आज बड़ी गंभीरता से एक बात लिख रहा हु
कल तक जो रोड खून से सने थे आज उन्हें सुनसान देख रहा हु
की कुदरत की ऐसी आफत को पहले देखा न था
पर अब उसे इंसान को उसकी औकात दिखाते हुए देख रहा हु
कल तक जो आमादा थे एक कोम के खिलाफ
आज उनही को कमरो में बंद परेशान देख रहा हु।
तकलीफ थी जिनहे मज़हब से अब्दुल के
आज उस अब्दुल को ही उस शख्स का इलाज करते देख रहा हु
तलवारें खरीदने की बाते कर रहे थे जो कल तक
आज उन्हें भी सैनिटाइजर की दुकान पर देख रहा हु।
की बात करते थे जो 5 ट्रिलियन इकॉनमी की
आज उसे में थाली बजाते हुए देख रहा हु।
और वो जो दावे करते थे खुद के खुदा होने पर
आज उन्हें भी खुदा के आगे झुकता देख रहा हु।
और कल तक जो मुस्कुरा रहे थे मेरे अपनो के खून पर
आज उनके चहरे पर भी मौत का खोफ देख रहा हु।
और में तो मज़लूम काफी वक्त से रो रहा था
लेकिन अब मेरे साथ सारी दुनिया को रोता देख रहा हु।
कोई इस वक्त कितना भी हो ख़ौफ़ज़दा लेकिन अब इस वक्त में खुद को बेखोफ महसूस कर रहा हु।
खुदा की भेजी हुई है ये आफत
में तो उसी पर अब ऐतेबार कर रहा हु।
और खून की बू आती थी कल तक जिस देश मे
आज उसी मुल्क को सेनिटाइज़र से महकता देख रहा हु।
अस्पताल बनाने के पैसे नही जिस देश के पास
उस देश को हजारों करोड़ो के पुतले बनाते हुए देख रहा हु।
और कल तक जिन्हें तकलीफ थी औरतो के नकाब पर
आज वहा मर्दो को भी नकाब में देख रहा हु।
और कल तक जो मंसूबे बना रहे थे मेरे मुल्क से मुझे बाहर फेकने का
आज उन्हें उनके हर मंसूबे पर खामोश देख रहा हु।
जिन्हें यकीन था अब तक गोबर और पेशाब पर
आज उन्हें भी डॉक्टर के पास जाते हुए देख रहा हु।
और कल तक जो मुझे तसल्ली दे रहे थे मेरा घर छीन जाने पर
आज उसे बेखोफ रहने की में, तसल्ली दे रहा हु।
और मेरा क्या कसूर में तो पैदा ही हुआ हूं बेखोफ कौम में
पर पुलिस के पीछे से वार करने वालो को आज में ख़ौफ़ज़दा देख रहा हु।
मज़हब की नफरतो से कल तक सिर्फ में ही था परेशान
पर आज इस कुदरत के अज़ाब में हर शख्स को परेशान देख रहा हु।
खुश नही हु में किसी को तकलीफो में देखकर
पर आज सारी दुनिया में मेरी तकलीफो का अहसास बेहिसाब देख रहा हु।