर्मियों को स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ दिया जाता है.
इन देशों में वेश्यावृत्ति नहीं है जुर्म
न्यूजीलैंड: वेश्यावृत्ति 2003 से कानूनी है. सार्वजनिक स्वास्थ्य और रोजगार कानूनों के तहत लाइसेंस प्राप्त वेश्यालय भी संचालित होते हैं, और उन्हें सभी सामाजिक लाभ मिलते हैं.
फ्रांस: फ्रांस में वेश्यावृत्ति कानूनी है, हालांकि सार्वजनिक रूप से इसके लिए कहने की अभी भी अनुमति नहीं है.
जर्मनी: वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया गया है और वेश्यालय हैं. सेक्स वर्कर को स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है. टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, और उन्हें पेंशन जैसे सामाजिक लाभ भी मिलते हैं.
ग्रीस: यौनकर्मियों को समान अधिकार मिलते हैं और उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए भी जाना पड़ता है.
कनाडा: कनाडा में वेश्यावृत्ति सख्त नियमों के साथ कानूनी है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 19.07.2011 को दिए आदेश में कहा कि यदि मीडिया ग्राहकों के साथ सेक्स वर्कर्स की तस्वीरें प्रकाशित करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी के तहत अपराध को लागू किया जाना चाहिए. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में ही सेक्स वर्कर्स के लिए एक पैनल का गठन किया था जिसने इस समस्या से जुड़े तीन पहलुओं की पहचान की थी. एक तो तस्करी की रोकथाम, दूसरा यौन कार्य छोड़ने की इच्छा रखने वाली सेक्स वर्कर्स का पुनर्वास, और तीसरा संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के अनुसार सेक्स वर्कर्स को सम्मान के साथ जीने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाना.
आसनसोल स्थित यौनपल्ली में बंटी मिठाइयां
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यौनकर्मियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. बंगाल के सबसे बड़े यौनपल्ली में से एक आसनसोल का दिशा स्थित यौनपल्ली में इस फैसले के बाद मिठाइयां बांटी गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां के यौनकर्मियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद भी जताया. इनका कहना है कि अक्सर पुलिस द्वारा उन्हें और उनके ग्राहकों को परेशान किया जाता था, लेकिन अब इस फैसले के बाद वे अपना पेशा अन्य पेशेदारों की तरह इज्जत से चला पाएंगे.
'सेक्स वर्क भी पेशा', गिरफ्तारी पर रोक से लेकर और क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश में, पढ़ें पूरी खबर
ખાનગીકરણ વ્યવસ્થા નહીં પણ પુન: રજવાડાની વ્યવસ્થા છે.
सिंचाई विभाग का पोर्टल तैयार, नियम उल्लंघन पर जाना होगा जेल
सिंचाई विभाग का पोर्टल तैयार, नियम उल्लंघन पर जाना होगा जेल
इसके लिए पोर्टल भी तैयार हो गया है। गाइडलाइन के उल्लंघन पर सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। लघु सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अरुण कुमार यादव ने बताया कि अभी तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि बोरिंग कराने वालों को शासन व प्रशासन से अनुमति लेनी पड़े। इसका फायदा उठाकर लोग मनमाने तरीके से बोरिंग कराकर भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
साथ ही, 10 लाख रुपये अर्थदंड का भी प्रावधान है। पहली बार उल्लंघन पर पांच लाख से कम का अर्थदंड नहीं होगा। साथ ही, गाइडलाइन का पालन कराने को गांव स्तर पर ग्राम पंचायत भूगर्भ जल समिति और ब्लॉक स्तर पर खंड पंचायत भूगर्भ जल समिति गठित की जा चुकी है।
गैर जिले की मशीनें कर रहीं धरती को छलनी
लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, महोबा में 10 बोरिंग मशीन संचालक हैं। जिले का भूभाग वृहद होने से ग्रामीण इलाकों में गैर जिलों हमीरपुर, बांदा और छतरपुर से महोबा की सीमा सटी होने से इन जिलों के मशीन संचालक बोरिंग का काम रहे हैं। अधिकांश रात के अंधेरे में ही बोरिंग की जाती है। लघु सिंचाई विभाग के स्तर से वर्ष 2014 तक ही जिले में किसानों के खेतों में बोरवेल लगाए गए।
इसके बाद सरकारी स्तर से बोरिंग बंद होने से निजी मशीन संचालक पूरी तरह इस धंधे में उतर आए हैं। किसानों को बोरिंग के लिए प्रेरित किया जाता है और सौदा तय होने के बाद तय स्थान पर मशीन पहुंचा दी जाती है। पिछले छह सालों से रोक के बावजूद जिले में धरती को छलनी करने का काम धड़ल्ले से जारी है। लघु सिंचाई विभाग का फोकस अब जिले में गैर जनपदों से आने वाली बोरिंग मशीनों पर होगा। इसके लिए बाकायदा विभागीय अधिकारी कार्रवाई की रूपरेखा बना रहे हैं।
Sunday, 26 June 2022
लोग मिले लेकीन ?
