*आज कल हमारे मुस्लिम समुदाय के हालात बद से बदतर हो गए हैं। आज कल समाज के ठेकेदार अपनी अपनी सरदारी साबित करने में लगे हुए हैं उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है की समुदाय का क्या होगा उन्हें बस फिकर इतनी सी है की हम मे से सरदार कौन होगा। जिस दिन यह सरदारी वाले एक दूसरे की टांग खींचने की जगह एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलना शुरू कर देंगे तो जरूर कौम को इन सा अल्लाह सही राह पर ले जा सकते हैंl*
दो शेरों में आपस में दोस्ती थी जीन में एक शेर बुढ्ढा था और एक जवान बहुत गहरे दोस्त थे मगर एक दीन किसी बात को लेकर दोनों में तू तू मैं मैं हो गई उसी दीन से दोनों ने आपस में बात चीत और मिलना जुलना बंध कर दिया समय गुजरता गया की एक दीन बुढ़ा शेर रास्ते पर बैठा हुआ था लेकीन कमजोर होने की वजह से कुत्ते उसकी चारों और आकर भौंक ने लगे इतने में वहा से उस जवान शेर का गुजरना हुआ उस ने तुरंत जाकर उन भौंकते कुत्तों को भगाया और अपने रास्ते चलने लगा यह तमाशा एक तीसरा शेर देख रहा था उसने जवान शेर से कहा भाई आप दोनों की तो दोस्ती टुट चुकी हैं फिर तू क्यों उसकी मदद को पहुंचा जवान शेर बोला ये मेरी और उसकी दोस्ती या दुश्मनी पर हमला नहीं था ये तो सब शेरों का मसला था आज कमजोर समझकर कुत्ते इस पर टूट पड़े कल पूरे समुदाय पर टूट पड़ेंगे*
*मतलब यह है कि हमारे आपस में मतभेद कितना भी हो मगर मनभेद नहीं होना चाहिए हमारे मतभेदों को आपसी सहयोग से सुलझा कर हमे एक जूट होकर समाज के फायदे और तरक्की व बदलाव के लिए निस्वार्थ भाव से आगे बढना होगा तभी समाज के नौजवानों को हम एक अच्छा प्लेटफार्म दे सकते हैं*
बात कड़वी जरूर है
Amir Malek