*मुस्लिम समाज की भारत जेसे लोकतांत्रिक देश मे पोलिटिकल शक्ति नही होना जिसको लेकर मुस्लिम पोलिटिकल लीडरशिप सिर्फ और सुर्फ जिम्मेदार मानना कितना उचित (सही) हे ❓*
आजका विषय हमने अापको उपर बताया हे, इस विषय पर मे अपने सामाजिक कार्यो के बाद अभ्यास और अनुभव के बाद लिखने जा रहा हु. आशा हे, *इस वक्त हम लोकडाउन मे वैसे भी फुरसत मे हे इसको गेहराइ से समझने की कोशिश करेंगे.*
सबसे पेहले हमे ये सोचना हे आज वर्तमान समय मे जिन लोगों ने पोलिटिकल शक्ति हासिल की हे, *इसके लिये क्या उन्के समाज की सामाजिक शक्ति उनके पास नही हे❓*
पिछले सालों मे जिस तरहा मुस्लिम समाज की परिस्थितियां बनती गई बहोत सी सामाजिक संस्थान ने अपने कार्यो को लेकर समाज मे जागृति लाने मे सफलता हासिल की हे, लेकीन ईस मे ज्यादातर गरीब और मध्यमवर्गीय निडर बेखोफ लोकों का 100% योगदान हे, लेकीन जेसे जेसे समाज हालात को लेकर जागृत होता गया समाज का बहोत सा तबका हालात को लेकर सबसे पेहले जिम्मेदार पोलिटिकल लोगों पर आरोप लगाते रहे हे, मे पोलिटिकल लीडरशिप की चाप लुसी नही करता हु, *नाही मे किसी पार्टी का कार्य करता हु,लेकीन जो सच्चाई मेने अपने अनुभव से देखी समझी हे उसको यंहा समझा रहा हु.*
*आप हमारे बडे देशमे जब बहोत से षड्यंत्र और परिस्थितियों को समझे बगैर किसी को खास मुस्लिम समाज के हालात को लेकर जिम्मेदार नही केह सकते हे,* आप इतिहास की घटना ये देखो जेसे देशकी आजादी के पेहले क्या हालात थे? उसके बाद तथाकथित आजादी मिलने के बाद मुस्लिम समाज की हर पेहलु मे क्या कार्य नीति रही उसको समझो, *उसके साथ हम 300 साल पेहले की परिस्थितियों को जाने जिसमे बहोत सी ताकतवर और शक्तिशाली हुकूमत और बादशाह को कमजोर करने खतम करने के लिये क्या क्या उस वक्ता इतिहास जाने आप और जानकारी हासील कर सकते हे.*
बहोत से बादशाह की हुकूमत को कमजोर करने के लिये मीरजाफर,मीरसादीक के साथ बहोत से धार्मिक गुरुओं ने षड्यंत्र के साथ हुकूमत को कमजोर किया हे, *और खतम भी किया हे,आप इसको इतिहास की किताबों से जान सकते हे.*
अब रहा सवाल हमारे विषय पर ध्यान करने का भारत देशके मुस्लिम समाज की पोलिटिकल लीडरशिप को लेकर सवाल उठाना हम समझते हे,हमारे देश मे आजादी के पेहले से धार्मवाद,जातिवाद,फिरकावाद को लेकर सामाजिक सत्ता देशकी हुकूमतखे लिये सारे षड्यंत्र होते रहे हे, *लेकिन भारत देशके मुस्लिम समाजकी सोशल लीडरशिप और धार्मिक लीडरशिप ने इन विषय पर गेहराइ से अभ्यास नही किया नाही कोइ ठोस कदम उठाये,*जिसको लेकर हमारे पोलिटिकल लीडरशिप मजबूत करने के बजाये हम और दिन बदीन कमजोर होते गये,आज एसी परिस्थितियों मे अगर हम सिर्फ पोलिटिकल लीडर को जिम्मेदार मानते हे ये बिलकुल सरासर गलत हे,और इसकी हवा चलाने वाले सबसे पेहले धार्मिक और सामाजिक लीडरशिप ने किया हे.
*हमारा मानना हे मुस्लिम समाज की तमाम परिस्थितियों के जिम्मेदार सबसे पेहले नंबर पर धार्मिक लीडरशिप के लोग जिम्मेदार हे,अंग्रेज हुकूमत के सामने आवाज उठाने के जव आवाज लगाई तब हजारों लाखों की संख्या मे मुस्लिम समाजने कुरबानी दी हे,* जिसका एक लंबा इतिहास हे,लेकीन तथाकथित आजादी के बाद हमारी शक्ति को कमजोर करने के लिये जो षड्यंत्र किये गये उसको समझते हुये जो रणनीति तैयार करने की जरुरत थी वो उस वक्त नही किया गया,आजकी तरहा उस वक्त भी ये नारा देते रहे, *"देशकी आजादी को लेकर बनाया गया संगठन"* लेकीन संगठन सिर्फ लोगो की बली चरहाने के लिये हो वो संगठन कभी इतने बडे देशमे सामाजिक शक्ति हासिल नही कर शकता हे, एक बात और इस बात को हर समझदार और बुद्धिजीवी लोग मानते हे सत्ता पर बैठे लोग और बिजनेस करने वाले लोग जनता के लिये ईमानदारी से कार्य नही कर सकते हे, *दुनिया मे बहोत कम लोग ऐसे गुजरे हे, अब सवाल ये बनता हे क्या हमारे समाज के सामाजिक और धार्मिक संस्थान चलाने बडे बडे बिजनेस करने वाले हो और अपनी संस्थान को करोबार समझने वाले साथ मे सत्ता पर बैठे लोगों की चाप लुसी करने वाले हो क्या वो समाज को बेहतर व्यवस्था और समाज की थफ आने वाले हालात से बचाने के लिये कोइ खास कार्य कर सकते हे?*
*ज्यादातर मुस्लिम समाज के जानकार बुद्धिजीवी लोग इसको समझे समाज को सामाजिक शक्ति हासिल करे बगेर हम पोलिटिकल शक्ति हासिल नहि कर सकते हे,* जिसको लेकर हर किसी की जिम्मेदारी हे किसि एक व्यक्ति और समुह की जिम्मेदारी नही हे, हमे बदलाव की जरुरत हे , सामाजिक,धार्मिक और लीडरशिप को बहोत गेहराइ से बदलाव की जरुरत हे, *और इस कार्यो को करने वाले हमारे समाज से ईमानदारी रखने वाले कर सकते हे,* हमारे भारत देश के कुच मजबुत पोलिटिकल लीडरशिप को लेकर ध्यान करते हे, आजम खान आज अपने परिवार के साथ जेल मे हे हमारी सामाजिक संस्थान इसमे क्या कर पाई हे ? ये सवाल पेहले हे उसको साथ कश्मीर के मैहबुबा मुफ्ती और फारूक को लेकर आप जानते हे क्या हालात हे, इस हमारी समाज के आम लोगों के पास कितनी जानाकरी हे? इसमे हमारे संगठन के दावे करने वाले लोगों की क्या भुमिका हे? ये सारे सवाल हमेशा हमे सोचने की जरुरत हे.
*हमारे पोलिटिकल लीडरशिप को लेकर ये हमारा आर्टिकल-1 आने वाले समय मे हम इसका दुसरा हिस्सा आपतक शेर करेंगे.*
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