फिरको में और मसलको मे बटे मुसलमान ज़रूर पढ़े और सोचे
पढ़िए अल्लाह और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमसे आपस में किस तरह से रहने को कहा है
"सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से थाम लो और फिर्क़ों में मत बटो"|
(सुर: आले इमरान-103)
"तुम उन लोगो की तरह न हो जाना जो फिरकों में बंट गए और खुली -खुली वाज़ेह हिदायात पाने के बाद इख़्तेलाफ में पड़ गए, इन्ही लोगों के लिए बड़ा अज़ाब हे"।
(सुर:आले इमरान -105)
"जिन लोगो ने अपने दीन को टुकड़े टुकड़े कर लिया और गिरोह-गिरोह बन गए,
आपका(यानि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का)
इनसे कोई ताल्लुक नहीं। इनका मामला अल्लाह के हवाले हे, वही इन्हें बताएगा की इन्होंने क्या कुछ किया हे"।
(सुर: अनआम-159)
"फिर इन्होंने खुद ही अपने दीन के टुकड़े-टुकड़े कर लिए, हर गिरोह जो कुछ इसके पास हे इसी में मगन हे"।
(सुर: मोमिनून -53)
""तुम्हारे दरमियान जिस मामले में भी इख़्तेलाफ हो उसका फैसला करना अल्लाह का काम हे"।
(सुर: शूरा -10)
"और जब कोई एहतराम के साथ तुम्हे सलाम करे तो उसे बेहतर तरीके के साथ जवाब दो
या कम अज़ कम उसी तरह (जितना उसने तुम्हे सलाम किया) अल्लाह हर चीज़ का हिसाब लेने वाला हे।
(सुर: निसा -86)
"अल्लाह ने पहले भी तुम्हारा नाम मुस्लिम रखा था और इस (क़ुरआन) में भी (तुम्हारा यही नाम हे ) ताकि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) तुम पर गवाह हो"।
(सुर: हज -78)
"बेशक सारे मुसलमान भाई भाई हैं, अपने भाइयो में सुलह व मिलाप करा दिया करो और अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम पर रहेम किया जाये"।
(सुर: हुजरात -10)
सहीह अहादीस में आया है 📗
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि) से रिवायत हे की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया- "क़सम हे उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान हे
तुम जन्नत में तब तक दाखिल नहीं हो सकते जब तक की ईमान वाले न हो जाओ और
"तुम तब तक ईमान वाले नहीं हो सकते जब तक की"
"आपस में मुहब्बत न करने लग जाओ"
तो क्या में तुम्हे ऐसी चीज़ न बता दू की जब तुम इसको करोगे तो आपस में मेहबूब हो जाओगे??
फ़रमाया-अपने दरमियान सलाम को फैलाओ"।(यानी खूब सलाम किया करो)
(सहीह इब्ने माजा)
"अबू मूसा (रज़ि) से रिवायत हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-"एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान से ताल्लुक़ एक इमारत की तरह हे,
जिसका एक हिस्सा दूसरे हिस्से को मज़बूत करता हे फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक हाथ की उंगलियां दूसरे हाथ की उंगलियो में डाली (और इस अमल से यह समझाया की मुसलमानो को आपस में इस तरह जुड़े रहना चाहिए और एक दूसरे की ताक़त का ज़करिया होना चाहिए)
( सहीह बुखारी)
नौमान बिन बशीर (रज़ि) से रिवायत हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया -"तुम मोमिनो को देखोगे की वह एक दूसरे पर रहम करने में और एक दूसरे का साथ निभाने में और शफ़क़त करने में
