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Wednesday, 15 August 2018

भारतकी आजादी ओर इंग्लैण्ड की हकीकत

#Happy_Independence_Day
2nd World War के बाद अँग्रेज़ों के लिये इंग्लैण्ड को संभालना ही मुश्किल हो रहा था, 1947 आते आते वोह भारत समेत जितने भी मुल्कों पर उन्होंने क़ब्ज़ा जमाया था वोह उन्हें धीरे धीरे आज़ाद करते चले गये.
वैसे तो प्लासी की 1757 की लड़ाई और मैसूर की 1799 की लड़ाई के बाद ही अँग्रेज़ों को समझ में आगया था की अगर भारत में शासन करना है तो हिन्दू-मुस्लिम को लड़ाना पड़ेगा, इस काम के लिये अँग्रेज़ों ने अपने सबसे क़ाबिल लेकिन निर्दयी गवर्नर जनरल लार्ड डलहौज़ी को आगे किया, उसने फूट डालो और राज करो की जो नीति अपनाई उसका ख़ामियाज़ा देश आजतक भुगत रहा है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की बुनियाद डलहौज़ी की पोलिसिज़ के नतीजे में ही डाली गई थी, 1855 में बनाया गया बाबरी मस्जिद - राम मंदिर का चबूतरे वाला प्लान डलहौज़ी के दिमाग़ की ही उपज थी. डलहौज़ी के बाद विस्कॉउन्ट केन्निंग ने उसी की पॉलिसियों को आगे बढ़ाया.
इंग्लैण्ड की कमर पहले विश्वयुद्ध के बाद ही टूट चुकी थी लेकिन तब उनके पास भारत जैसी सोने की चिड़िया थी, इसिलिये1918 के बाद से ही उन्होंने भारत छोड़ने का मन बना लिया था, उन्होंने इस दुधारू गाय का जी भर के  दोहन किया, वोह यहां से सोना, चांदी, हीरे जवाहरात तो ले ही गये साथ ही मैगनीज़, अभ्र्क, तांबा, कोयला सब खोदकर ले गये, पहले और दूसरे विश्व युद्ध में लड़े तो अंग्रेज़ थे लेकिन फ़ौजी ज़्यादातर भारतीय ही थे और वोहि सबसे ज़्यादा मरे. अँग्रेज़ों ने अपनी सब लड़ाईयां भारतीय सैनिकों को आगे करके ही लड़ीं, यहां तक की जब पहली और दूसरी Anglo Sikh war हुई तो अंग्रेज़ों ने गुरखों को आधुनिक हथियारों से सिखों से लड़ा दिया.
अँग्रेज़ों ने हम पर ज़ुल्म ढाए, हमें ग़ुलाम बनाया, हमारे देश का पैसा, सोना, संसाधन लूट कर ले गये और जाते जाते चार टुकड़ों, पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश और काश्मीर में बांट गये, फिर भी हमारे दिलों में उनके लिये बहोत प्यार है, वोह #सायरिल_रेडक्लिफ़ को इंग्लैण्ड से बुलाकर भारत के टुकड़े कर गये (अगर किसी को शक है कि अंग्रेज़ कमज़ोर और डरपोक थे और  जिन्नाह की ज़िद के आगे उन्होंने भारत का विभाजन किया था तो वोह अपने दिमाग़ का इलाज कराले).
अँग्रेज़ो ने भारत के इस तरह टुकड़े किये के यह लोग तरक़्क़ी करने के बदले लड़ते रहें  और यूरोपीय देशों से हथियारों को ख़रीदने में अपनी सारी एनर्जी, ताक़त और पैसा झोंकते रहें.
अँग्रेज़ों ने हमारा टैलेंट खींच लिया, IIT इंजीनियर तैयार करता है लेकिन वोह नोकरियाँ विदिशों में करते हैं, एक तरफ हम चंद्रयान, मंगलयान की बातें करते हैं जबकि ज़मीनी हक़ीक़त यह है के हमारे यहां शर्ट के बटन हॉन्गकॉन्ग से, नेल कटर ताइवान से, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कारें, रेलवे इंजन और मेट्रो जर्मनी कोरिया और जापान से, कंप्यूटर अमेरिका, जापान और  मोबाइल चाईना से बनकर आ रहे हैं या वहां की कंपनियां भारत में बना रही हैं.
अँग्रेज़ों ने हमें आज़ाद तो कर दिया लेकिन हम आज भी अँग्रेज़ों के आर्थिक और मान्सिक ग़ुलाम हैं, वोह तो चले गये लेकिन अपनी औलादें छोड़ गये, यह मॉडर्न काले अँग्रेज़(नेता) आज भी हमको अपना ग़ुलाम् बनाये हुवे हैं, डेमोक्रेसी के नाम पर जो राज किया जा रहा है उसकी हालत ऐसी है की उम्मीदवार को पार्टी चुनकर हमारे ऊपर थोपती है, हम सिर्फ़ पार्टी के निशान पर वोट देकर आजाते हैं, आपने अपना उम्मीदवार तो चुना ही नहीं वोह तो पार्टी ने चुना था!!!

बहरहाल आज़ादी तो आज़ादी ही है फिर चाहे दिल को दिलासा देने वाली झूठी ही सही, सबको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.

#Jai_Hind

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