हुकूमत ने आज यानी पहले रमज़ान से सभी दुकानों को सशर्त खोलने की इजाज़त दे दी है। मॉल व मल्टी ब्रांड रिटेल को इससे वंचित रखा गया है। पहले रमज़ान का मतलब आप समझ गए होंगे। गौरतलब है कि रमज़ान एक ऐसा महीना है जिस महीने में अमीर मुसलमान दिल खोल कर शॉपिंग करते हैं और जकात भी निकालते हैं जिसकी वजह से गरीब भी खरीदारी कर पाते हैं। यानी प्रत्येक 20 करोड़ मुसलमान ईद की खरीदारी जरूर करते हैं।
अब एक नज़र बाज़ार पर डालिए। अधिकतर स्थानों पर कपङे से लेकर जुते की दुकानें अग्रवाल से लेकर बनिया भाईयों की है। लगभग ब्रांडस के मालिक अग्रवाल, जैन , गुप्ता समेत हिंदू समुदाय के लोग ही हैं। मेरे कई मित्र जो अग्रवाल समुदाय से आते हैं, बताते हैं कि रमज़ान में पूरे साल भर की कमाई हो जाती है क्योंकि इस त्योहार में मुसलमान हर हाल में खरीदारी करते ही करते हैं। चाहे उधार ही क्यूँ न लेना पड़े। अब आप सारा गेम समझ गए होंगे कि हुकूमत ने पहले रमज़ान से दुकानों को खोलने की इजाज़त क्यूँ दी है।
इसे आप हुकूमत का स्वागत योग्य कदम न समझें बल्कि हुकूमत ने मोटा चंदा देने वाले अपने भक्तों को खुश किया है। ऐसा करके एक बार फिर हुकूमत ने अपने भक्तों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के चक्कर में कोरोना जैसी महामारी में आम जन के जान को जोखिम में डाल दिया है। सभी दुकानों को खोलने की इजाज़त से क्या सरकार यह कह रही है कि अब हमारे देश में कोरोना पर काबू पा लिया गया है? क्या सरकार यह कह रही है कि आप अब शॉपिंग दिल खोल कर कीजिए क्योंकि अब कोरोना महामारी नहीं रहा ? अगर ऐसा नहीं है तो फिर यह क्यूँ नहीं माना जाए कि सरकार ने अपने बनिया समुदाय को खुश करने के लिए करोङों लोगों के जान को जोखिम में डाल दिया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जो हिंदू समाज कल तक मियांओं को अपने मुहल्लों में आने नहीं दे रही थी अब अपने दुकानों के बाहर ईद मुबारक का बड़ा बड़ा बैनर लगाकर मियांओं का स्वागत करेंगे। जबकि यही सबसे बेहतरीन समय है इस नस्लीय ,मीडिया व तंत्र को सबक सिखाने का । मुसलमानों को हुकूमत से सामुहिक रूप से गुहार लगाना चाहिए कि एक महीने तक राशन व मेडिकल के अलावा कोई दुकान नहीं खुलनी चाहिए। अगर हुकूमत यह नहीं मानती है तो सभी मुसलमानों को इस बार सामुहिक ऐलान कर देना चाहिए कि इस बार ईद हम नए कपङे, जुते, चप्पल के बिना मनाएंगे।
अगर मुसलमान ऐसा नहीं करते हैं तो याद रखिए यदि एक भी दुकानदार को कोरोना हुआ तो मरकज़ प्रकरण की तरह आप पर फिर से ठिकरा फोङ दिया जाएगा। और इसके लिए दुकानों में कुर्ता पैजामा से लेकर जुते चप्पल खरीदते हुए हम आप की भीङ का वीडियो दिखाया जाएगा। आप सबको मालूम है कि आखिरी के दिनों में सामान खरीदने की भीङ होती ही होती है और मियां जी को घेरने के लिए इसी भीङ का बतंगङ मीडिया वाले बनाएंगे। वैसे भी लॉकडाउन की वजह से लोगों का ऐसा आर्थिक नुकसान हुआ है जिससे उबरने में कम से कम छह महीने लगेंगे।
इसलिए इस बात से खुश न होकर कि दुकानें खुलेंगी , मुसलमानों को इस बार ईद शॉपिंग नहीं करनी चाहिए ताकि शॉपिंग से बचे पैसे को अगले छह महीने स्कूल , राशन, मेडिकल आदि पर खर्च करने के लिए बचा कर रखना चाहिए। कुल मिलाकर हुकूमत द्वारा सभी दुकानें खोलने का ऐलान मुसलमानों को जबर्दस्त आर्थिक नुकसान एवम् बनिया समुदाय को जबर्दस्त मुनाफा दिलवाने का प्लान भर है ।
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