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Saturday, 31 August 2019

#savekashmir

काश्मीरी पंडित :-

भारत में देशव्यापी दंगों की बात करूँ तो "सिख विरोधी दंगा" 1984 एकमात्र सबसे विभत्स देशव्यापी दंगा था जब इस देश के बहुसंख्यकों ने पूरे देश में सिखों को ना सिर्फ़ मारा बल्कि उनकी उनकी दुकानों उनके व्यवसाय को जला कर राख कर डाला।

दिल्ली इसका मुख्य केन्द्र था जहाँ लगभग 2500 सिखों को घेरकर मार दिया गया। ट्रक के टायरों में सिखों को डाल कर बाँध कर ज़िन्दा जला दिया गया। और ऐसे ही पूरे देश में हुआ , जहाँ जहाँ सिख थे वहाँ वहाँ हुआ।

कभी आपने सुना है कि सिखों ने अपने उन शहरों और अपने घरों को छोड़कर किसी सुरक्षित जगह चले गये और सरकारी मदद पर ऐश कर रहे हैं ?

नहीं सुना होगा क्युँकि सिखों ने इस हिंसा को झेला और वहीं रहे , जद्दोजहद किया , कानूनी लड़ाई लड़ी और उसी जगह अपने कारोबार को फिर से खड़ा कर दिया।

ना आपको उनका आज शरणार्थी कैम्प मिलेगा ना यह हराम के सरकारी मुआवजे और भत्ते के भरोसे विलासितापुर्ण जीवन जी रहे हैं। उनका जो नुकसान हुआ उसके बदले सरकारों ने 1% भी मुआवजा उनको नहीं दिया।

इसी देश में दलितों पर हज़ारों साल के आत्याचार का इतिहास रहा है , पर वह भी ना तो अपना घर और ना अपना गाँव और ज़मीन छोड़कर विस्थापित हुए ना लक्षमणपुर बाथे जैसे दलित नरसंहार के बावजूद एक भी शरणार्थी कैम्प कहीं लगाए।

वह अपनी ज़मीन पर डटे रहे , राजनैतिक और शैक्षणिक रूप से मज़बूत हुए और आज भी अपनी मेहनत के बूते जीवन गुज़ार रहे हैं।

आपको एक भी ऐसे कैम्प का उदाहरण नहीं मिलेगा जहाँ आत्याचार के डर से दलित सरकारी मलाई खाकर 38 साल से ऐश कर रहे हैं।

मुसलमानों की बात करूँ तो सांप्रदायिक दंगों का दंश जितना इस संप्रदाय के लोगों ने झेला है उतना किसी ने नहीं झेला। 1947 से लेकर आजतक वाराणसी , मेरठ , मलियाना , हाशिमपुरा , मुरादाबाद , मुज़फ्फरनगर , सूरत , गुजरात , मुंबई , भागलपुर जैसे ना जाने कितने दंगों के बावजूद कोई एक ऐसा कैम्प आपको आजतक नहीं मिलेगा जहाँ सरकारी सुविधाओं , मुआवजा , भत्ता और नौकरी में कोटा पाकर यह दंगा पीड़ित विलासितापुर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

दंगों के समय कुछ राहत शिविर बने पर यह लोग फिर वापस उसी ज़मीन और घर की ओर लौट गये और वहीं अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं , कमा रहे हैं और खा पी रहे हैं।

इन उपरोक्त घटनाओं के मुकाबले "काश्मीरी पंडितो' ने तो कुछ नहीं भोगा।

काश्मीर में सन 1989 के बाद जब आतंकवाद का उभार हुआ तो उसकी चपेट में सब आए , गृहमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का तो अपहरण हो गया था जबकि वह काश्मीरी थी। चरारे शरीफ दरगाह को तो आतंकियों ने जला दिया जबकि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के "बाल" रखने वाली "हज़रत बल दरगाह" जैसी प्रतिष्ठित काश्मीरी धार्मिक दरगाहों के साथ क्या हुआ ?  20 मार्च 2000 चित्तीसिंघपोरा में होला मोहल्ला मना रहे 36 सिखों की गुरुद्वारे के सामने आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

काश्मीर में 1989 से आजतक करीब 1 लाख मुसलमान आतंकवाद और भारतीय सेना की गोलियों से मारे गये , कुनन पोशपोरा जैसे मास रेप की घटनाएँ हुईं तो क्या बचे हुए काश्मीरी मुसलमान कहीं विस्थापित हुए ? कुनन पोशनोरा की औरतें कहीं विस्थापित हुईं ? कोई भत्ता ? पेंशन या मुआवजा ? सरकारी नौकरी में कोई कोटा ?

