*#बरबादी_के_चिराग_समाजमे_तब_जलने_लगते_हे,*
*#जब_समाजके_रोशनी_देने_वाले_दिय_अंधेरे_मे_छुप_जाते_हे,*
इस शायरी के विषय पर मेरे दोस्तो के लिये लिखना चाहता हु
जरुर मुलाहिजा फरमाएगा
समाजमे बुरे काम करने वाले लोग बेबाकी ओर बे खोफ होकर ईस लिये काम करने लगते हे,
कुएं के समाजके समजदार ओर फिकरमंद लोग अपनी इल्मी ओर दुनियवी तालिम से समाजको बचाने के लिये खुद आगे नही आते हे,
एसे मे समाजके अंदर हर तरहा की बिमारी फेलाने वाले लोग अपनी हवस ओर लालच के साथ खावहिसात पर जुल्म ओर जहालत समाजमे फेलाने लगते हे,एसे कामोसे समाज मे गंदकी ओर गुमराही फेलने लगती हे ,
ओर इस तरहा का समाज हर किसी के लिये खतरा होता हे, ओर खासकर उनकी नशलो के लीये ओर ज्यादा खतरा होता हे
समाजके जो लोग अपने आपको समाजदार केहते हे समाजके फिरकमंद केहते हे लेकीन जब उनके कार्यो को हम अंदर से रिसर्च करते हे अभ्यास करते हे तो सिवाय बुजदिली के कुच नजर नही आता हे,.
*सबर ओर दुवा के सहारे हमने समाजको बुजदिल बना दिया नजाने हम कोनसे इमानकी बात करते हे*❓
*#हमने_इमानको_नमाज_ओर_रोजेके_अलावा__आगे_सोचनेका_बंध_कर_दिया,*
इस पर तो बहोत लंबा लेख हो सकात हे
सुकरिया साथियों ये लेख आपकी लिये एक तोहफा हे इसमेसे आप बहोत कुच निकाल सकते हे ,
✍ हुजैफा पटेल
SAF Team gujarat
joint Mo.9898335767