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Tuesday, 14 January 2020

आजाद भारत मे 8 सालमे 307 बार इंटरनेट बंध किया । 1912 से 2020

दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने वाला देश बन भारत, 92 अरब का नुकसान।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को अपने फैसले में कहा कि इंटरनेट संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत लोगों का मौलिक अधिकार है।

इंटरनेट पर रोक के सरकार के आदेशों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद इस बारे में बहस तेज हो गई है। कश्मीर में जारी पाबंदियों की समीक्षा करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने कहा कि यह लोगों का मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को अपने फैसले में कहा कि इंटरनेट संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत लोगों का मौलिक अधिकार है। यानी यह जीने के हक जैसा ही जरूरी है।

क्या है अनुच्छेद 19: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 भारत के नागरिकों के लिए कुछ मौलिक अधिकारों की बात करता है। अनुच्छेद 19 (1) के तहत ये हमारे मौलिक अधिकार हैं : सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बिना हथियार किसी जगह शांतिपूर्वक इकट्ठा होने, संघ या संगठन बनाने, कहीं भी स्वतंत्र रूप से घूमने, भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने, कोई भी व्यवसाय- पेशा अपनाने या व्यापार करने का अधिकार। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में एक फैसले में कहा था कि इंटरनेट एक्सेस नागरिकों का हक है।


इंटरनेट रोकने की कानूनी प्रक्रिया: भारत में इंटरनेट सेवाएं रोकने के लिए अभी दो कानूनी प्रावधान और एक नियमावली है। ये हैं- कोड आॅफ क्रिमिनल प्रासीजर- 1973 (सीआरपीसी), इंडियन टेलिग्राफ एक्ट- 1885 और 2017 का टेंपररी सस्पेंशनआॅफ टेलिकॉम सविर्सेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स। इनके आधार पर ही सरकारी एजंसियां भारत के जिलों या राज्यों में इंटरनेट बंद करने का फैसला करती हैं। इसकी पूरी प्रक्रिया है। केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट पर रोक करने का आदेश देते हैं। यह आदेश एसपी या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी के माध्यम से सेवा प्रदाता को भेजा जाता है।


4,196 घंटे रोक, 92 अरब नुकसान: साल 2019 में सरकार ने कई बार इंटरनेट बंद किया। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने वाला देश भारत ही है। इंटरनेटशटडाउंस डॉट इन के मुताबिक, 2012 से लेकर 2019 तक भारत में कुल 379 बार इंटरनेट बंद किया गया है। केवल 2019 में ही 103 बार इंटरनेट को बंद किया गया है। सबसे अधिक प्रतिबंध जम्मू-कश्मीर में 180 बार लगाया गया है। शोध संस्था टॉप10वीपीएस के मुताबिक, इससे भारत को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। भारत को करीब 1.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 92 अरब 18 करोड़ 75 लाख 50 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। केवल कश्मीर में करीब 78 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।


केरल में इंटरनेट मूलभूत अधिकार: केरल ने अब से करीब तीन साल पहले इंटरनेट को लोगों का मूलभूत अधिकार घोषित कर दिया था। मार्च 2017 में ही केरल ने हर नागरिक के लिए भोजन, पानी और शिक्षा की तरह इंटरनेट को भी मूलभूत अधिकार की श्रेणी में रख दिया था। अपने बजट में इस राज्य ने अपने 20 लाख गरीब परिवारों तक इंटरनेट की पहुंच देने के लिए योजना बनाई थी और फंड आवंटित किया था।

संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेट अधिकार: संयुक्त राष्ट्र ने भी सभी देशों से लोगों के लिए इंटरनेट को मौलिक अधिकार बनाने की सिफारिश की है। कोस्ट रीका, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, ग्रीस और स्पेन में इंटरनेट को नागरिकों का मूलभूत अधिकार घोषित किया जा चुका है। इन देशों ने अपने संविधान में इसे चिन्हित किया है। भारत और पाकिस्तान के बाद जिन देशों में इंटरनेट बंद किए जाने के सबसे अधिक मामले सामने आए, उनमें इराक (सात बार), यमन (सात बार), इथियोपिया (छह), बांग्लादेश (पांच और रूस (दो) शामिल हैं।


रूस की सरकार एक तरह का समानांतर इंटरनेट बना रही है, जो केवल रूस की सीमाओं में ही उपलब्ध होगा। तब रूस की सरकार का लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल करने पर पूरा नियंत्रण होगा। चीन में सरकार या देश विरोधी कंटेंट रोकने के नाम पर कई फिल्टर लगाए गए हैं। चीन ने कई वेबसाइटों पर भी रोक लगा रखी है।


Huzaifa Patel.     

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