यह सब लोग वहाँ से नहीं भागे , ना विस्थापित के नाम पर सरकारी सुविधाओं को लेकर ऐश कर रहे हैं , बल्कि वहीं हैं और अपनी मिट्टी से जुड़े हुए हैं , पर काश्मीरी पडितों को देखिए

काश्मीरी पंडित भी आतंकवाद और आतंकवादियों के शिकार हुए , जो निंदनीय है , हिंसा किसी के भी साथ हो निंदनीय है। पर जब भी काश्मीर की बात होगी तो सिर्फ काश्मीरी पंडितों को ही पीड़ित बता कर काश्मीर में जो हो रहा है उसका बचाव किया जाएगा यह भी उचित नहीं।

काश्मीर के आतंकवाद में सब झुलसा पर मलाई खाई "काश्मीरी पंडितों" ने। जिस दिल्ली में सर छिपाने के लिए 4 फिट जगह मिलनी मुश्किल है वहाँ इनको मुफ्त में कालोनियाँ दी गयीं , "काश्मीर भवन" जैसी जगहों पर घर दिए गये , मुआवजे दिए गये , नौकरी में कोटा दिया गया , पेंशन दी गयी , सरकारी भत्ते और मुफ्त में राशन दिए गये और यह 38 साल से यह सब पाकर ऐश कर रहे हैं।

जम्मू हो या दिल्ली या देश की दो चार और जगहें जहाँ इनको सरकारी मदद देकर बसाया गया और दामाद की तरह रखा गया उन जगहों पर जाकर देखिए , यह आपको शरणार्थी नहीं लगेंगे।

हाथों और गले में सोने की चैन और मुट्ठी में ऐपल आईफोन लेकर शरणार्थी और पीड़ित बनने का इनका ढोंग बंद किया जाय और जब काश्मीर में धारा 370 समाप्त हो गयी तो इनको मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाएँ बंद करके वापस इनके पुश्तैनी घरों को भेजा जाय।

टैक्स पेयर के पैसे पर यह कब तक ऐश करेंगे।

✍️✍️✍️✍️✍️Mohd zahid सहाब

Friday, 30 August 2019

'वर्ण व्यवस्था' को मानना चाहिए या नहीं?

'वर्ण व्यवस्था' को मानना चाहिए या नहीं?


हिन्दू समाज पर वर्तमान में कलंक की तरह नजर आती है जातिवादी व्य‍वस्था। इसको पिछले 70 वर्षों में जितना बढ़ाया और चमकाया गया उतना गुलामी के काल में भी शायद नहीं किया गया होगा। हालांकि अंग्रेजों ने हिन्दुओं को बहुत से उपनाम से सुशोभित करके उनको और भी जातियों में बांटने का काम जरूर किया। आजकल तो इसे हवा देने वाले लोगों की संख्या भी पर्याप्त हो चली है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि 'वर्ण व्यवस्था' को मानना चाहिए या नहीं?
उत्तर : नहीं। वर्णाश्रम (इसमें कोई आश्रम को नहीं समझता) को गलत ही माना जाएगा, क्योंकि किसी भी काल में हिन्दू अपने धर्मग्रंथ पढ़कर इस व्यवस्था के सच को कभी नहीं समझा, तो आगे भी इसकी कोई गारंटी नहीं। हर काल में इस व्यवस्था को आधार बनाकर राजनीति की जाती रही है और समाज को तोड़ा ही जाता रहा है। जो व्यक्ति इस व्यवस्था को मानता है वह हिन्दू धर्म का विरोधी है। जबकि ध्यान से देखा जाएगा तो प्रत्येक धर्म में अन्य रूप में यह व्यवस्था विद्यमान है। सभी धर्मों या समाज में पुरोहित, सैनिक, व्यापारी और सेवक आदि वर्ग होता है।

हिन्दुओं के 5 संप्रदाय, जानिए कौन से?

