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Thursday, 30 April 2020
coronavirus lockdown के समय RSS की खामोशी बहोत बडा प्रलय ला सकती हे.
Wednesday, 29 April 2020
General Knowledge Covid19 coronavirus part-1
Tuesday, 28 April 2020
corona19 क्या तबलिग जमात से वायरस फैला हे???
सामाजिक परिस्थितियों के जिम्मेदार पोलिटिकल लीडरशिप हे ? पार्ट -1
Sunday, 26 April 2020
WhatsApp masej
लोकडाउन मे रमजान के पेहले रोजा के बाद सरकार के फरमान के बाद सोशल मिडिया वायरल मेसेज.
मिडिया लोकतंत्र मे संविधान का चौथा स्तंभ हे परहे.
Saturday, 25 April 2020
Gujarat sarkar lockdown masej 25 April 2020
Thursday, 23 April 2020
तबलिग जमात के मरकज़ को कोरोना वायरस की बिमारी को लेकर मिडिया की भुमिका के बाद गुजरात के जिम्मेदार की खामोशी और रमजान आते आप समाज को लोकडाउन मे प्रशासन को सहयोग करने अपील करते हे?
सामाजिक कार्यकर्ता के लिये दिशानिर्देश और संगठन के उद्देश्य से जानकार होना जरुरी हे.
BJP IT SEAL PART-1
कोरोना एक बिमारी हे,भुखमरी महामारी हे. भारतीय समाजको सामाजिक दुरी से बचावो देश बचावो.
Coronavirus covid19 -Read this given article by great scientist.
Wednesday, 22 April 2020
मुस्लिम समाज के हालात को लेकर गैर मुस्लिम भाइ ने क्या कहा ? सोशल मिडिया मे मेसेज बहोत शेर हो रहा हे.
coronavirus part-3 WhatsApp masej
मुस्लिम सामज के दलाल भडवे.
coronavirus part-2 WhatsApp masej
Sunday, 19 April 2020
#corona_muslim_india_part_1
vakat se he har din or rat
आज है मातम वहां
भक्त लाया हे ये बहार
भक्त लाया है ये बहार
भक्त से हे ये दिन और रात
भक्त से हे ये भुखमरी का काल
भक्त बने हर वो गुलाम सच जो ना माने
भक्त पे करता हे वो राज हर उल्लु दाश
भक्त से हे ये दिन और रात
भक्त से हे ये भुखमरी का काल
वक़्त की गर्दिश से है
चाँद तारो का नीसाण
वक़्त की गर्दिश से है
चाँद तारो का नीसाण
वक़्त की ठोकर में है
क्या हुकूमत का समाज
क्या हुकूमत का समाज
वक़्त से दिन और रात
वक़्तसे कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
वक़्त की पाबन्द है
आती जाती रौनके
वक़्त की पाबन्द है
आती जाती रौनके
वक़्त है फूलो की सेज
वक़्त है कांटो का ताज
वक़्त है कांटो का ताज
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
आदमी को चाहिए
वक़्त से डर कर रहे
आदमी को चाहिए
वक़्त से डर कर रहे
कौन जाने किस घडी
वक़्त का बदले मिज़ाज
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज.
आज है मातम वहां
वक़्त लाया था बहार
वक़्त लाया है सीजन
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
वक़्त की गर्दिश से है
चाँद तारो का नीसाण
वक़्त की गर्दिश से है
चाँद तारो का नीसाण
वक़्त की ठोकर में है
क्या हुकूमत का समाज
क्या हुकूमत का समाज
वक़्त से दिन और रात
वक़्तसे कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
वक़्त की पाबन्द है
आती जाती रौनके
वक़्त की पाबन्द है
आती जाती रौनके
वक़्त है फूलो की सेज
वक़्त है कांटो का ताज
वक़्त है कांटो का ताज
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज
आदमी को चाहिए
वक़्त से डर कर रहे
आदमी को चाहिए
वक़्त से डर कर रहे
कौन जाने किस घडी
वक़्त का बदले मिज़ाज
वक़्त से दिन और रात
वक़्त से कल और आज
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज.
Saturday, 18 April 2020
शहीद के पिता ने PM मोदी से पूछा- पुलवामा शहीदों के नाम पर जमा हुए करोड़ों रुपए का क्या हुआ?
