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Tuesday, 31 December 2019

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आंदोलन और नेतृत्व के लिये नीति और रणनीति के साथ विरोध करने की पूरी तैयारी के साथ काम करे।

*छिटपुट प्रदर्शनों से आप CAA और NRC पर सरकार को झुका लेंगे तो ये आपकी गलतफहमी है?*

मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं कि जामिया और शाहीन बाग में NRC व CAA को लेकर हो रहा विरोध प्रदर्शन नेतृत्व विहीन और अदूरदर्शी है। आप अपने इलाके में प्रदर्शन कर-करके मर जाएं, इस देश में किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। जंतर-मंतर पे भी लोग धरने पे बैठे रहते हैं, कौन पूछता है?

किसी भी आंदोलन या विरोध प्रदर्शन की एक दिशा तय होती है। हवा में तलवार भांजने से कुछ नहीं होता। अपनी ऊर्जा ही नष्ट होती है। महात्मा गांधी से सीखिए। उनका आंदोलन, विरोध और प्रतिकार अहिंसक ज़रूर था लेकिन ना वह नेतृत्व विहीन था और ना दिशाहीन। सब कुछ calculated था कि ये करने से ये हासिल होगा। दांडी मार्च का ही उदाहरण ले लीजिए  या फिर चौरा-चौरी का।

सड़क पर आकर मोमबत्ती जलाने से या दो नारे लगाने से कुछ नहीं होता। निर्भया के वक़्त भी जनता मोमबत्ती लेकर इंडिया गेट पे जुटी थी। क्या हुआ केस का? दोषी अभी तक जेल की रोटी तोड़ रहे हैं। फिर कहाँ गयी वो सारी पब्लिक, जो निर्भया का नाम लेकर सड़क पर थी! इसलिए भीड़ जुटाने से आंदोलन नहीं हो जाते या लक्ष्य हासिल नहीं होता। इसके लिए आपको जनता की ताकत को रुख देना पड़ता है। तभी मंजिल हासिल होती है। ठीक वैसे ही, जैसे नदी की धारा को एक रुख देकर बिजली बनाई जाती है।

इस देश में लोकपाल बिल को लेकर हुए आंदोलन और उसका हश्र आप देख ही चुके हैं। कुछ नहीं मिला। आज लोकपाल का कोई नामलेवा नहीं। दफ्तर तक नहीं मिला। सुना है जनता के पैसे से 50 लाख महीना ऑफिस का किराया जाता है। बस जनता के गुस्से को अरविंद केजरीवाल ने भुना लिया और अपना राजनीतिक कैरियर सेट कर लिया। चालू आदमी निकला। अन्ना नामक प्राणी भी रालेगण सिद्धि में सेट हैं। जनता वहीं की वहीं है।

अगर आप ये सोच रहे हैं कि jamia और शाहीनबाग जैसे छिटपुट प्रदर्शनों से आप CAA और NRC पर सरकार को झुका लेंगे तो बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं। दो साल बैठिए हाथ में मोमबत्ती लेकर। कुछ नहीं होने वाला। बताया तो था कि गंगा मैया को बचाने के लिए अनशन पे बैठा संत उत्तराखण्ड में मौत को प्राप्त हुआ। किसे फर्क पड़ा इस देश में?

आंदोलन कोई बच्चों का खेल नहीं। जोश तक ठीक है पर दिशा और स्ट्रेटेजी के बिना आप एक साधारण एग्जाम पास नहीं कर सकते, आंदोलन को कैसे सफल कर लेंगे! बहुत कड़वी बात बोल रहा हूँ पर ये सच है। जामिया और शाहीन बाग मामले का पोस्टमार्टम करने के बाद ये बात कही है। बाकी हर कोई अपनी मर्ज़ी का मालिक है इस देश में। शौक से विरोध प्रदर्शन करें पर ये देख लें कि बिना किसी काबिल नेतृत्व और तय दिशा के इसका हासिल क्या मिलेगा? मेरे हिसाब से जो अभी वहां हालात हैं और अदूरदर्शी नेतृत्व है, उससे होना-जाना कुछ नहीं है। करते रहिए विरोध प्रदर्शन। कभी मीडिया में 5 लाइन की खबर चल जाएगी। बस।

बिजली बनाने वाले डैम की सुनियोजित धारा बनिए, बाढ़ का पानी नहीं।

#જન_સંપર્ક_જાગૃતિ_અભિયાન_2020 SAFTEAM



#જન_સંપર્ક_જાગૃતિ_અભિયાન_2020 

ચલો એક નઈ રોશની કી તરફ ના-ઉમ્મિદી કો બદલકર ઉમ્મિદ જગાને કી તરફ,
ચલો ચલતે બુલંદ ઇરાદો કો લેકર,
ચલો ચલતે સાથમે કુરબાની દેકર,
ખુદા હમારા મદદગાર હોગા,ઈસકા વિશ્વાસ લેકર હે.