कभी किसी ने यह जांच नहीं की कि जिस मनुस्मृति में वर्णव्यवस्था का उल्लेख है वह कहां से छपी है? क्या वह असली है या कि क्या उसमें हेरफेर किया गया है? क्या वह गीता प्रेस गोरखपुर से छपी है या पश्चिम बंगाल, केरल या इलाहाबाद के किसी प्रकाशन समूह ने छापी है? दूसरी बात मनुस्मृति हिन्दुओं का धर्मग्रंथ नहीं है। धर्मग्रंथ तो मात्र वेद ही हैं। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। कितने हिन्दू हैं जिन्होंने उपनिषद और गीता को पढ़ा और समझा है? इन्हें पढ़ने के लिए किसी उपनयन संस्कार की जरूरत नहीं है।

कैसे हिंदुओं को जाति में बांटा गया, जानिए एक सचाई...


तीसरी बात व्यवस्था का धर्म से कोई संबंध नहीं। हम ऊपर पहले लिख आए हैं कि पुराण, रामायण और स्मृति ग्रंथ को हिन्दुओं का धर्मग्रंथ नहीं माना जाता जा सकता। गीता ही एकमात्र धर्मग्रंथ है, जो वेदों का सार है। 
 
वर्णाश्रम किसी काल में अपने सही रूप में था, लेकिन अब इसने जाति और समाज का रूप ले लिया है, जो कि अनुचित है। प्राचीनकाल में किसी भी जाति, समूह या समाज का व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या दास बन सकता था। पहले रंग, फिर कर्म पर आधारित यह व्यवस्था थी, लेकिन जाति में बदलने के बाद यह विकृत हो चली है।
 
उदाहरणत:, चार मंजिल के भवन में रहने वाले लोग ऊपर-नीचे आया-जाया करते थे। जो ऊपर रहता था वह नीचे आना चाहे तो आ जाता था और जो नीचे रहता था वह अपनी योग्यतानुसार ऊपर जाना चाहे, तो जा सकता था। लेकिन जबसे ऊपर और नीचे आने-जाने की सीढ़ियां टूट गई हैं, तब से ऊपर का व्यक्ति ऊपर और नीचे का नीचे ही रहकर विकृत मानसिकता का हो गया है।
 
दूसरा उदाहरण : बहुत से लोग यह कहते हैं कि शूद्रों को प्रभु का चरण (पैर) माना गया है। हाथों को छत्रिय की उपाधी दी गई, मस्तक को ब्राह्मण की और वैश्यों को जंघा और शरीर का अन्य अंग। यदि ऐसा माना गया है तो पैर शरीर में सबसे कर्मठ होते हैं। प्रभु के चरणों की ही सबसे पहले पूजा की जाती है। पैरों के बगैर इस देह की कोई गति नहीं, दुर्गती हो जाएगी। जिसे जो अंग बनना हो वह बन जाएं।
 
।।जन्मना जायते शूद्र:, संस्काराद् द्विज उच्यते। -मनुस्मृति
अर्थात मनुष्य शूद्र (छोटा) के रूप में उत्पन्न होता है तथा संस्कार से ही द्विज (दूसरा जन्म लेने वाला) बनता है। इस द्विज को कई लोग ब्राह्मण जाति का मानते हैं लेकिन कई ब्राह्मण द्विजधारी नहीं है।
 
मनुस्मृति का वचन है- 'विप्राणं ज्ञानतो ज्येष्ठम् क्षत्रियाणं तु वीर्यत:।' अर्थात ब्राह्मण की प्रतिष्ठा ज्ञान से है तथा क्षत्रिय की बल वीर्य से। जावालि का पुत्र सत्यकाम जाबालि अज्ञात वर्ण होते हुए भी सत्यवक्ता होने के कारण ब्रह्म-विद्या का अधिकारी समझा गया।
 
यदि इतिहास का अच्छे से अध्ययन किया जाएगा तो पता चलेगा कि प्राचीन वैदिक काल में कोई भी व्यक्ति जो किसी भी जाति या समाज का हो वह ब्राह्मण बनने के लिए स्वतंत्र था और आज भी यह स्वतंत्र है। वर्तमान की जातियों के इतिहास को खंगालने जाएंगे तो कई उच्च जातियां आज निचली जातियों में‍ गिनी जाती है और कई निचली जातियों की गणना उच्च जातियों में की जाती है। वर्तमान में जिस तरह की जातियां है यदि उसी तरह के जातिवादी बनकर सोचे तो शिव, काली, भैरव, मातंगी, वनदेवी, हनुमान, दस महाविद्या आदि कई देवी और देवता तो दलित ही माने जाएंगे!

