बेगुनाहो का रंग है - जोहर इन कश्मीर lyrics | जोहर इन कश्मीर - बेगुनाहो का रंग है lyrics
बेगुनाहों का लहू है ये रंग लायेगा
दगे दामन पे न आया तो दिल पे आएगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
बेगुनाहों का लहू है ये रंग लायेगा
हमारे भाई हुए हम न हुए
कर्बला के सितम तो काम न हुए
जुल्म दुनिआ में अब भी जिंदा है
आदमियत है के शर्मिंदा है
आदमियत है के शर्मिंदा है
माँ सहीदो की अब भी रोती है
जुल्म की हद भी कोई होती है
हक़ पराषटो को बिना हक़ मारा
हाय दिल गम से है पारा पारा
हाय दिल गम से है पारा पारा
ये दीद की हो हुकूमत या किसी जालिम की
हर एक ज़ुल्म का इंसाफ किया जायेगा
हर एक ज़ुल्म का इंसाफ किया जायेगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम का बक्शा जायेगा
बेगुनाहो का रंग है ये रंग लायेगा
जर्रे जर्रे में गुजर हक़ का है
सबकी हरकत पे नजर रखता है
नेक और पक्षपा नहीं उससे
खुदा तो सब की खबर रखता है
खुदा तो सब की खबर रखता है
मेहर पे आये तो गफ़्फ़ार भी है
कहर पे उतरे तो जफ्फर भी है
यु तो हर दिन से ऊपर है खुदा
आदमियत का तरफ़दार भी है
आदमियत का तरफ़दार भी है
शोले नफरत के दिलो में न तू भड़का जालिम
अपनी ही आग में तू आप की जल जायेगा
अपनी ही आग में तू आप की जल जायेगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
बेगुनाहों का लहू है ये रंग लायेगा
नहीं काफी है मुस्लमान होना
बाक नहीं हकी चतुरा होना
अल्लाह का प्यार पाने को
लाज़मी है तेरा इंसान होना
लाज़मी है तेरा इंसान होना
अमल तो साथ तेरे हो लेगा
कहूं तो सर चढ़ कर बोलेगा
खुदा मजहब ही न देखेगा तेरा
तेरी इंसानियत भी तोलेगा
तेरी इंसानियत भी तोलेगा
प्यार पर रखती है बुनियाद हर एक मजहब की
कोई तलवार पे रखेगा तो क्या पायेगा
कोई तलवार पे रखेगा तो क्या पायेगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
बेगुनाहों का लहू है ये रंग लायेगा
तूने प्यासो से प्याले छीने
तूने होठो से निवाले छीने
तूने शेम जलै कब्रों पर
और मकानो से उजले छीने
और मकानो से उजले छीने
दिलो में फरक इस कदर डेल
तूने दरिया भी खून से भर डाले
एक धरती बनाई अल्लाह ने
तूने टुकड़े हज़ार कर डाले
तूने टुकड़े हज़ार कर डाले
गुनाह करता है तू किसके लिए सोच तो ले
खली हाथों की तू तनहा यहाँ से जायेगा
खली हाथों की तू तनहा यहाँ से जायेगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
बेगुन्हा का लहू है ये रंग लायेगा
ये पडोशी से लड़ाई कैसी
सभी भाई है जुदाई कैसी
ये तबाही की सारी बाते है
इसमें इंसान की भलाई कैसी
इसमें इंसान की भलाई कैसी
नेक नीयत को तू अरमाँ करले
आदमियत को तू इमां करले
यही इस्लाम की नशीहत है
अपने दिल को भी मुस्लमान करले
अपने दिल को भी मुस्लमान करले
हद से आगे न तू बढ़ वक़्त है करले तौबा
रोज़ समझने को प्रवेश नहीं आएगा
रोज़ समझने को प्रवेश नहीं आएगा
आने वाला है दिन क़यामत का
कोई जालिम न बख्शा जायेगा
बेगुन्हा का लहू है ये रंग लायेगा
दाग दामन पे न आया तो दिल पे आएगा.