આને વાને નયે સાલમે હમે માનવતા ઈન્સાનિયત કે લિયે સમાજ ઓર દેશકે લિયે હમે ખુદકો બદલના હોગા તાકે માનવતા ઓર ઈન્સાનિયત કો તબાહ કરને વાલે  ઓર ગુલામ બનાને વાલે લોગોકો કે ઈરાદો કો નાકામ કર શકે.

"નયે સાલ કી સુરૂવાત નયે ઇરાદો કે સાથ"

ઈસ જન સંપર્ક કે માધ્યમ સે ઈસ સાલ હમ જયાદા સે જ્યાદા ગાંવ,મોહલ્લે,વિસ્તાર ઓર જાગૃત લોગોં તક અપના સંપર્ક કરને ઓર જ્યાદા સે જ્યાદા યુનિટી બનાને સંકલ્પ કે સાથ બહોત બેહતર ઓર અચ્છે તરીકે સે હમારે કાર્યો કો આગે બરહાના ચાહતે હે..

જિસમે સુરૂવાત હમ ભરૂચ શહેર ઓર જીલ્લા કે માધ્યમ સે અબતક કે કાર્યો કી સમીક્ષા ઓર ૨૦૨૦ કે હોને વાલે કાર્યો કી રણનીતિ કે માધ્યમસે આગે બડને વાલે હે..

જિસ ગાંવ મોહલ્લો મુ.વિસ્તારોમે યુનિટી નહી હે, વંહા યુનિટી કાયમ કરેંગે ઓર જંહા હે,ઉનકો યુનિટી કોડીનેશન કે સાથ જોડકર આગે બરહેંગે...

જો સાથે ઈસ અભિયાન મે જુડના ચાહે સંપર્ક  કરે.

હુજૈફા પટેલ ભરૂચ ગુજરાત
#SAFTEAM Mo.9898335767

पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के चार सदस्य भी एनआरसी सूची से बाहर

भारत के 5वें राष्ट्रपति रहे फखरुद्दीन अली अहमद के कई रिश्तेदारों से नाम एनआरसी लिस्ट से गायब है। ...

कामरूप, एएनआइ। एनआरसी की अंतिम सूची से पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के चार सदस्य भी बाहर हो गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति के भाई इकरामुद्दीन अहमद के पोते साजिद अली के अलावा उनके पिता गियाउद्दीन अहमद, मां अकिमा और भाई वाजिद का नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं है।
उनके भतीजे एसए अहमद ने बताया कि कि परिवार के 4 लोगों के नाम लिस्ट से बाहर है। 7 सितंबर के बाद अधिकारियों से संपर्क कर नाम जुड़वाने की कोशिश की जाएगी। ताज्जुब तो यह है कि एनआरसी के प्रारूप में नाम न होने पर जुलाई में उन्होंने आपत्ति भी जताई थी। उनका परिवार जिले के रंगिया क्षेत्र में रहता है।
इसके अलावा भारतीय सेना के पूर्व आर्मी ऑफिसर मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम फिर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) की अंतिम सूची में भी नहीं आया है। हालांकि मोहम्मद सनाउल्लाह ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। बता दे कि उनकी नागरिकता को लेकर गुवाहाटी उच्च न्यायालय में मामला लंबित पड़ा है।

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने शनिवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी की। एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला (NRC State Coordinator) ने बताया कि कुल 3,11,21,004 (3 करोड़ से ज्यादा) व्यक्तियों को अंतिम सूची में शामिल करने के योग्य पाया गया। इसके अलावा 19,06,657 (19 लाख से ज्यादा) व्यक्ति लिस्ट में शामिल नहीं हो सके। इन लोगों ने अपने दावे प्रस्तुत नहीं किए थे। परिणाम से संतुष्ट नहीं होने पर वे विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। 


हमेशा ध्यान रखो इतिहास और वर्तमान की नीतियों को ओर अपनी शक्ति से आने वाले कलको बेहतर बनाने में अपना योगदान देने की कोशीश करे।

काश कोई हिंदुत्व/बीजेपी समर्थक, मित्र Alok Mohan की इस पोस्ट पर कुछ कहे.