पुलवामा हमले को आज एक साल पूरा हो गया, आज से ठीक एक साल पहले कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 44 जवान एक आत्मघाती हमले में मारे गए थे। जब उन्हें ले जा रही बस को कार से टक्कर मार दी गयी थी कार में भारी मात्रा में विस्फोटक था।
देश को हिला कर रख देने वाले पुलवामा हमले की जांच का चालान एक साल गुजर जाने के बाद भी पेश नहीं हो सका है। हमले की रूपरेखा तो पता चल चुकी है लेकिन व्यक्तिगत तौर पर किस शख्स का क्या रोल था, यह अब तक समझ में नहीं आ रहा। मामले की जांच कर रही एनआईए ने इस हमले में कई लोगों की पहचान की है। एनआईए इस हमले के पाकिस्तान कनेक्शन की तलाश ही कर रही है।लेकिन स्पष्ट रूप से अभी तक कोई बात नही की गई है।
इस हमले में सुरक्षा के मोर्चे पर हुई चूक की सबसे बड़ी भूमिका रही है लेकिन मोदी सरकार इस बारे में हमेशा बात करने से बचती आई है दरअसल खुफियां एजेंसियों को इस तरह के हमले का अंदेशा था। मकबूल बट की बरसी को लेकर आतंकियों के बड़ी वारदात की आशंका जताई जा रही थी, आठ फरवरी को इस सिलसिले में एक अलर्ट भी जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी आईईडी के जरिये सुरक्षा बलों के काफिले हमला कर सकते हैं और इसलिए सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए। लेकिन कोई इंतजाम नही किया गया।
हाईवे बंद रहने के कारण जम्मू स्थित ट्रांजिट कैंप में जवानों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. ऐसे अलर्ट के मामले में आमतौर पर जवानों को एहतियात बरतते हुए विमान से भेज दिया जाता है बताया जाता है कि 4 फरवरी से बर्फबारी के कारण जम्मू में फंसे सीआरपीएफ के जवानों को भी हवाई मार्ग से श्रीनगर पहुंचने की मंजूरी मांगी गई थी। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इसका प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा था।
अधिकारी एक हफ्ते तक विशेष विमान की मांग करते रहे लेकिन मोदी सरकार ने सीआरपीएफ अधिकारियों के विमान मुहैया करवाने के निवेदन को अस्वीकार कर दिया था इसके बाद ही 2500 जवानों को 78 बसों में सड़क मार्ग से ही भेजने का निर्णय लिया गया। यह काफिला 14 फरवरी को सुबह साढ़े तीन बजे जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हो गया। दोपहर बाद 3:15 बजे आतंकी हमला हो गया।
एक महत्वपूर्ण बात और है जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के आवागमन के लिए एक तय प्रक्रिया बनी हुई है। उनका काफिला गुजरने से पहले संबंधित इलाके की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार रोड ओपनिंग पार्टी यानी आरओपी इसके लिए हरी झंडी देती है। आरओपी में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान शामिल होते हैं। जानकारों के मुताबिक गुरुवार को तड़के साढ़े तीन बजे जम्मू से निकलने से पहले आरओपी ने रास्ते के सुरक्षित होने की हरी झंडी दे दी थी। सवाल है कि इसके बावजूद 60 किलो विस्फोटक से लदी कार लेकर हमलावर हाईवे पर कैसे पहुंच गया। यह भी कि उसे इतना विस्फोटक कहां से मिला? इस बात का भी अभी तक कोई जवाब नही दिया गया है।
जो सीआरपीएफ़ के जवान इस हमले में मारे गए उनको आज तक आधिकारिक रूप से शहीद का दर्जा नही दिया गया है एक्शन में मारे जाने वाले अर्धसैनिक बलों के जवान शहीद की श्रेणी में नहीं आते। लेकिन शहीद-शहीद कह के उनके नाम पर वोट खूब मांगे जाते हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती हैं कि किस प्रकार केंद्र की मोदी सरकार ने पुलवामा के शहीदों की उपेक्षा की है।
पुलवामा हमले के बाद मारे गए जवानों के परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए बने “वीर भारत कोर” फ़ंड में 36 घंटे के भीतर ही सात करोड़ रुपए जमा हो गए थे। आरटीआई के हवाले से यह पता चला था कि अगस्त 2019 तक इस फ़ंड में कुल 258 करोड़ रुपये जमा थे बिहार के शहीद रतन के पिता पूछ रहे है कि “हमें अब सरकार से कुछ नहीं चाहिए. हमने देख लिया उनको. लेकिन सरकार केवल इतना बता दे कि जवानों के नाम पर जमा पैसे का क्या हुआ?”
( ये लेख गिरीश news dastak के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )
Ramjan 2020 lockdown covid 19
Friday, 17 April 2020
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Thursday, 16 April 2020
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