"उठो जागो मुसलमानो उठो अभी नही तो कभी नही"
24 jau.2020
Huzaifa Patel (Dedicated Worker)
SAF🤝Team Bharuch Guj.
समाज और देशके हालात देखते हुये आज मुसलमानो की खामोसी से ज्यादा उसकी मानसिकता ओर मानसिक गुलामी उसके असली करिदार से दूर रखते नजर आ रही है, खामोसी तभी टूट सकती है जब एक सच्चा मुसलमान मानसिक गुलामी से बहार निकलने के लिये अपने आपसपास के हालात को समझते हुये समजदारी से अपने अंदर के इमानि तक़वीयत पर सही और गलत की पेहचान करे ओर इसका रास्ता बनाये
हमारी मानसिक गुलामी के कूच विषय नीचे परहे।
नंबर 1- मशल्क,फिरकापरस्ती, जातिवादी विचारधारा हमारी सबसे पेहले मानसिक गुलामी है,जो हमने खुद अपने अंदर हमारे दुश्मनो से ज्यादा खतरनाक हमारी दुश्मन है, जिसमे से निकलना हर अक़्लमंद समझदार इंसान ओर एक सच्चे मुसलमान की अपनी जिम्मेदारी है,ओर हमारा सबसे पहले कार्य होना चाहिये।
नंबर 2 - हमारे लोग आजभी सामाजिक,राजक्रिय,धार्मिक लीडरशिप क्या होती है, इसका ज्यादा अध्य्यन नही कर पाये है, समाजकी लीडरशीप से समाजको क्या मिलता है ओर क्या नही उसकी समझ समाज मे बहोत कम है,
कमजोर मानसिकता से समाज अपनी वर्तमान गम्भीर परिस्थितियों को जेहनी ओर वैचारिक तौर पर गम्भीर नही ले पा रहा है।
नंबर 3 - मुस्लिम समाजके बहुमत वाले गांव और शहेर के मुस्लिम विस्तार येे गलत फहमी में है हम बहुमत की वजाहसे सुरक्षित है, जिसकी वजाहसे वो वर्तमान समस्याओ पर गम्भीरता प्रति अपनी ना सोच बना रहे है, ओर आगे आनेवाला खतरे की उनको कोई परवाह है,ये मानसिकता समाजमे कूच लोंगोकि सोचसे बनती है जो समाजकी तबाही है।
नंबर 4 - हमारे समाजके वो लोग जिनको अल्लाह ने माल-मिलकत से नवाजा है,जिनमे कूच लोग धार्मिक कार्यो में कूच सखावत करके अपने आपको मुस्लिम कहते है, जो मस्जिद ,मदरसों ओर ह्दयों के अलावा और बड़े बड़े फक्शन के अलावा समाजकी वर्तमान अस्तित्व की गम्भीर परिस्थियों पर अपना कोई योगदान ना देकर बस कूच धार्मिक कार्यो से अपनी मानसिकता बनाये हुये है, के हम समाजको मदद कर रहे है।
नंबर 5 - समाजके युवा जो हालात को देखते हुये कूच करने का जनून होता है, लेकिन जब किसी कार्यो की शरुआत करनी होती है, तो अपने समाजके बड़े लोंगोंके इंतिजार में अपनी सलाहियत ओर शक्ति इस लिए रोके रखता है, के हमारे लीडर लोग आगे आयेंगे तो हम करेंगे जो हमारे युवाओ की सबसे बड़ी कमजोर मानसिकता है,
जिसकी वजाहसे समाजका युवा अपने अंदर गुटन महसूस कर रहा है।
"कर सके तो खुदकर किसीका इंतिजार मत कर"
हमारी समस्या दिन बदिन बढ़ती जा रही है बस हमे अपनी जिम्मेदारी का एहसास ओर समस्याओं की गम्भीरता समजने की सबसे पहले जरूरत है।
खामोसी तोड़ो अपना किरदार दिखावो
इस विषय मे आप अपने विचार कोमेंट करे।