काश कोई हिंदुत्व/बीजेपी समर्थक, मित्र Alok Mohan की इस पोस्ट पर कुछ कहे.

Sanjeev Tyagi
Rajiv Mittal

मुसलमान हिंदुस्तान के सबसे सस्ते वोटर हैं, उन्हें सरकार से सुरक्षा के बदले में कुछ भी नहीं चाहिए.
अपनी मेहनत के दम पर कमाने खाने वाले लोग हैं. साईकिल पंचर लगाने से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक के पद को सुशोभित किया है. फल बेचने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक रहे. बिरयानी बनाने का काम करने से लेकर IB प्रमुख तक, कवाब बनाने से लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त तक; एक तो अभी सेना प्रमुख बनने तक रह गए किसानी से लेकर सेना में भर्ती होकर परमवीर चक्र लिया. पदमश्री से लेकर भारत रत्न तक प्राप्त किया मुसलमानों ने. मोटर वर्कशॉप का काम करने से लेकर अग्नि मिसाईल तक बनाई.
हर क्षेत्र में डंका बजाया है फ़िल्म, कला, साहित्य, संगीत, आप भारत के होने की कल्पना ही नहीं कर सकते बिना मुसलमानों के...
और ये सब इन्होंने बिना आरक्षण, बिना सरकारी मदद और बिना भाई भतीजावाद के प्राप्त किया है यदि असली मेरिट की बात की जाये तो वो भारत के मुसलमानों की है, लेकिन आज 70 साल के बाद भी इन्हें अपने वोट के बदले में क्या चाहिए केवल सुरक्षा....
कितना सस्ता है मुसलमानों का वोट...

औरत बियर बार में नंगी नाचे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं

औरत बिकनी में क्लब के अंडर पोल डांस करे तो किसी को कोई तकलीफ नहीं।

औरत जिस्म के धंधे में गैर मर्दो के साथ सोये तो किसी को कोई तकलीफ नहीं, लेकिन जब एक मुसलमान औरत नकाब से अपने जिस्म को ढांके तो पूरी दुनिया के लोगो के सीने पे सांप लोट जाता है, और कहते है इस्लाम में औरतो को आजादी नही...

वाह रे जाहिलो‬

समझ में नहीं आता ये औरतों को बेपर्दा क्यूँ करना चाहते है?

दुनिया की तारीख में किसने मासूमो का सबसे ज़्यादा क़त्ल किया है?

1हिटलर...
आप जानते हैं ये कौन था?
हिटलर जर्मन "ईसाई" था लेकिन मीडिया कभी "ईसाईयों" को आतंकवादी नहीं कहता।

2"जोसफ स्टालिन"
इसने तक़रीबन 20 मिलियन इंसानी जाने ली जिसमे 14.5 मिलियन को तड़पा तड़पा कर मारा गया।
क्या ये मुसलमान था?

3 "माओ त्से तसुंग (चीन)"
इसने 14 से 20 मिलियन का क़त्ल किया।
क्या ये मुस्लमान था ?

4 "बेनितो मुस्सोलिनी" (इटली)"*l
इसने तक़रीबन 400 हज़ार लोगो का कत्लेआम कराया।
क्या ये मुसलमान था?

5 "अशोक" ने कलिंगा के युद्ध में 100 हज़ार लोगो का कत्लेआम किया ।
क्या ये मुसलमान था ?

6 "अम्बार्गो" (इराक) जिसे जॉर्ज बुश ने इराक भेजा था।

इराक में 1 मिलियन से ज़्यादा इंसानो की जाने ली गयी जिसमे मासूम बच्चे भी शामिल थे।
क्या ये भी मुसलमान था ?

आज देखा जाता है के ग़ैर मुस्लिम समाज में "जिहाद " के नाम से एक डर और दहशत बनी हुई है लेकिन मीडिया सच्चाई न बताता है और न दिखाता है।

"जिहाद" एक अरबी का शब्द है जो की एक और अरबी के शब्द "जहादा" से बना है, जिसका मतलब है "बुराई"  और "नाइंसाफी" के खिलाफ आवाज़ उठाना उसके खिलाफ खड़े होना या इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ना।
जिहाद का मतलब मासूमो व बेगुनाहो की जान लेना या क़त्ल करना हरगिज़ नहीं है।

फ़र्क़ सिर्फ इतना है के हम बुराई के खिलाफ खड़े है , बुराई के साथ नहीं।

क्या इस्लाम हक़ीक़त में परेशानी है ?

