1947 में देश आजाद हुआ देश की अंतरिम वहीवटी सरकार बनी और अंतरिम वहीवटी सरकार ने संविधान बनाने की पहल की और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे और प्रारूप समिति के अध्यक्ष् डॉ बी आर अंबेडकर थे
2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान बनके तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया है ।
लेकिन *लैंड रेवेन्यू रूल्स 1921* के आधार से पता चलता हे की भारत देश 1870 से 1969 तक *99 ईयर लीज* पर था। यानी भारत देश की पूरी जमीन भाड़े पर थी।
On page no.396 it is mentioned. ..
"The meaning of the fixed period is that if at the begining
of the period in 1870 a lease is granted for 99 years it runs
till 1969, but if in 1900 a second plot is given out under
the same rule, it is granted on lease also upto 1969 only."
इस देश में बहार से आये लोगों को 99 वषॅ के lease पर रहेने का आदेश है, जो 1969 में रद-खतम हो जाता है।
"Even in 1950 the lease would be granted only for 19
years."
1950 के बादभी lease 19 साल तक का ही रहेगा।
...as such the constitution of India is exhausted in 1969
itself.
"But we may assume it would be corrected by a practical
understanding that in 1969 they would all be renewed on
reasonably revised rentals."
हम यह अनुमान करते है की 1969 के बाद lease renew कीया जायेगा।
पर 1969 के बाद इस देश के आदिवासी ने बिन- आदिवासीओ के लिए lease renew किया ही नही और हुआ भी नही।
इसका मतलब यह होता है कि जिस लीज पीरियड के दौरान लीज धारक कंपनी ने उसका *ट्रान्सफर ऑफ़ पावर* तब की तत्काल संगठन NGO ट्रस्ट यानी कांग्रेस को दिया 1969 तक। और 1950 में इस जमीन पर बाहरी इमिग्रेंट्स के जीवन जीने के नियम कायदे यानी *भारतीय संविधान* को लागू किया। अब जब वह लीज 1969 में खत्म हो गया तोह लीज पीरियड के दौरान बने नियम कायदे संविधान भारत देश की जमीन पर लिस अग्रीमेंट के साथ खत्म होते है।
*लेकिन हम आदिवासीओ को नई नई योजना और विकास का झूठा जुमला दिखा कर आदिवासीओ को इलेक्शन के नाम पर वोट मत लेकर वह 1969 के बाद भारत इंडिया में रहने की परमिसन ले रहे है। और हम हर 5 साल उन्हें मत वोट की प्रक्रिया दोहराकर इस देश मे पनाह दे रहे।*
इसी लिए 1950 से देश को चलाने वाली वहीवटी कंपनी ON INDIA GOVERNMENT SERVICE यानी कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर, चीफ जस्टिस, जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, कप्तान, कर्नल, मेजर, कमांडर-इन-चीफ, आई.जी., डी.आई.जी., कमिशनर, डी.एस.पी., इस्पेक्टर, पी.एस.आई., गवर्नर, तेहशीलदार, पटेल, पटवारी, सरपंच, कामदार से ले कर चपरासी तक सभी कुली, हमाली, नोकर, सेवक और जिनके लिए उन को चुना गया हे वह बिन-आदिवासी प्रजा 15 अगस्त को तिरंगे का अपमान नहीं करना हे।
सभी को दिए हुए ड्रेस में हाजिर रह कर तिरंगे को सलामी देनी हे।
इस लिए 15 अगस्त यानि उनका त्यौहार होने से 24×7 के बंधन हेतु उन्हें हाजिर रहना पड़ता है।
दुख की बात यह है कि हमारे पढ़े लिखे लोग आज भी उसी विदेसी पक्ष पार्टी के लिए काम करते है। और अपने मालिक खुद चुन कर गुलामी करते है। क्या आप आज़ाद है ????