दरअसल, प्राचीनकाल में देव (सुर), दैत्य (असुर), रक्ष (राक्षस), यक्ष, दानव, नाग, किन्नर, गंधर्व, भल्ल, वराह, किरात, वानर, कूर्म, कमठ, कोल, यातुधान, पिशाच, बेताल, चारण, विद्याधर आदि जातियां हुआ करती थीं। देव और असुरों के झगड़े के चलते धरती के अधिकतर मानव समूह दो भागों में बंट गए। पहले बृहस्पति और शुक्राचार्य की लड़ाई चली, फिर गुरु वशिष्ठ और विश्‍वामित्र की लड़ाई चली। इन लड़ाइयों के चलते समाज दो भागों में बंटता गया। आर्य उसे कहते थे जो वेदों को मानता था और जो वेदों को नहीं मानता था उसे अनार्य मान लिया जाता था फिर वह किसी भी जाति समाज या संप्रदाय का हो। आर्य किसी प्रकार की जाति नहीं थीं बल्कि एक विशेष विचारधारा को मानने वालों का समूह था। आर्य का अर्थ होता है श्रेष्ठ।

आज के शब्दों का इस्तेमाल करें तो ये लोग दलित थे- ऋषि कवास इलूसू, ऋषि वत्स, ऋषि काकसिवत, महर्षि वेद व्यास, महर्षि महिदास अत्रैय, महर्षि वाल्मीकि, हनुमानजी के गुरु मातंग ऋषि आदि ऐसे महान वेदज्ञ हुए हैं जिन्हें आज की जातिवादी व्यवस्था दलित वर्ग का मान सकती है। ऐसे हजारों नाम गिनाएं जा सकते हैं जो सभी आज के दृष्टिकोण से दलित थे। वेद को रचने वाले, स्मृतियों को लिखने वाले और पुराणों को गढ़ने वाले सभी क्या और कौन थे? यह जानना का कोई प्रायास नहीं करता। जो अंग्रेज पढ़ा कर गए और जो वामपंथियों ने पढ़ा दिया वही सत्य है।

ऋग्वैदिक ऋषियों के नाम के आगे वर्तमान में लिखे जाने वाले पंडित, चतुर्वेदी, त्रिपाठी, सिंह, राव, गुप्ता, नंबूदरी जैसे जातिसूचक शब्द नहीं होते थे। ऋग्वेद की ऋचाओें में लगभग 414 ऋषियों के नाम मिलते हैं जिनमें से लगभग 30 नाम महिला ऋषियों के है।

हिंदुओ को विभाजित रखने के उद्देश्य से ब्रिटिश राज में उनके कर्मचारियों द्वारा हिंदुओ को तकरीबन 2,378 जातियों में विभाजित कर दिया गया। इतना ही नहीं 1891 की जनगणना में केवल मोची (चमार) की ही लगभग 1156 उपजातियों को रिकार्ड किया गया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज तक कितनी जातियां-उपजातियां बनाई जा चुकी होगी। इससे पहले अकबर और औरंगजेब के काल में हिन्दुओं का क्षेत्र और कार्य अनुसार हजारों पद और नाम दिए गए ‍जो बाद में जाति बन गए। उस काल में ब्राह्मणों की हजारों जातियों का निर्माण किया जो आज भी प्रचलन में है। गुलामी के इस काल की दास्तां कोई नहीं उजागर करता है। 






RSS के वरिष्ठ नेता ने कहा- इस्लाम के आने से हुई छुआछूत की शुरुआत, प्राचीन भारत में गौमांस खाने वालों को माना जाता था अछूत

RSS के वरिष्ठ नेता ने कहा- इस्लाम के आने से हुई छुआछूत की शुरुआत, प्राचीन भारत में गौमांस खाने वालों को माना जाता था अछूत।