1.पहली आलमी जंग (फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1930 के दशक में ) जिसमे 17 मिलियन मौते हुयी
जिसे ग़ैर मुस्लिम देशों ने किया।

2. दूसरी आलमी जंग (सेकंड वर्ल्ड वॉर 1939 -1945 ) जिसमे 50 से 55 मिलियन मौते हुयी।
यह भी ग़ैर मुस्लिमो द्वारा किया गया।

3. नागासाकी हिरोशिमा एटॉमिक हमले जिसमे 200,000 लोगो की जाने गयी ये हमले भी ग़ैर मुस्लिम(अमेरिका) द्वारा किये गए।

4. वियतनाम की लड़ाई में 5 मिलियन लोग मारे गए,
यह भी ग़ैर मुस्लिम ने किया।

5. बोस्निया/कोसोवो की लड़ाई में तक़रीबन 500,000 लोग मारे गए।
ग़ैर मुस्लिम ने किया

6. इराक की जंग में अब तक 12,000,000 लोग मारे गए।जिसे ग़ैर मुस्लिम ने किया।

7.1975-1979 तक कंबोडिया में तक़रीबन 3 मिलियन लोगो की जाने गयी, ग़ैर मुस्लिम ने किया।

8. और आज अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया , फिलिस्तीन, और बर्मा में लोग मारे जा रहे हैं।

क्या ये सब मुसलमानों ने किया ?

मुसलमान आतंकवादी नहीं है और जो आतंकवादी है वो मुस्लमान नहीं है।

ये दोहरे चेहरे ज़रूर उजागर होने चाहिए।

जितना ज्यादा हो सके उतना शेयर करे, मिडिया ग़लत हाथ में है इसलिए वो लोग ग़लत जानकारी लोगो तक पहुचाते है, लेकिन मोबाइल फ़ोन हमारे हाथ में हैं इसलिए हमें सही जानकारी फैलानी होगी.... Cpd

- Forwarded as received

https://www.facebook.com/100000330407141/posts/2453665351321121?s=100010450628115&sfns=mo

Sunday, 29 December 2019

बेजीप,आरएसएस का NRC, CAA,NPR से क्या साजिश है??

### बीजेपी आरएसएस का Exactly प्लान क्या है  ?? ###

अगर पोस्ट समझ में आ जाऐ तो प्लीज कापी एंड पेस्ट करके आगे शेयर करें

बीजेपी का वोट शेयर जब 29% था तब उसके पास 2 सीट थी, 30% वोट शेयर करने पर उसके पास 89 सीट, 31% पर उसके पास 112 सीट, 32% वोट शेयर पर उसके पास 189 सीट, 33% वोट शेयर करने पर उसके पास 282 सीट, और 34% वोट शेयर करने पर उसे मिली 303 सीट

अब बीजेपी आरएसएस को समझ आ गया है कि उनका वोट बैंक 32% ही है और जो बाकी 2% अलग से मिला है वह झूठ और मक्कारी से मिला है और अब यह झूठ का माया जाल टूट रहा है और मतदाता उससे अलग हो रहा है, ऐसे में बीजेपी को 2024 से पहले चाहिए 3% अलग से वोट, लगभग 5 करोड नये वोटर, और यह नये वोटर विदेश से लेकर आयेंगें......

RSS का बुनियादी प्लान यह है कि संसार में जहां भी हिंदू है उसको इस्राइल की तरह भारत में लाकर बसाया जाऐ और ऐसे बसाया जाऐ की उसके सहारे ज्यादा सीटें जीती जा सकें ।

इसके लिए बीजेपी आरएसएस ने पांच देशों का चयन किया है।
(1) इंडोनेशिया, मलेशिया, बंग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिसतान

अब इन देशों से लोगों को लाकर यहां बसाने से पहले 2 बडे काम करना है............