"एक जिस्म की तरह हें"
जब जिस्म के एक हिस्से में तक़लीफ़ हो तो सारा जिस्म दर्द और बुखार से कराहता हे"।
(सहीह मुस्लिम)
नौमान (रज़ि) बयान करते हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-
"तमाम मोमिनीन एक जिस्म की तरह हे"
जब इसकी आँख में तकलीफ होगी तो सारे जिस्म में तक़लीफ़ होगी और अगर इसके सर में दर्द होगा तो सारे जिस्म में दर्द होगा (इससे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने समझाया की जिस तरह से जिस्म में कही भी तक़लीफ़ हो तो सारा जिस्म उसे महसूस करता हे इसी तरह अगर मुसलमानो पर कही भी कोई तक़लीफ़ पहुच रही हो तो हमे भी उसे महसूस करना चाहिए और उसके खिलाफ कहना चाहिए)
(सहीह मुस्लिम )
क्या आज हम उम्मत के हर फर्द को अपने जिस्म का हिस्सा समझते हें
क्या उम्मत की हर तकलीफ पर हम भी तकलीफ महसूस करते है
क्या अल्लाह और उसके रसूल से बढ़ कर हमारी बात हो गई के हम हमारे भाइयो से ही नफरत करने लगे
क्या आज हम उम्मत के हर फर्द से वही उल्फत मुहब्बत और भाईचारगी का रवैय्या रखते हैं जो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमे सिखलाया
या हम भी उन्ही फिरकापरस्त तागूती ताक़तों का शिकार हे जो उम्मत को सिर्फ तोडना चाहती हे।
और इस फिरकवारियत से बचने का सिर्फ एक वाहिद ईलाज है अल्लाह की किताब और नबी सल्ल० की सुन्नत को अपनाना और जो मामला कुरआन और सही हदीस में ना मिले उसे सहाबा के इज्मा उसके बाद उम्मत के इज्मा में तलाशना अगर उन तीनों में ना मामला मिले तो फिर उस मसले पर इस्तेहाद करना जायज है ..अब ज्यादातर मामलों में उल्टा करना ही मुस्लिम लोगो का हाल बन चूका है ...इसको समझे इसको जाने इसके बारे में इल्म हासिल करे क्योकि इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज़ है और दीन का इल्म हासिल कर हर इल्म से अफजल है बल्कि दुनिया का इल्म दुनिया में कामयाबी दिला भी सकता है और कामयाबी नहीं भी ..लेकिन दीन का इल्म दुनिया में कामयाबी दिलाएगा और आखिरत में भी कामयाबी इंशाअल्लाह ...और इल्म की रौशनी से फिरकवारियत का अँधेरा दूर होगा इल्म की रौशनी से ही जहालत का अँधेरा दूर होगा और इल्म वही जो अल्लाह और अल्लाह के नबी सल्ल० ने बताया तो भाइयो वापस आओ उसी ताकतवर इल्म की तरफ जिसके आगे हर फिरके का इल्म फीका हो जायेगा हिम्मत रखो हौसला बढाओ और दिलों दिमाग को खोल कर एक बार कुरआन और हदीस के इल्म के जखीरे को सुनो पढ़ो और आज की तारीख में इल्म को वीडयो लायेब्रेई में पेश किया है भाई मुहम्मद अली मिर्ज़ा ने उनके हर मसले पर बयान मय हवालों के जो सही हदीस की किताबो से साबित है हर मसला कुरआन हदीस इज्मा और इस्तेहाद की कसौटी पर जांचा परखा है आप भी उस इल रौशनी में आये और खुद भी परखे खुद भी पढ़े और हक़ बात को माने और फिरकवारियत की लानत से अपनी जिंदगी को पाक करे
हर मसले पर बयानों का लिंक:https://www.youtube.com/user/EngrMuhammadAliMirza
वेबसाइट :http://ahlesunnatpak.com/
जुड़ कर रहिये एक ताक़त बनिए
अल्लाह हमे हर फ़िरक़ापरस्ती से हिफाज़त फरमाये और हमारे दिलों में मुहब्बत उल्फत नरमी और भाईचारगी पैदा फरमाये.....
आमीन.