Followers

Monday, 23 March 2020

कोरोना वायरस की वजह से मस्जिद की जमाअत और मस्जिद बंध कर देना.



⭕आज का सवाल २०३८⭕

कोरोना वायरस का चेप न लग जाये इस निय्यत से मस्जिद की जमात बंध कर देना या मस्जिदो को ताले लॉक लगा देना कैसा है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا مسلما 

कोरोना वायरस ये ताऊन वबाई बीमारी है, ताऊन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के दौर में फेला था, आप ने इस के बारे में बहुत सी हिदायत दी है, लेकिन बा-जमाअत नमाज़ छोड़ने की और मस्जिद बंध करने को नहीं फ़रमाया, हाँ जिस को ऐसी बीमारी हुवी हो उस से दूर रहने को फ़रमाया। 

हज़रत उमर रदि अल्लाहु अन्हु वगैरह सहाबा के दौर में भी ताऊन फेला था, आप रदी. ने सहाबा को बुला कर इस बारे में मशवरा किया था, लेकिन नमाज़ की जमात, जुमुआ छोड़ना, मस्जिद बंध करना, उन से भी साबित नहि, बल्कि तमाम सहाबा रदि अल्लाहु अन्हू, ताबीइन, तबे ताबीइन रहमतुल्लाह अलैहिम जो क़ाबिले इत्तिबा है इन के ज़माने भी ताऊन आया था, लेकिन ऐसा करना किसी से साबित नहि।

नमाज़ की जमात ताऊन के अज़ाब में छोड़ने की चीज़ नहीं, बल्कि जो न पढता हो उसे भी बा जमात नमाज़ शुरू करना चाहिए, क्यों के कोई भी डरने की चीज़ पेश आती तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम फ़ौरन मस्जिद की तरफ दौडते।
ओर नमाज़ और सब्र के ज़रिये हम को अल्लाह की मदद माँगने को क़ुरआन में फ़रमाया है।

💠(सुरह  बक़रह आयत १५३)

अलबत्ता बतौर एहतियात घर से साबून लगा कर वुज़ू करे, और नमाज़ से पहले और बाद की सुन्नते घर पढे, और मस्जिद की सफाई और सुथराई का ज़यादा एहतमाम किया जाए, और मुसल्लियों को मास्क पहनने का पाबन्द बनाया जाए, और इमाम मुख़्तसर क़िरात करे, तो ये बाते शरीअत से साबित और पसन्दीदाह है। 

ओर जिस को कोरोना वायरस की बीमारी हो उस पर जमात की नमाज़ मुआफ है, उसे मस्जिद में आने न दे, फुक़्हा ने मसला लिखा है के जिस के जिस्म  या मुंह से बद्बू आती हो और जिस की बीमारी से मुसल्ली को तकलीफ़ होती हो वह मस्जिद में न आए।

ये बीमारी लगना यक़ीन या ज़नने ग़ालिब के दर्जे में नहीं है, सिर्फ वहम और शक के दर्जे में है, लिहाज़ा कोरोना वायरस मस्जिद की जमात मुआफ होने का उज़्र नहीं बन सकता, और मस्जिद में जमात की नमाज़ के अलावह ज़िक्र, तिलवात, दुआ, मसाइल पुछने वग़ैराह, और आजकल नमाज़ी के लिए अपनी तबई ज़रुरत पूरी करने की भी जगह है, उसे बंध करना वक़फ की हुवी चीज़ों के मक़ासिद के भी खिलाफ है, लिहाज़ा मस्जिद को बंध नहीं करना चाहिये।

बीमारी का लगना अल्लाह के हुक्म के बगैर हो नहीं सकता, अगर बंध की गयी तो इंडिया जैसे छूट-छात को मानने वाले मुल्क में और ता'सुब (भेदभाव) की वजह से मुस्तक़बिल (भविस्य) में बहुत सी रुकावटे पेश आ सकती है।

*लिहाज़ा ऐसी गलती न करे*

🎤शैखुल इस्लाम हज़रात मुफ्ती तक़ी उस्मानी  साहब दाब।

🔭फकिहुल हिन्द हज़रत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी दाब।
(अहकार के इज़ाफ़े के साथ)

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓 हिजरी तारीख़ :*
२३ रज्जब~उल~मुरज्जब १४४१ हिजरी 

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌 उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा व सेक्रेटरी जमीयते उलमा सूरत शहर, गुजरात, इंडिया

📲💻
🌍 http://aajkasawal.page.tl
🌍 www.aajkasawal.in

7/11 मुंबई विस्फोट: यदि सभी 12 निर्दोष थे, तो दोषी कौन ❓

सैयद नदीम द्वारा . 11 जुलाई, 2006 को, सिर्फ़ 11 भयावह मिनटों में, मुंबई तहस-नहस हो गई। शाम 6:24 से 6:36 बजे के बीच लोकल ट्रेनों ...