(1) भारत में उनको रहने के लिए मकान बनाना होगा,  क्योंकि यहा जनसंख्या पहले से
इतना ज्यादा है तो बाहर के लोंगों को यहां की नागरिकता नही दे पायेंगें, इसलिए उनको लाने से पहले यहां जगह खाली करनी होगी। और यह करने के लिए CAA, NRP और NRC प्लान किया गया है ।

(2) इन देशों में रहने वाले लोंगों को कुछ स्पेशल फेसिलिटी देना होगा ताके वह लालच में वहां से यहां आऐं............
जैसे उदाहरण के  तौर पर बना बनाया घर, व्यापार, कारखाना, दुकान इत्यादि

इसका पहला फेस बीजेपी ने लांच कर दिया है  जिसके अन्तर्गत पाकिस्तान, बंग्लादेश, अफगानिसतान, के गैर मुसलिम को नागरिकता दी जायेगी,

दूसरे फेस में CAA का कानून इंडोनेशिया और मलेशिया के लिए भी तैयार किया जायेगा और यहां जितने भी हिंदू है उन्हें भी भारत लाकर बसाया जायेगा,

*इन देशों में हिंदू जनसंख्या कितनी है*  ?
(1) इंडोनेशिया  में   1.8 करोड
(2) बंग्लादेश में       1.7 करोड
(3) पाकिस्तान में      80 लाख
(4) मलेशिया में       18 लाख

और अफगानिस्तान मे जब युद्ध आरम्भ हुआ तो तब वहां से ज्यादातर हिंदू भागकर पहले ही भारत में आ गये थे........

कुल मिलाकर 5 करोड हिंदुओं को दूसरे देश से लाकर भारत में बसाने का प्लान है ।

अब 5 करोड हिंन्दुओं को नोकरी, घर, व्यापार, देने के लिए यहां भारत से 8-10 करोड लोंगों को बे घर करना होगा,

इसलिए आरएसएस बीजेपी के प्लान में है NRP ( National Population Register)  और दूसरा NCR (National Citizenship Register)

NRP ( National Population Register)  क्या है और इसमें क्या किया जायेगा और इसका प्लान कब का है  ?
NRP के अन्तर्गत से देश में रहने वाले हर नागरिक का एक बायोडाटा तैयार किया जायेगा..... for example......  उसके घर का पता, घर में कितने लोग हैं वह कारोबार क्या करते हैं, घर पक्का है या कच्चा, घर एक फ्लोर का या 2 फ्लोर का........
और फिर इस बायोडाटा को आधार से लिंक कर दिया जायेगा ।
इस प्रकार से सरकार को पता होगा किस श्रेणी का नागरिक कौन है और कहां रहता है,

BJP -RSS का प्लान था की NRP 2020 तक पूरा कर लिया जाय

*अब समझें NRC क्या है*  ?
NRC ( National Register Of Citizenship)  के अन्तर्गत सरकार एक कटआफ तारीख बतायेगी और इस देश के हर नागरिक को अपनी नागरिकता उस कटआफ तारीख से प्रूफ करना होगा
अगर यह तारीख 1951 होगा तो हम सबको 1951 के कागजात से प्रूफ करना होगा कि हमारे बाप दादा तबसे इस देश के नागरिक थे

NRC के प्रोसेस से गुजरने के बाद लगभग देश के 50% लोग अपनी नागरिकता प्रूफ नही कर पायेंगें, इसलिए CAA लाया गया ताकि इस देश के गैर मुसलिम में जिसे सरकार चाहे उसको बचाया जा सके और उन्हें चोर दरवाजे से नागरिकता दिया जायेगा ।

इन जर्नल CAA, NRP और NRC से इस देश के अल्पसंख्यक( मुसलिम), दलित और सेल्यूलर को परेशान किया जायेगा

NRC के प्रोसेस से गुजरने के बाद लगभग 8-10 करोड अल्पसंख्यक, दलित, और सेकुलर लोग विदेशी घोषित हो जायेंगें, फिर 2022-23 में एक कानून बनाने इनको non-citizens बना दिया जायेगा और इनकी प्रापर्टी को enemy property घोषित कर दिया जायेगा और इन्हे उठाकर Detention Centre में डाल दिया जायेगा ।
NRP के अन्तर्गत सरकार ने जो बायोडाटा बनाया होगा उससे उन्हें पता लग जायेगा किसका घर और कारोबार कहां है और फिर उसे सरकार अपने कब्जा में लेलेगी
और फिर यही प्रापर्टी और घर, दुकान बाहर से आने वाले हिंदुओं को फ्री में दिया जायेगा और उन्हें यहां बसाया जायेगा ।

*अगर किसी को यह लगता है कि ऐसे कैसे सरकार हमारी प्रापर्टी को सील कर लेगी तो उन्हें उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के फार्मूला को समझना होगा किस तरह वह अभी प्रापर्टी को सील करने का कारनामा अंजाम दे रहा ह*ै ।

