जानकार बताते हैं कि कैसे 1984 से 1990 के बीच बीजेपी ने कांग्रेस से मंदिर और हिंदुत्व का मसला हाइजैक किया और इसे राजनीतिक रूप दे दिया.
विवादित स्थल में 23 दिसंबर 1949 को जब रामलला की मूर्तियां रखी गईं उस वक्त कांग्रेस सरकार थी.
एक फरवरी 1986 को एक अहम फैसले के तहत स्थानीय कोर्ट ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दे दी और ताले दोबारा खोले गए तब कांग्रेस सत्ता में थी.
जब 9 नवंबर 1989 को विवादित स्थल के पास ही राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास हुआ तब राजीव गांधी की सरकार थी.
राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद राजीव गांधी ने अयोध्या से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की और देश में ‘रामराज्य’ लाने का वादा किया.
इसके बावजूद हिंदुत्व और राम मंदिर का मुद्दा कांग्रेस के हाथ से बीजेपी ने कैसे छीन लिया? यह एक दिलचस्प सवाल है जिसका जवाब भी उतना दिलचस्प है.
पीछे मुड़कर देखें तो बीजेपी से पहले कांग्रेस का ही एक धड़ा हिंदुत्व का बड़ा समर्थक था. अयोध्या में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह के मुताबिक 1984 के आसपास राम मंदिर के साथ हिंदुत्व का मुद्दा कांग्रेस से बीजेपी ने छीनना शुरू किया.
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