RSS के वरिष्ठ नेता ने कहा- इस्लाम के आने से हुई छुआछूत की शुरुआत

आरएसएस के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल (Krishna Gopal) ने सोमवार को दावा किया कि भारत में छुआछूत की शुरुआत इस्लाम की शुरुआत से हुई. उन्होंने यह भी कहा कि दलित का कॉन्सेप्ट ब्रिटिश शासन द्वारा फूट डालने और राज करने के लिए लाया गया था. उन्होंने कहा, 'पहली बार छुआछूत का मामला इस्लाम के आने के बाद देखा गया.' उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए सिंध के आखिरी हिंदू राजा दाहिर के परिवार की कहानी का भी जिक्र किया. जो जौहर करने जा रहा था और उसने सबसे पहले 'मलिच्छा' शब्द का प्रयोग करते हुए कहा था कि उन्हें(परिवार) जल्द जौहर करना होगा वर्ना 'मलिच्छा' उनको छू लेंगे और वह अपवित्र हो जाएंगी. उन्होंने यह भी कहा, 'गौमांस सेवन करने वाले लोगों को प्राचीन भारत में अस्पृश्य  करार दिया जाता था और ''दलित'' शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में मौजूद नहीं था.'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि संविधान सभा ने भी ''दलित'' की जगह ''अनुसूचित जाति'' शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजों की साजिश थी कि दलित शब्द (समाज में) धीरे-धीरे प्रसारित होता गया.
 
आरएसएस नेता ने ''भारत का राजनीतिक उत्तरायण'' और ‘भारत का दलित विमर्श' पुस्तकों का विमोचन किया. कार्यक्रम में संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल भी उपस्थित थे. गोपाल ने कहा, ‘‘भारत में अस्पृश्यता का पहला उदाहरण तब आया जब लोग गाय का मांस खाते थे, वे ‘अनटचेबल' घोषित हुए. ये स्वयं (बी आर) आंबेडकर जी ने भी लिखा है.''

https://t.co/jTLioaPnbQ
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Sunday, 25 August 2019

क्या हम आजाद है?

↰ Patriots Forum


Re: प्रमाण दें कि इंडिया कब आजाद हुआ था?

12-5-17skanda987

I placed this at 
https://skanda987.wordpress.com/2017/05/11/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a3-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%bf-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a1%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%ac-%e0%a4%86%e0%a4%9c/ 

jai sri krishna! 
-sv 

2017-05-11 6:52 GMT-06:00 Pramod Agrawal <pka...@yahoo.com>: 
> प्रमाण दें कि इंडिया कब आजाद हुआ था? 


> क्या सच में देश 15 अगस्त को अजाद हुआ था? 