याद रहे कि यह काम इस्राइल कर चुका है और वहां फिलिस्तीनीयों के बने बनाये घरों में यहूदी लोगों ने कब्जा कर लिया है।
Exactly यही एजेन्डा और प्लान RSS-BJP का भी है,

इसलिए CAA का भी बायकाट करें, NRP जब हो तब अपना बायोडाटा भी सरकार को ना दें और NRC के प्रोसेस में भी भाग ना लें ।

*Note* :- इस पोस्ट को बहुत से न्यूज को पढके तैयार किया गया है।,

भारत देशमे बिना कागज़ात के 30 करोड़ लोग सरकारी आंकड़ा, CAA,NRC, NPR

एनआरसी का समर्थन करने से पहले एक बार अपनी जानकारी दुरस्त कर लीजिए। केंद्र सरकार के खुद के आंकड़ों के हिसाब से इस देश में—

—30 करोड़ लोग भूमिहीन हैं यानी उनके पास कोई जमीन नहीं है (यह आंकड़ा मुद्रा योजना लागू करते समय अरुण जेटली ने सदन में बताया था)। जब इन लोगों के पास जमीन नहीं है तो वे अपने नाम पर दर्ज जमीन के कागजात कहां से लायेंगे?

—1 करोड़ 70 लाख लोग बेघर हैं, ऐसा मेरा नहीं, सरकार की सर्वे करने वाली संस्था NSSO का कहना है। अब मकान ही नहीं है तो मकान के कागजात किसके पास रखे होंगे?

—15 करोड़ विमुक्त एवं घूमंतुओं की आबादी है। आपने बंजारे, गाड़िया लोहार, बावरिया, नट, कालबेलिया, भोपा, कलंदर, भोटियाल आदि के नाम सुने ही होंगे। इनके रहने, ठहरने का खुद का ठिकाना नहीं होता। आज इस शहर, कल उस शहर। ऐसे में क्या इनके पास कोई डॉक्युमेंट्स रखे होंगे?

—इस देश में 8 करोड़ 43 लाख आदिवासी हैं जिनके बारे में खुद सरकार के पास ही अपर्याप्त आंकड़े होते हैं (जनगणना 2011)।

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात—

—1970 में देश की साक्षरता दर 34 प्रतिशत भर थी, यानी 66 प्रतिशत लोग अनपढ़ थे। यानी इस देश के 66 प्रतिशत बुजुर्गों के पास पढ़ाई-लिखाई के कोई कागज नहीं हैं। आज भी करीब 24 प्रतिशत यानी 31 करोड़ लोग अनपढ़ हैं। जब स्कूल ही नहीं गए तो मार्कशीट किस बात की रखी होगी। ऐसे में देश की इतनी बड़ी संख्या के पास पढ़ाई-लिखाई के कोई भी कागजात नहीं हैं।

आप अपने गांव-शहर के सबसे कमजोर-पिछड़े लोगों के घरों पर नजर डालिए और सोचिए कि उनके पास उनके दादा-परदादा के कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स रखे हुए हो सकते हैं? क्या नागरिकता साबित न कर पाने की हालत में इनके पास इतना धन होगा कि ये हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपना मुकदमा लड़ सकें?

एनआरसी जैसा अनावश्यक, बेफिजूल और अपमानजनक कानून केवल मुस्लिमों के लिए ही नहीं है, इस बात को याद रख लीजिए। असम में जो भी हिन्दू शुरुआत में उछल रहे थे वही एनआरसी लागू होने के बाद अपने ही देश में अवैध यानी 'घुसपैठिया' हो गए हैं।

इस बात को समझ लीजिए आपके टैक्स के पैसे से सरकार देश में ऐसा तमाशा करने जा रही है जिसमें आपको लाइन में केवल इसलिए लगना पड़ेगा कि आप यह साबित कर सकें कि आप भारतीय हैं।

(साभार—Shyam Meera Singh)
22.12.19

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2341703669263816&id=100002726174239

तुम कब जागोंगे NRC,NPR, CAA के काले कानून के खिलाफ WHTASAPP मैसेज।

राज्यसभा में देश के गृहमंत्री का भाषण सुन रहा था, वो कहते हैं – ” हम विश्वास दिलाते हैं कि नागरिकता संशोधन बिल (CAB) से देश के किसी मुसलमान को नुकसान नहीं होगा” । सुनकर अचानक से हिटलर की याद आ गयी ।
बात 15 सितंबर 1935 की है। जर्मन के अंदर ‘न्यूरेम्बर्ग कानून’ बनाकर जर्मनी यहूदियों को जर्मन नागरिकता से वंचित कर दिया गया । जर्मन की नाज़ी तानशाही में यह महत्वपूर्ण पड़ाव था जिसका खामियाजा अंत में बड़े पैमाने पर यहूदी नरसंहार और दूसरे विश्वयुद्ध के रूप में सामने आया जिसमें 60 लाख से ज़्यादा यहूदी मारे गए ।