Saturday, 25 June 2022
सोशल मिडिया के माध्यम से मुस्लिम समाज को भ्रमित करने वाले मुस्लिम नेताओं के "झूठ का पर्दाफाश"
Thursday, 23 June 2022
अदालत ने 'बुली बाई' ऐप मामले में गिरफ्तार तीन छात्रों को दी जमानत.
एक बड़ी खबर के अनुसार मुंबई की सत्र अदालत ने ‘बुली बाई’ ऐप मामले में गिरफ्तार तीन छात्रों को जमानत दे दी है। बता दें कि, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म ‘गिटहब’ पर डाले गए ‘बुली बाई’ ऐप पर ‘नीलामी’ के लिए अनुमति लिए बिना सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की फर्जी तस्वीरें अपलोड किए गए थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एबी शर्मा ने इस मामले में गिरफ्तार नीरज बिश्नोई, ओंकारेश्वर ठाकुर और नीरज सिंह को जमानत दे दी है। बिश्नोई ने अधिवक्ता शिवम देशमुख के माध्यम से दायर अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि, उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था। उन्होंने जमानत की मांग की थी क्योंकि उनके सह-आरोपियों को जमानत दे दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि, इसी मामले में अप्रैल में शहर के बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आरोपी विशाल कुमार झा, श्वेता सिंह और मयंक अग्रवाल को जमानत दे दी थी। पुलिस ने मार्च में दायर अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि, बिश्नोई ने एक सह-अभियुक्त को 100 “प्रसिद्ध गैर-भाजपा मुस्लिम महिलाओं” की तस्वीरें भेजने के लिए कहा ताकि उन्हें नीलामी के लिए रखा जा सके।
पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि, बिश्नोई ने सबसे पहले बुल्ली बाई ऐप का लिंक अपने ट्विटर ग्रुप पर शेयर किया था। इस ग्रुप के सभी सदस्य इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे कि, इसका इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने के लिए किया जाने वाला है। इस ऐप का उद्देश्य लक्षित महिलाओं को अपमानित करना और डराना था, जिनमें से कई सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं।
बुल्ली एप के आरोपीयो को मिली जमानत मुस्लिम लड़कियों को बोली लगाने वाले .
Tuesday, 14 June 2022
नुपुर शर्मा Z सुरक्षा
अगनीवीर Agniveer
7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓
सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...
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Huzaifa Patel Date : 12 March 2025 अयोध्या भूमि अधिग्रहण मामला: न्याय और पारदर्शिता की परीक्षा । अयोध्या, जो अपनी धार्मिक और सा...
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मुस्लिम शरिफ की हदीश 179 जिल्द ,1 हिंदी और उर्दू मे आपकी खिदमत मे पैश करते हे. SAFTeamguj. 03 Aug 2021 السلام عل...