"सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी" को उनके जासूसों ने बताया कि एक आलिमे-दीन (विद्धवान) हैं जो बहूत अच्छा खिताब करते हैं , लोगो मे बहूत मखबूल (लोकप्रिय) हो गए हैं ..!!
सुल्तान ने कहा, "आगे कहो ..!!"
जासूस ने कहा, "कुछ गलत है जिसे हम महसूस कर रहे हैं लेकिन शब्दों में बयान नहीं कर सकते ..!!"
सुल्तान ने कहा, "जो भी देखा और सुना है बयान करो ..!!"
जासूस बोले कि वो कहते हैं कि , "नफ़्स का जिहाद अफ़ज़ल है , बच्चो को तालीम देना एक बेहतरीन जिहाद है , घर की जिम्मेदारियों के लिए जद्दोजहद करना भी एक जिहाद है ..!!"
सुल्तान ने कहा, "क्या इसमें कोई शक (संदेह) है ..?"
जासूस ने कहा कि, "उन्हें कोई शक नहीं लेकिन आलिम का ये भी कहना है कि" -
"जंगों से क्या मिला ..? केवल हत्या और बर्बरता और लाशें , युद्ध ने आपको या तो हत्यारा बना दिया या तो मख़्तूल (पीड़ित) ..!!"
सुल्तान बेचैन हो कर उठे , उसी समय आलिम से मिलने का फैसला किया , मुलाक़ात भेस बदल कर की और जाते ही सवाल कर दिया, " जनाब ऐसी कोई योजना बताएं जिससे कि "बैतूल मुकद्दस" (येरुशलम) भी आजाद हो जाये और मुसलमानो के खिलाफ हो रहे ज़ुल्म को भी बिना किसी युद्ध के खत्म कर दिया जाये..!!
आलिम ने कहा, "दुआ करो ..!!"
इतना सुनते ही सुल्तान का चेहरा गुस्से से लाल हो गया , वह समझ चुके थे कि ये आलिम पूरी सलीबी फौज (क्रूसेडर्स) से भी ज़्यादा खतरनाक है ..!!
सुल्तान ने पहले अपने खंजर से उस आलिम की उंगली काट दी , वह बुरी तरह से चीखने लगा , अब सुल्तान ने कहा, "सच बताते हो या गर्दन भी काट दूं ..?"
पता चला कि वो सफेद पोश आलिम एक यहूदी था ,, यहूदी अरबी अच्छी तरह जानते थे , जिसका उसने फायदा उठाया ..!!
सुल्तान ने पाया कि उसके जैसा दर्स (उपदेश) अब खुतबो में आम हो चला था , बड़ी मुश्किल से ये फ़ितना रोका जा सका ..!!
यह फ़ितना अभी भी पूरे जोर शोर पर चल रहा है ..!!
आखिर क्यों लोग इस्लाम को गलत दिशा में ले जाना चाहते हैं ..?
जबकि खुली हकीकत है कि ज़ालिम का सामना किये बगैर ज़ुल्म समाप्त हो जाये , ये मुमकिन ही नहीं ..!!
उल्मा ए सु को लेकर डा इसरार की बात सुने.