लोकसभा के बाद नागरिकता संशोधन बिल (CAB) राज्यसभा में भी पास हो गया है, यानी की संविधान आधारित स्वतंत्रता, समानता और पंत-निरपेक्षता हार गई।
ये सब हार गए तो फिर जीता कौन ?
जातिवादी, कट्टरवादी, अतिवादी, उन्मादी और साम्प्रदायिक ताक़तें जीत गयी । वो अलग बात है कि यदि देश सीरिया नहीं बना तो इन्हें न इतिहास माफ़ करेगा और न ही आने वाली पीढ़ियां ।

वैसे भी भाजपा सरकार की लगभग 6 साल की नाकामियां अनगिनत हैं, न किसानों की आय दोगुनी हुई, न गंगा साफ हुई, न अर्थव्यवस्था में सुधार लाए, न नौकरियां लाए, न बेटियों को बचा पाए, न विकास कर पाए और न ही आतंकवाद की कमर तोड़ पाए । अब राजनीति धयान हटाने और समाज बांटने की चल रही है, ऐसा लग रहा है जैसे नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लागू होते ही हमारी इकॉनमी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी, देश का बच्चा-बच्चा संस्कृत बोलते हुए भरपेट खाना खायेगा और प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी गाड़ी, अपना घर और नौकरी होगी।

परेशान हूँ ये सोचकर कि यह लोग किस देश को बांटना चाहते हैं ? क्या उस देश को जिस देश में मैं अपने मसलमान दोस्तों के साथ एक प्लेट में खाना खाता हूं ? क्या उस देश को जिस देश में संकट मोचन के मंदिर में उस्ताद बिस्मिल खां की शहनाई बजती है ? क्या यह लोग उस देश को बांटना चाहते हैं जिस देश में मौहम्मद रफ़ी गाना गाते हैं -” मेरे रोम रोम में बसने वाले राम,जगत के स्वामी, ए अंतर्यामी..! मैं तुझसे क्या मांगू ” ?
आखिर देश के मुसलमानों के साथ दुश्मनों जैसे सुलूक क्यों ? क्या देश के इतिहास में, विकास में, आज़ादी में देश के मुसलमानों का कोई योगदान नहीं ? क्या वीर अब्दुल हमीद से लेकर अशफ़ाक़ उल्ला खान, बिस्मिल खान, बहादुर शाह ज़फ़र आदि की कुर्बानियों को भुला देना इतना आसान है ?

ख़ैर…
*मुसलमानों…! तुम भी एक बात समझ लो…नागरिकता संशोधन बिल (CAB) सिर्फ शिया, सुन्नी, देवबन्दी, बरेलवी, अहमदी, बोहरा या वहाबी के लिए नहीं है बल्कि सभी मुसलमानों के लिए है । तुमको मुबारकबाद भी देता हूँ कि तुम फिरकों के चक्कर में आपस में एक दूसरे फिरकों को काफ़िर कहकर संबोधित करते रहो लेकिन सरकार ने तुम सबको मुसलमान मान लिया है ।*

*किसका पजामा कितना ऊंचा है, किसकी टोपी कितनी बड़ी है, किसकी टोपी रंगीन है और किसकी काली है, कौन मजलिस-मातम करता है और मजलिस-मातम देखकर किसका निकाह टूटता है, किसकी मूंछे हैं और किसकी दाड़ी है, किसकी झोपड़ी है और किसका महल है, किसका टायर पंक्चर बनाने का खोखा है और किसका पेट्रौलपम्प है…ये सब तुम जानों लेकिन बस इतना बता दो की तुम में से वो कौन है जिसको मुसलमान नहीं मानकर नागरिकता संशोधन बिल (CAB) से अलग रखा गया हो।*

ख़ैर… तुम्हारे मस्लक़ो के झगड़े हैं , तुम जानों ।

मूसा ने ठोकर खाकर सबक लिया था, गांधी को एक धक्के ने जगाया था, और तुम कब जागोगे ये तुम्हारा मसअला है । मुझे क्या मैं तो ख्वामख्वाह ही लिख रहा हूँ, तुम तो अपने अल्लाह के कहने से नहीं जागे, अपने रसूल के कहने से नहीं जागे और अपने क़ुरआन के कहने से नहीं जागे तो मेरे लिखने से भला कैसे जाग जाओगे ? तुमको जगाने के लिए फिर एक कर्बला की ज़रूरत है ।

वो कर्बला जिसमें हुसैनी गुण हो, हुसैनी जज़्बा हो, हुसैनी अंदाज़ हो । कर्बला को पढ़ो फिर कर्बला से सीखो ।

विपुल चौहान

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Wednesday, 25 December 2019

क्या आप आज़ाद है ? क्या भारत देश आजाद है?