>  अनिल गुप्ता 



> 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं, बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ 
> पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | 
> Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का 
> हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते 
> होंगे क़ि, एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की 
> सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो 
> शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से 
> बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता 
> है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के 
> बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना 
> प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात 
> को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, 
> और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? 
> अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब 
> क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने 
> अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब 
> जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation 
> (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी कि हमने स्वराज्य 
> ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और 
> पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ 
> हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और
> भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है 
> “One of the self-governing nations in the British Commonwealth” और दूसरा 
> “Dominance or power through legal authority “| Dominion State और Independent 
> Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और 
> पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस 
> समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे
> होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | 
> और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और 
> इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | 
> और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और 
> इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये 
> थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए 
> गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते 
> थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था 
> कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी 
> जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही 
> वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये 
> सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये 
> मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर 
> लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की 
> रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का
> सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 
> अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि 
> गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये 
> सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी 
> नहीं आई …. ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और 
> अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो 
> संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम
> भारतीय जानता है और उनसे परिचित है . 
> इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक 
> शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में 
> Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी 
> हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? 
> ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत
> की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की 
> महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के 
> लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश 
> में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने 
> के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका 
> निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत 
> आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की 
> जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की 
> बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है 
> वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस 
> देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी 
> जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको 
> भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की 
> महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर 
> जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम 
> था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक 
> गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप 
> सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के 
> यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण 
> भी देखिये ……. हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग 
> होते हैं – (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स 
> चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब 
> तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है | 
> भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया 
> जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया 
> जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | 
> संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है “India that is Bharat ” जब क़ि होना 
> ये चाहिए था “Bharat that was India ” लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत 
> के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के 
> लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख 
> पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि 
> इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ 
> जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी 
> सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे 
> आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है 
> | भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 
> तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब 
> जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 
> वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और 
> वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के 
> दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो 
> मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स 
> को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें 
> भगवान से भी बढ़कर | 
> इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों 
> के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता 
> रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें 
> फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में 
> रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए 
> बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों 
> को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और 
> उसी समय दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन 
> और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज 
> ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और 
> इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय 
> विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश 
> की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो 
> अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र 
> बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस 
> के दुश्मन थे | 
> इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद 
> विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत 
> दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को 
> आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में 
> एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट 
> पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) | आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक 
> किताब की दुकान देखते होंगे “व्हीलर बुक स्टोर” वो इसी संधि की शर्तों के 
> अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस 
> देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर 
> सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर 
> में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से
> मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | 
> इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी 
> | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते 
> | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है | 
> इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में 
> कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस 
> देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | 
> Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil 
> Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और 
> Ireland में जहाँ “I” का मतलब Irish है वही भारत के IPC में “I” का मतलब Indian 
> है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) 
> Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land 
> Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income 
> Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के 
> सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए |इस संधि के 
> अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, 
> सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, 
> हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें 
> मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा 
> नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, 
> बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब 
> के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई 
> भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर 
> में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने 
> व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में 
> उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक 
> सूरत शहर में खड़ा है | 
> हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और 
> मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने 
> यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का 
> महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार 
> करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर 
> नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा 
> बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई 
> डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल 
> पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र 
> को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | 
> ये जो 33 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, 
> मतलब ये है क़ि आप भले ही 67 नंबर में फेल है लेकिन 33 नंबर लाये है तो पास
> हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते 
> थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है 
> Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि 
> मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में 
> शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविध्यालयो में 
> पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है | 
> इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया 
> जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की 
> गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर 
> नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार 
> हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि 
> आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ -जोर्ज वाशिंगटन जो 
> क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति था वो दिसम्बर 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका 
> बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा 
> हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि 
> नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | 
> ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक 
> सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान 
> कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को 
> आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है।| 
> इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं 
> दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये 
> गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही 
> तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 
> फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था “I have traveled across 
> the length and breadth of India and have not seen one person who is a 
> beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high 
> moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever 
> conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, 
> which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that 
> we replace her old and ancient education system, her culture, for if the 
> Indians think that all that is foreign and English is good and greater than 
> their own, they will lose their self esteem, their native culture and they 
> will become what we want them, a truly dominated nation” | गुरुकुल का मतलब 
> हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की 
> भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute 
> हुआ करते थे | 
> इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत 
> के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश 
> में या उसके फैसले को लेकर सविंधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि 
> में लिखा गया है क़ि ,वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के 
> आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा 
> | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना 
> होगा | भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और 
> संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी 
> लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन 
> बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण 
> देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब 
> हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और 
> लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है |अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने
> के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि 
> का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, 
> कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 
> 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि 
> उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि, उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के 
> जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं | 
> आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक 
> संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? 
> क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 
> बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके 
> | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है | 1939 में 
> दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू 
> किया क्योंकि दूसरा  विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये 
> अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड 
> क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में 
> है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया 
> गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का 
> आखिरकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में 
> | 
> अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | 
> मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया 
> जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का 
> कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस 
> देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये 
> गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | 
> ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए 
> थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो 
> जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है | हमारे देश में 
> जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये 
> अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न 
> ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में 
> कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या 
> कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) | 
> ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही 
> है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ 
> नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो 
> अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतरनाक संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना 
> राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी 
> फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि 
> आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने 
> जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है 
> इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप 
> पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही 
> थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है 
> तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा 
> व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श 
> न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | 
> हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और 
> वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज 
> हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी 
> मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे | अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो 
> ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के 
> नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं | आप किसी 
> को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे 
> वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 
> राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है | भारत क़ि गुलामी जो 
> अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस 
> क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल 
> में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं 
> ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप 
> लोगों से शेयर करता हूँ |ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था 
> बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप 
> ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृष्ण जी नहीं आने 
> वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार में आना होगा, हमें ही सड़कों पर उतरना 
> होगा और और इस व्यवस्था को जड मूल से समाप्त करना होगा | भगवान भी उसी की मदद 
> करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है | 

