24 मार्च को शाम जब 8 बजे प्रधानमंत्री जी हम सबसे रूबरू हुये और हमारी चिंता करते हुए अचानक 21 दिन के तालाबंदी लॉक डाउन की जब घोषणा कर दी तो क्या पहले सरकार ने यह नहीं सोचा था कि,
● देश मे तमाम पर्यटन स्थलों, मंदिरों, दरगाहों, तीर्थों, और भारत भर में तमाम जगहों पर तीर्थ यात्री, पर्यटक, और अन्य जनता भी रात 12 बजे के बाद जहां है वहीं फंस जाएगी तो उनको वहां से निकलने की सरकार की कोई कार्ययोजना है भी या नहीं ?
● ऐसे लोगों के पास सीमित धन होता है जो अनजान शहरों में होते हैं, अलग जगह, अलग भाषा आखिर ऐसे कठिन समय मे कैसे उन्हें उनके घर पहुंचाया जाएगा, जबकि यातायात के सारे साधन यकायक बंद हो गए हैं ?
● बहुत से लोग छोटे छोटे शहरों से दिल्ली मुम्बई चेन्नई कोलकाता आदि बड़े शहरों में इलाज के लिये गए हैं। वहां उनके पास गंभीर रोग से पीड़ित मरीज हैं। उनको आसानी से घरों पर लाना भी आसान नहीं है। कभी मरीज जब गंभीर रोग से अस्पताल में हो तो उसके तीमारदार से मिल कर बात करे तो इस व्यथा का अंदाज़ा होगा आप को। कभी आप सबको ऐसी कठिन परिस्थिति में पड़ने का दुर्भाग्य न हो, यह मेरी प्रार्थना है। पर ऐसी स्थिति में सरकार के पास कोई कार्ययोजना थी या यह सब दिमाग मे ही नहीं यह निर्णय घोषित करते आया था ?
● सीमित पर्यटन वीसा पर भारत में आये विदेशी लोग, जो किसी भी कार्य से आये होंगे और जिनकी वीज़ा अवधि 25 मार्च के बाद खत्म हो रही है और जिन्हें यह पता ही नहीं था कि 25 से 21 दिनी लॉक डाउन शुरू हो जाएगा, और जब ऐसी स्थिति में सारे आवागमन बंद हो जाएंगे तो जब उनके वीसा की अवधि बीत जाएगी, जिसमे उनकी कोई गलती नहीं है तो वे अपने वीसा की अवधि को बढ़वाने के लिये क्या करेंगे ? क्या सरकार ने ऐसी परिस्थिति की कल्पना की थी और अगर की भी थी तो इससे निपटने के लिये कोई कार्ययोजना सरकार द्वारा बनाई गयी थी ?
आप इस पर विचार करें और यह खुद सोंचे कि क्या इतना बड़ा निर्णय लेने के पहले जनता को क्या क्या कष्ट झेलना पड़ सकता है, यह सोचा गया था ? कोरोना का मामला 30 जनवरी को केरल में पहला मामला मिलने के समय से ही, चल रहा है। जबकि यह लॉक डाउन 22 मार्च को पहली बार और 24 मार्च की रात 12 बजे से अब तक चल रहा है। इतना समय किसी भी व्यवस्था के लिये कम नहीं होता है। हम किसी राजतंत्र से शासित देश में, नहीं रह रहे हैं कि सम्राट ने ताली बजाई और कहा तखलिया और सब सिर झुका कर चले गए।
देश के हर थाने मे होटल, सराय, धर्मशाला आदि की सूची होती है। वहां से यह सूची जिले स्तर पर एकत्र कर के उन सबको कहा जा सकता था कि घर जाओ लम्बा लॉक डाउन चलेगा। विदेशी पर्यटकों का विवरण इम्मीग्रेशन में होता है। विदेशी नागरिकों के आने आने रुकने की सूचना अनिवार्यतः होटल, धर्मशाला वालों को स्थानीय थानों में देनी पड़ती है। वहां से भी सारी सूचनाएं मिल सकती हैं। यह कवायद जब 22 मार्च का थाली ताली मार्का जनता कफ्यू लगा था, के पहले से ही क्यों नहीं शुरू कर दिया गया ?
हमको और आप को यह भले ही पता न हो कि कब यह लॉक डाउन लगेगा और कब तक प्रभावी रहेगा, पर सरकार को तो यह बात पहले से ही पता होगी कि ऐसा निर्णय हो सकता है। तभी यह सब होमवर्क कर लिया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। आखिर, चुनाव, कुंभ मेले, अन्य बड़े अधिवेशन आदि की तैयारियां हम करते ही है। वे सब शानदार तरह से निपटते भी हैं। फिर इसमें बिना तैयारियों के, कैसे यह घोषणा 24 मार्च की रात में 12 बजे से 21 दिन का लॉक डाउन हो जाएगा, कर दी गई ?
यही कारण है कि सभी राज्य सरकारों के अधिकारी अब किसी तरह से यह सब सम्भाल रहे हैं। वे रातदिन सड़कों पर है। उनकी मेहनत में कोई कमी नही। लेकिन, इतने बड़े और पूरे देश को एक साथ बंद करने के पहले समस्त राज्यो के मुख्य सचिवों और डीजीपी साहबान की मीटिंग होनी चाहिए थी और एक एक सम्भावना पर विचार कर उसके समाधान की तैयारी कर लेनी चाहिए थी। न तो अफसरों की काबिलियत में कमी है और न ही किसी के इरादे में कोई खोट है, बस एक एडवांस प्लानिंग की ज़रूरत थी, जहां सरकार चूक गयी ।
आज लॉक डाउन का 15 वा दिन है,अमेरिका और ब्रिटेन जैसे समृध्द देश जिनकी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है लंबे लॉक डाउन को सहने की ताकत रखते है परंतु हमारे देश की अर्थव्यवस्था जो पहले ही बहोत कमज़ोर स्तिथि में थी वह लंबे लॉक डाउन के सहने की स्थिति में नही है,भले ही हमारे लिए एक तरफ कुवा हो एक तरफ खाई हो पर हमारी अर्थव्यवस्था 21 दिन से लंबे लॉक डाउन को सहने की स्थिति में नही है,क्यूंकि इससे जो व्यपार की स्तिथि बिगड़ेगी और जो बेरोज़गारी,भुखमरी और अपराध बढेगे उसे हमारी सरकारें कभी नही संभाल पाएगी और देश 50 साल पीछे चला जायेगा।उदयोग नही संभाल पाएंगे,क्यूंकि जो श्रमिक इस लॉक डाउन के भगदड़ में अपने गाँव लौट गए है वो इस वातावरण में अभी लौटना नामुमकिन है।
अतः सरकार से यही निवेदन है की वो उपरोक्त बातों पर विचार करते हुए 15 अप्रैल से लॉक डाउन को समाप्त करने पर गंभीरतापूर्वक विचार करे।