09 disambar 2019
कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया. इसी विरोध के बाद बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा और बिल पेश करने के पक्ष में 293 व विरोध में 82 वोट पड़े. इस मतदान में शिवसेना ने सहयोगी कांग्रेस के खिलाफ जाकर मोदी सरकार का समर्थन किया.
शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी का तीन दशक पुराना सियासी रिश्ता भले ही टूट गया हो, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों पर उद्धव ठाकरे की पार्टी अब भी पुराने दोस्त के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. अभी महाराष्ट्र में बीजेपी से अलग होकर सरकार बनाने वाली शिवसेना के सामने जब लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल का मसला आया तो उसने खुले तौर पर मोदी सरकार के इस बिल का समर्थन किया.
हालांकि, लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जब बिल पेश किया तो उससे पहले ही अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने इस मसले पर एक शर्त भी रखी. शिवसेना ने कहा है कि नए नागरिकता बिल के तहत जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, उन्हें 25 सालों तक वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.
शिवसेना के इस रुख का पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने अपने ट्वीट से भी समर्थन किया. संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि अवैध नागरिकों को देश से बाहर करना चाहिए, साथ ही हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता भी दी जानी चाहिए, लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए. राउत ने इस मसले पर अमित शाह से भी सवाल किया.
बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल ये है कि सोमवार को जब अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया तो कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया. यहां तक कि अमित शाह के भाषण के बीच में भी कांग्रेस की तरफ से कई बार आपत्ति की गई, लेकिन जब लोकसभा में बिल पेश करने के मतदान का नंबर आया तो कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में उसकी सहयोगी शिवसेना खड़ी नजर नहीं आई.
कांग्रेस के साथ तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया. इसी विरोध के बाद बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा और बिल पेश करने के पक्ष में 293 व विरोध में 82 वोट पड़े. इस मतदान में शिवसेना ने सहयोगी कांग्रेस के खिलाफ जाकर मोदी सरकार का समर्थन किया.
👉 लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश
👉 संसद में शिवसेना मोदी सरकार के साथ