-- 
Jai Sri KrishNa! 
Suresh Vyas 

13-5-17

msb931

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1-6-17

Shirish Dave

यह एक बडा ईस्यु है कि हम सचमुच आज़ाद हुए है या नहीं. सभी विद्वानोंको, राजकीय नेताओंको और वैज्ञानिकोंको सर्व प्रथम इस ईस्युका समाधान कर देना च

2-6-17

skanda987

If the UK does nto exercise any direct control over India, and not collecting taxes from India, then in practice India is free. Will UK ever

2-6-17

vasant sardesai

All such issues are past time for those who have got nothing else to do and discuss. An useless and fruitless discussion. V. S. Sardesai ---

2-6-17

Shirish Dave

God knows why this no issue is being floated like an issue. I have made fun of it, but some people do not understand the fun. --------------

2-6-17

Shirish Dave

Dear Sureshbhai, This is a subject like few deaf men talking with few normal men, where deaf men would go on talking without hearing. Better

3-6-17

vasant sardesai

But why? Are we short of issues? V. S. Sardesai ------------------------------ From: Pramod Agrawal <pka...@yahoo.com> To: shirish dave <smd

3-6-17

vasant sardesai

Pervert thinking V. S. Sardesai

3-6-17

vasant sardesai

I don't understand why ,after adopting the Constitution of India in1950. what is the necessity to go back to othet acts passed earlier? This

3-6-17

skanda987

On paper, yes, India is a colony of UK (I have seen a photo copy of the power transfer document.) So, yes, that issue needs a fix, which cou

3-6-17

vasant sardesai

Does it say that India is till a dominion of Britain? And what further thin do you require when our Constitution itself declare India to be

3-6-17

Shirish Dave

The text indicating that India is still under the soverignty of UK and also a provision in the Indian constitution which refers and link the

3-6-17

Shirish Dave

Mr. Pramodji, What you quoted "भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ ( Indian Independence Act 1947) युनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट

4-6-17

vasant sardesai

Otherwise also such a discussion is useless. If you want to get satisfied about the independence of India read the Constitution of India. if

4-6-17

vasant sardesai

Which text? V. S. Sardesai ------------------------------ From: 'shirish dave' via Patriots Forum <patrio...@googlegroups.com> To: vasant sa

4-6-17

VINAY KAPOOR

I am confident that I have not wast d your time on unpatriotic topics *किसी ने पूछा :अगर पकिस्तान नही होता तो क्या हम देशभक्त होते ?* *मासूम

4-6-17

VINAY KAPOOR

4-6-17

VINAY KAPOOR

[image: noname (1)]

4-6-17

Shirish Dave

The text indicating that India is still under the soverignty of UK. This provision must be shown in Indian Constitution.

4-6-17

Shirish Dave

प्रमाण है भारतीय संविधान. भारतीय संविधानमें कहीं भी लिखा नहीं है कि भारतको, संविधानमें कोई भी संशोधनके लिये युके की एप्रुवल लेनी पडेगी. ----

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

९३ हजार पाकिस्तानी युद्ध बंदियों को इंदिरा गांधी को छोड़ देना पड़ा. सभी कानून ब्रिटिश हैं, उपनिवेश विरोध पर फांसी है. http://www.aryavrt.com/b

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

मौत उपनिवेश वासियों के सर पर मंडरा रही है. अनुच्छेद २९ किसी को जीने का अधिकार नहीं देता. अनुच्छेद ३९(ग) सम्पत्ति और उत्पादन के साधन रखने का

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

किसी ने स्वतंत्र उपनिवेश का मतलब स्वतंत्र कैसे हुआ, नहीं बताया. अब आइये संविधान पर चर्चा करें. http://www.aryavrt.com/ghatak-bhartiya-smvidh

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

कहाँ लिखा है कि इंडिया को उपनिवेश से मुक्ति मिली? http://www.aryavrt.com/ghatak-bhartiya-smvidhan

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

सहमति के लिये धन्यवाद भवदीय:- अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सूचना सचिव) आर्यावर्त सरकार, ७७ खेड़ा खुर्द, दिल्लीः ११० ०८२. चल दूरभाष: (+९१) ९८६८३२४

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

शिरीश जी! http://www.aryavrt.com/ghatak-bhartiya-smvidhan को ध्यान पूर्वक पढ़िए. न समझ आये तो मुझे बताइए,

4-6-17

Ayodhya Prasad Tripathi

मात्र देश को COMMON WEALTH से मुक्त करा दीजिए.

