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Tuesday, 20 August 2019

वामन मेश्राम साहब का कार्यकर्ताओं को संदेश

*बामसेफ,भारत मुक्ति मोर्चा क राष्ट्रिय अध्यक्ष मा वामन मेश्राम साहब का कार्यकर्ताओं को संदेश*

👉"हमारे जो लोग हैँ, वो कुछ भी बोलते रहते हैँ । उनमेँ अनुशासन नहीँ है । उनको चाहिए की वो हर विषय पर बोलना सीखेँ ।
किसी व्यक्ति को या कार्यकर्ताओँ को विषय दिया जाए और जब वो विषय पर बोलने लगे तो माना जाना चाहिए कि उनकी कई चीजोँ पर पकड है । आपकी किन-किन चीजोँ पर कितनी पकड है यह जानने और समझने के लिए आपको विषय पर बोलने आना चाहिए । विषय पर बोलने का अनुशासन बोलने वालेके अंदर पैदा किया जाना चाहिए,
👉जो हमारे लोग हैँ उनको प्रतिनिधित्व करना है और प्रतिनिधित्व बोलकर ही किया जा सकता है । क्योँकि बोलने से पता चलेगा कि आप किसके प्रतिनिधी हो । अगर आप एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी.,माइनॉरिटी के प्रतिनिधी हैँ तो यह आपकी बातोँ से लगना चाहिए कि आप एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी.,माइनॉरिटी के प्रतिनिधी हो

👉आपको आपका प्रतिनिधित्व करते आना चाहिए । यह बहुत ही मूलभूत बातेँ हैँ । हमारे हर कार्यकर्ता ओँ को बोलने का प्रशिक्षण देना चाहिए,
क्योँकी आप लोगोँ के सामने जिस तरह से बोलते है,
लोगोँ के साथ जिस तरह से व्यवहार करते है ,
उससे ही आपके मुलत स्वभाव का लोगोँ को अंदाजा आता है,

👉हरेक एक व्यक्ती को कंठ होता हैँ, इसलिए बोलना तो हर एक व्यक्ती को आएगा ।
मगर क्या बोलना चाहिए?
क्योँ बोलना चाहिए?
कैसे बोलना चाहिए?
किस लिए बोलना चाहिए?
कौनसे समय पर बोलना चाहिए?
यह आसान मामला नही है ।
यह सारी बातेँ बोलने वाले लोगोँ को सीखनी पडती है ।

👉बोलने का मतलब यह नही है कि जुबाँ पर सिर्फ गालियाँ बके, गंधे शब्दोँ का इस्तेमाल करे, बोलने के लिए व्यक्ती को मुल विषय जानना पडता है. उस पर विचार विमर्श करना पडता है. नही तो मराठी मे एक कहावत है कि, "ऊचलली जीभ लावल्या टाळ्याला, वासरात लंगडी गाय शहाणी" ऐसी बोलने वालोँ की हालत होगी.. अगर बोलने वाला अथवा लिखने वाला व्यक्ती किसी संगटन से जुडा है तो उसे कैसे बोलना चाहिए ईसकी अक्ल होना बहुत जरुरी है । क्योँकी उसके बोलने पर ही उसका चरित्र, उसका स्वभाव और उसके संगटन की असली पहचान लोगोँ को होती रहती है ।

👉और एक खास बात हमेशा याद रखे कि, लडाई सिर्फ जिँदा लोगोँ के माध्यम से ही लडी जाती है । और जिँदा लोँगो को आपके संगटन से जोडने के लिए हमे अपनी भाषा का सही इस्तेमाल करणा चाहिए, इसलिए हरेक कार्यकर्ता सुंदरता से बोलना सिखे,

👉कार्यकर्ताओँ को सच्चे और झुठे इतिहास कि परख होनी जरुरी है, कार्यकर्ताओँ को अपना असली शत्रु और मित्र की पहचान होणी जरुरी है, कार्यकर्ता ओँ को समस्या का असली जन्मदाता कौन है यह मालूम होना चाहिए,

👉आप जिस संगटन मे कार्य करते हो आपके बोलने की वजह से लोगोँ मे संगटन का गलत मैसेज ना जाये यह ध्यान मे रखते हुए ही हमे कैसे बोलना चाहिए यह सिखना चाहिए ।

*दिखने मेँ यह बात साधारण लग सकती है । मगर प्रतिनिधित्व करना बहुत मुश्किल काम है ।अनुशासन मेँ बोलना ज्यादा मुश्किल काम है इसलिए हमारे समाज मेँ बोलने का हुनर पैदा करना जरुरी हैँ*

-मा. वामन मेश्राम साहब
राष्ट्रिय अध्यक्ष
बामसेफ
भारत मुक्ति मोर्चा

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