*हाँ❗हमने ही किया❗*
*हमने ही बांग्लादेश को बनाया*
*१९४८ में अपना आधा कश्मीर गँवाने का बदला लिया किसने❓हमने*
*अंदमान से लेकर कोलकता, रामेश्वरम तक पूरे हिंद महासागर पर निरंकुश वर्चस्व साबित किया किसने❓हमने*
*समुद्री क्षेत्र पर एकाधिकार से आर्थिक, सामरिक, नौदल कि मजबूती हासिल हुई किसको❓हमको*
*बाबासाहेब आम्बेडकर को संविधान समिति में चुननेवाले बंगाल के जिलों को पूर्व पाकिस्तान में शामिल किया किसने❓हमने*
*बांग्लादेशीयों को धोबी का कुत्ता न घर का ना घाट का बनाया किसने❓हमने*
*पूर्व और पश्चिमी दिशा से घेराबंदी से भयमुक्त हुआ कौन❓हम*
सबसे पहले बता दें कि 1962 में चीन से युद्ध में भारत को 1383 जवानों के साथ-साथ अपनी 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन भी खोनी पड़ी थी। राजनीतिक कमजोरी के चलते सेना को हार का सामना करना पड़ा था। तब IPS ऑफिसर रामनाथ काओ उस समय लिए गए कई गलत फैसलों की समीक्षा करते हुए इस नतीजे पर पहुंचे कि देश को अब ऐसे संगठन की जरूरत है जो देश के सामरिक हितों का ध्यान रखे।
फिर उसके बाद 1965 में पाकिस्तान ने भारत को ऑपरेशन जिब्राल्टर के जरिए वॉर के लिए मजबूर कर दिया था।
तीन साल पहले ही भारत चीन से युद्ध हारने के बाद अब इस हालत में नहीं था कि फिर से एक युद्ध झेल सके। इसी का फायदा पाकिस्तान ने उठाया। और उसमें काफी हद तक सफल भी हो गया। खुफिया तौर पर पूरी तरह फेल होने के चलते 62 और 65 में लगातार दो बड़े युद्ध झेलने के बाद रॉ यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की स्थापना की गई। इस खुफिया विंग की कमान रामनाथ काओ को सौंपी गई।
ये काओ ही थे जिनकी अगुवाई में भारत ने बांग्लादेश के फ्रीडम फाइटर्स मुक्ति वाहिनी की पकिस्तान से लड़ने में सहायता की। फिर 1971 के युद्ध में भारत की रणनीति में रॉ ने बड़ी भूमिका अदा की। 71 में पाकिस्तान की हार के बाद काओ का कद दिल्ली में और बढ़ गया। काओ की दूरदर्शिता का ही नतीजा था कि 62 में हार के बाद भी चीन को सिक्किम हड़पने से बचा लिया और पाकिस्तान का आधा हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर बांग्लादेश का निर्माण कर दिया। जितना इलाका पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा किया है उससे ज्यादा इलाका यानी पूर्व पाकिस्तान को आजाद करवाकर बदला ले लिया। समुद्री मार्ग, समुद्री क्षेत्र पर एकाधिकार प्रस्तापित किया। समुद्र में स्थित खनिज , क्रूड ऑयल, नैचरल गैस , थोरियम,..... वगैरह पर हक स्थापित हुआ।
अपने बंगाली भाषा बोलनेवाले ब्राह्मणों द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान सरकार के बारे में नफरत फैलाई। पूर्व पाकिस्तान के नागरिकों को सशस्त्र मुहिम के लिए उगसाया। रॉ एजेंटों ने उन्हें हथियार मुहैया कराए। भारत में लाखों मुक्तिसेना के सैनिकों को प्रशिक्षण दिया गया। यह बात गौर करने वाली है: जब कोई भी मुसलमान अपना राजनीतिक दल, पार्टी, एनजीओ, आंदोलन शुरू किया है तब उनके नाम उर्दू, अरेबिक रहे है। मुक्ति सेना के प्रमुख शेख मुजीब उर रहमान का *मुक्ति बाहिनी* यह नाम चुनना ही साबित करता है कि यह आंदोलन भारतीय सेना का कठपुतली था।
(पूर्व पाकिस्तानीयों) बांग्लादेशीयों को हमने बुलाया, उन्हें मिलिटरी ट्रेनिंग दी, उन्हें हथियार दिए, भारतीय सेना ने युद्ध करके उन्हें नया कठपुतली देश बनाकर दिया। हमारे खुफिया एजेंसियों के लाखों एजेंट वहाँ निवासी बन गए। उनका नेटवर्क बर्मा में भी फैला हुआ है।
हमने तिब्बतीयों को बुलाया , उन्हें शरण दी । ताकि भविष्य में चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दावपेच खेल सक और तिब्बत पर भारत कब्जा कर सकेंं। २००० साल पहले बौद्धधर्मियों का नरसंहार करके दोबारा भारत को मनुवादी देश बनाने वाले लोग बौद्ध लामा और लाखों तिब्बती को मेहमान क्यों बनाए हुए है? एक दिन आएगा जब दलाई लामा इस हुकूम के इक्के से अमेरिका कि लड़ाई चीन के साथ हम लडेंगे।
हमने हमारी लड़ाई के लिए बांग्लादेशीयों का इस्तेमाल किया, जबरन उन पर युद्ध थोपा, उन्हें आजादी के नाम पर कठपुतली बनाया, जो हालात अपनेे स्वार्थ के लिए हमने पैदा किए उसके पीड़ितों का उत्तरदायित्व हमारी जिम्मेदारी नहीं है❓
बचपन में मैंने स्कूल के किताबों में एक कहानी पढ़ी थीं। जिसमें एक व्यक्ति लकड़ी को आसानी से तोड़ देता है। लेकिन कई लकड़ीयों को इकट्ठा बांधने पर नहीं तोड पाता।
*बांग्लादेशीयों ने क्या पाया और क्या खोया? जरूर आज वो बांग्लादेश बनाकर पछता रहे होंगे, सोच रहे होंगे कि हम पूर्व पाकिस्तान में ही शामिल रहते तो ठीक होता ,आज हमारी नस्ल हमें नही कोसती* भारत में इस्लामोफोबिया फैलाने में रोडा बननेनाले डॉक्टर जाकिर नाईक को फसाने के लिए बांग्लादेश में विस्फोट कराया जाता है; इससे हम रॉ एजेंटों कि बांग्लादेश में ताकत,सक्रियता का महज अंदाजा ही लगा सकते है।
*बांग्लादेशीयों कि ५ प्रतिशत जनता अपना घरभार छोड़कर भारत आने के लिए मजबूर करने के लिए कारणीभूत हमारा थोपा हुआ गृहयुद्ध जिम्मेदार नहीं है क्या*?