मूर्खमूर्ख हैं वो लोग जो CAB का विरोध आज नहीं कर रहे हैं।
वही लोग कल हाथ मलेंगे अपनी मूर्खता पर, मेरा विरोध करने से पहले मेरे कुछ सवालों के जवाब दें फिर शौक से विरोध करें।
असम के 20 लाख लोग पाकिस्तानी हैं क्या ?
अकेले असम में 19 लाख लोग इससे प्रभावित हैं जिसमें 14 लाख sc,stऔर obc हैं। सिर्फ 5 लाख मुस्लिम हैं। मगर मीडिया सिर्फ मुसलमान की बात कर रहा है। इस षडयंत्र में भारत का मूलनिवासी समाज पिस जाएगा।
सोचिये पूरे देश का आंकड़ा क्या होगा ऊपर से इसे रेवेन्यू रिकार्ड से जोड़ा जा रहा जिसके बाद पूरा देश नागरिकता प्रमाणपत्र बनवाने की लाइन में होगा
और मनमाना वसूली की जाएगी।
इससे भी वीभत्स तो ये है कि sc, st समाज, 25% OBC अपनी राष्ट्रीयता साबित नहीं कर पायेगा क्योंकि उनका नाम 1971 के रेवेन्यू रेकॉर्ड में था ही नहीं।
राजीव गांधी के समय 1991 में उनका नाम जोड़ा गया।
व्हाट्सएप_यूनिवर्सिटी के ज्ञान से काम नहीं चलेगा पढ़ना पड़ेगा क्या समझे ?
रेवेन्यू_रिकार्ड का मतलब जानते हैं या वो भी बताना पड़ेगा ?
👉कोई "WhatsappUniversity" का ज्ञानी मुझे बताएगा कि किस घुमंतू हिन्दू जातियों के पास 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड मिलेगा ?
👉लाखों आदिवासी जो जंगलों में रहते हैं और उनका पूरा जीवन जंगलों पर ही आश्रित है वो कहाँ से लाएंगे 1971 का रेवेन्यू रिकार्ड?
👉किस (SC) खासकर दुसाध,चमार,धोबी पासी,नट, मुसहर, खटीक, धानुक,धांगड़,बहेलिया, बनपर,गोढ़ी,कानू जमादार जैसी हज़ारों जातियों के पास 1971 से पहले का रेवेन्यू रिकॉर्ड मिलेगा ?
👉कितनी ही पिछड़ी(OBC /બક્ષીપંચ ) जातियों ख़ासकर राजभर, प्रजापति, लोहार,कहार, कुम्हार, कुर्मी,नाई तेली,सुड़ी,हलुवाई, गड़ेरिया जैसी हज़ारों जातियों के पास 1971 से पहले का रेवेन्यू रिकॉर्ड नहीं मिलेगा। यहाँ तक की क्षत्रिय बने घूम रहे अहीर समाज के 20% लोगों के पास भी रेवेन्यू रिकॉर्ड मिलना मुश्किल है।
👉जो हमारे भाई उत्तर प्रदेश, बिहार या किसी भी प्रदेश के हों, वो अपने ही देश मे किसी अन्य प्रदेश में जाकर बस गए हैं वो कहाँ से लाएंगे 1971 से पहले का रेवेन्यू रिकार्ड। है किसी के पास ज़वाब ?
👉ये काला_कानून आपको वर्षों अपकी नागरिकता साबित करने के नाम पर लाइन में खड़ा कर आर्थिक शोषण करने और मनुस्मृति लागू करने के लिए बनाया गया है मुस्लिम-विरोध तो छलावा मात्र है।
👉आखिरी सवाल क्या ये सभी मुसलमान हैं ?
अगर नहीं तो क्या हिन्दू का मतलब सिर्फ सवर्ण है ?
*रेवेन्यू रिकॉर्ड्स-1971 के पहले का* :- क. जमीन का मालगुजारी भुगतान रशीद।
ख. बिजली बिल भुगतान रशीद।
ग. टेलीफोन बिल भुगतान रशीद।
घ. बैंक या डाकघर पासबुक।
डं. बीमा पॉलिसी दस्तावेज।
आईये अब इस धूर्त सरकार द्वारा वांछित उपरोक्त रेवेन्यू रेकॉर्ड्स की विवेचना करें -
क. ग्रामीण क्षेत्र में वर्षों से रैयतों ने कृषि योग्य भूमि अथवा वासगीत भूमि का मालगुजारी भरा ही नहीं। *यदि किसी ने भरा भी है तो 50 साल पुराना रेवेन्यू रशीद शायद ही उपलब्ध हो।*
ख. 1971 के पहले लाखों गाँवों में बिजली पहुंची तक नहीं थी।आज से 50 साल पहले भारत ढिबरी युग या लालटेन युग में था। *कहाँ से लाएँगे लोग 50 साल पुराना बिजली-बिल का भुगतान रशीद ??*
ग. 1971 के पहले तो ग्रामीण भारत ने टेलीफोन देखा तक नहीं था। चंद रईशों,जमींदारों, सामंतों अथवा ब्रिटिश सरकार के हुक्मरानों के पास ही टेलीफोन उपलब्ध था। तब कुछ लोग सिनेमा में इसकी झलक पा लेते थे। *ग्रामीण भारत कहाँ से लाएगा 50 साल पुराना टेलीफोन-बिल का भुगतान रशीद??*
घ. आज से 50 साल पूर्व ग्रामीण भारत ने बैंक या डाकघर का रूख नहीं किया था।तब तो दादी-नानी,माँ-बहनों के *पौगली-कुढ़िया* का जमाना था। बमुश्किल 5% लोग बैंक या डाकघर से जुड़ पाए थे। *कहाँ से लाएँगे लोग बैंक-डकघर के दस्तावेज?*
ड़. आज से 50 साल पहले लोगों में बीमा के प्रति जागरूकता नहीं के बराबर थी। 1999 में जब बाजपेयी सरकार ने बीमा उद्योग का नीजिकरण किया तो अधिकृत सरकारी आँकड़े दियो गए थे कि अभी तक{1956 से 1999 तक} मात्र 20% भारतीय ही बीमित है अर्थात 80% भारतीयों के पास 1999 तक कोई बीमा दस्तावेज नहीं था। जिन 20% भारतीयों के पास बीमा पॉलिसी थी तो पॉलिसी मैचुरीटी के बाद बीमा कंपनी 6 वर्ष बाद दस्तावेज विनष्ट कर देती है। फिर लोग कहाँ से लाएँगे 50 साल पुराना बीमा दस्तावेज?
कुल मिलाकर NRC- National Register of Citizenship और CAB- Citizenship Amendment Bill., डलहौजी से भी खतरनाक बेदखली और हड़पनीति है।
डलहौजी ने तो भारतीय राजा-राजबाड़ों का राज्य और जागीर हड़पने का काला कानून बनाया था लेकिन आर.एस.एस के औलाद ने तो गरीब-असहाय एस सी/एसटी/ओबीसी का सर्वस्व हड़पने का काला कानून बना लिया है।
इसलिए.....
जागिये एकजुट होकर लड़िये इन धूर्तों से इससे पहले कि सब कुछ बर्बाद हो जाये।