4-6-17

Shirish Dave

भारतके लिये कोमन्वेल्थ का सदस्य होना अनिवार्य नही है, ये बात सबको ज्ञात होना आवश्यक है. भारतीय संविधानमें ऐसा कोई भी प्रावधान नही है कि कोमन

4-6-17

Shirish Dave

युद्धकेदीयोंको छोडनेके बारेमें युके का या तथा कथित उपनिवेशका कोई संबंध नहीं. पाकिस्तानने तो ४०० भारतीय युद्धकेदीयोंको छोडा नहीं था. ९३००० पा

4-6-17

vasant sardesai

What or which text indicates that India is still under the A sovereignty of UK? And what do you mean by A sovereignty? As regards the Common

4-6-17

vasant sardesai

Why? V. S. Sardesai ------------------------------

4-6-17

vasant sardesai

Our constitution itself makes it clear. V. S. Sardesai

4-6-17

vasant sardesai

Read the Constitution of India.If by calling India a dominion state of Britain you feel happy and secured, be happy by calling it a dominion

4-6-17

vasant sardesai

Under what law or provision? V. S. Sardesai

4-6-17

vasant sardesai

But a slavish mentality does not permit it. V. S. Sardesai ------------------------------ From: bhagwat goel <bhagwat...@yahoo.co.in> To: sh

4-6-17

Bhal Patankar

[image: Image may contain: 1 person, standing] ------------------------------

4-6-17

VINAY KAPOOR

These type of TIME WASTING TOPICS other than of NATIONAL INTEREST may kindly be treated as TOPICS SPONSORED BY FOREIGN GOVERNMENTS and shoul

4-6-17

kumar2786

Shri Chander Kohili ji, Please translate following into clear cur devnagri scripts: "bhainsh ke aage veen bajaye aur bhainsh khadi pagurai"

4-6-17

Rudranarasimham Rebbapragada

[image: Shivaji maharaj rAJYABHISHEK.jpg] India needs National Holiday to celebrate our National Heroes. Rudranarasimham Rebbapragada Ann Ar

5-6-17

vasant sardesai

I think we have discussed this matter long enough. We also know how to interpret the acts and laws. For us The Constitution of India is quit

5-6-17

vasant sardesai

Thank you for giving the exact reference to the articles of the Constitution of India to clear my doubts. Now I will deal with the articles

5-6-17

Shirish Dave

After two three years this point would be floated again in social media. Once again some wrong belief on independence would be given. Once a

29-7-17

dr.shaileshg

The issue is serious and valid and not some fun as a few here are propagating. The issue was disclosed by Rajiv dixit some years back. But,

30-7-17

Shirish Dave

1950 when constitution came into force. ------------------------------

8-8-17

dr.shaileshg

Has this issue been taken up with RTI afresh? As previously it was taken up by many activists-some of whom have dies while some have gone to

8-8-17

Shirish Dave

Rajiv Dixit was not the authority to approve the the truth. Once Rajiv Dixit has told that Indira Gandhi was defeated by an unknown candidat

8-8-17

dr.shaileshg

And it's also very well known that this facts is deliberately hidden by some people in this country only for their vested interests. We need

8-8-17

Shirish Dave

We Indian people have a liberty to make changes in constitution, which clauses we do not like. But first of all we must point out the clause

8-8-17

vasant sardesai

It appears that the votaries for change of the present Constitution of India have neither read our present constitution nor are they clear a

15-8-17delhi.tusharkumar

https://www.youtube.com/watch?v=dAjyy4BJKKc

What do a terrorist thinks ? What kind of a mindset they have?
Why they do this ? And Who Produces them ? and How they do that?
All these Questions are Answered in this *SHORT FILM* = OFF RECORD

A clash between the two mindsets ,One of a Saviour and the other , of a Fanatic.

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happy independence day


From: 'vasant sardesai' via Patriots Forum <patrio...@googlegroups. com>

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Sent: Saturday, 3 June 2017 6:52 PM

Subject: Re: प्रमाण दें कि इंडिया कब आजाद हुआ था?

I don't understand why ,after adopting the Constitution of India in1950. what is the necessity to go back to othet acts passed earlier? This only prove that these gentlemen feel mentally secured to call themselves dominions of some Western states rather than independent state, a slavish mentality.

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