1947 में देश आजाद हुआ देश की अंतरिम वहीवटी सरकार बनी और अंतरिम वहीवटी सरकार ने संविधान बनाने की पहल की और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे और प्रारूप समिति के अध्यक्ष् डॉ बी आर अंबेडकर थे
2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान बनके तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया है ।

लेकिन *लैंड रेवेन्यू रूल्स 1921* के आधार से पता चलता हे की भारत देश 1870 से 1969 तक *99 ईयर लीज* पर था। यानी भारत देश की पूरी जमीन भाड़े पर थी।
On page no.396 it is mentioned. ..
"The meaning of the fixed period is that if at the begining
of the period in 1870 a lease is granted for 99 years it runs
till 1969, but if in 1900 a second plot is given out under
the same rule, it is granted on lease also upto 1969 only."
इस देश में बहार से आये लोगों को 99 वषॅ के lease पर रहेने का आदेश है, जो 1969 में रद-खतम हो जाता है।

"Even in 1950 the lease would be granted only for 19
years."
1950 के बादभी lease 19 साल तक का ही रहेगा।
...as such the constitution of India is exhausted in 1969
itself.
"But we may assume it would be corrected by a practical
understanding that in 1969 they would all be renewed on
reasonably revised rentals."
हम यह अनुमान करते है की 1969 के बाद lease renew कीया जायेगा।
पर 1969 के बाद इस देश के आदिवासी ने बिन- आदिवासीओ के लिए lease renew किया ही नही और हुआ भी नही।

इसका मतलब यह होता है कि जिस लीज पीरियड के दौरान लीज धारक  कंपनी ने  उसका *ट्रान्सफर ऑफ़ पावर* तब की तत्काल संगठन NGO ट्रस्ट यानी कांग्रेस को दिया 1969 तक। और 1950 में इस जमीन पर बाहरी इमिग्रेंट्स के जीवन जीने के नियम कायदे यानी *भारतीय संविधान* को लागू किया। अब जब वह लीज 1969 में खत्म हो गया तोह लीज पीरियड के दौरान बने नियम कायदे संविधान भारत देश की जमीन पर लिस अग्रीमेंट के साथ खत्म होते है।

*लेकिन हम आदिवासीओ को नई नई योजना और विकास का झूठा जुमला दिखा कर आदिवासीओ को इलेक्शन के नाम पर वोट मत लेकर वह 1969 के बाद भारत इंडिया में रहने की परमिसन ले रहे है। और हम हर 5 साल उन्हें मत वोट की प्रक्रिया दोहराकर इस देश मे पनाह दे रहे।*

इसी लिए 1950 से देश को चलाने वाली वहीवटी कंपनी ON INDIA GOVERNMENT SERVICE यानी कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर, चीफ जस्टिस, जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, कप्तान, कर्नल, मेजर, कमांडर-इन-चीफ, आई.जी., डी.आई.जी., कमिशनर, डी.एस.पी., इस्पेक्टर, पी.एस.आई., गवर्नर, तेहशीलदार, पटेल, पटवारी, सरपंच, कामदार से ले कर चपरासी तक सभी कुली, हमाली, नोकर, सेवक और जिनके लिए उन को चुना गया हे वह बिन-आदिवासी प्रजा 15 अगस्त को तिरंगे का अपमान नहीं करना हे।

सभी को दिए हुए ड्रेस में हाजिर रह कर तिरंगे को सलामी देनी हे।

इस लिए 15 अगस्त यानि उनका त्यौहार होने से 24×7 के बंधन हेतु उन्हें हाजिर रहना पड़ता है।

दुख की बात यह है कि हमारे पढ़े लिखे लोग आज भी उसी विदेसी पक्ष पार्टी के लिए काम करते है। और अपने मालिक खुद चुन कर गुलामी करते है। क्या आप आज़ाद है ????

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...