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Thursday, 14 May 2020

मोदीजी का 12 May 2020 के दीन 20 लाख करोड का पैकेज की घोषणा को लेकर विश्लेषण और बेहतरीन जानकारी .

मोदी जी के '20 लाख करोड़ के पैकेज' का खुमार आज उतरना शुरू हो गया, वित्तमंत्री से आज लोगो को वाकई बड़ी उम्मीद थी लेकिन अफसोस वही ढाक के तीन पात .........
SAFTEAM GUJ.
13 MAY 2020
अर्थशास्त्रियों टाइप की बाते नही करते सीधे आपकी हमारी बात करते है आपको आज की घोषणा में अपने लिए आम आदमी के लिए कोई सीधा बेनिफिट मिलते हुए दिखा ?.......जवाब है... बिलकुल नही दिखा !......

सरकार ने अभी तक सीधे तौर पर कितना रुपया इंडस्ट्रीज को दिया है जिससे वो आपकी तनख्वाह देने के बारे में सोच पाए?..... जवाब है .....एक रुपया भी नही दिया..

जो भी बात की है वो लोन लेने की बात है एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जाएगा ओर 31 अक्तूबर से लोन मिलेगा। आज क्या मिलेगा? बताईये?.........जो मिल रहा है उसे मैं लिखूंगा नही बेअदबी हो जाएगी

सबको पता है जब छोटा मोटा व्यापारी बैंक बिना कोलेटरल वाला लोन मांगने बैंक के पास जाएगा तो बैंक वाले उसे कैसा भगाएंगे लिखने का कोई फायदा नही है, सब व्यापारी जानता है ऐसे लोन लेने के लिए कितना पैसा खिलाना पड़ता है.......

छोटा व्यापारी ओर छोटा उद्योगपति अच्छी तरह से इन घोषणाओं का अर्थ समझता है वो जानता है कि 'न नो मन तेल होगा न राधा नाचेगी'...........

साफ और सीधी बात है कि आज सबसे ज्यादा जरूरत थी गरीब आदमी को सीधी मदद किये जाने की, .............आज जो गरीब घरों के हालात है वह भयावह हो चले है सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) का सर्वे आया है वह बता रहा है कि लॉकडाउन एक हफ्ते और आगे बढ़ा, तो भारतीय परिवारों में से एक तिहाई से अधिक के पास जीवनयापन के लिए जरूरी संसाधन खत्म हो जाएंगे।.......सीएमआईई के चीफ इकनॉमिस्ट कौशिक कृष्णन ने कहा, ‘अगर पूरे देश की बात करें तो 34 फीसदी घरों की स्थिति खराब हो चुकी है। उनके पास एक हफ्ते के लिए जीवन जीने के जरूरी संसाधन बचे हैं। एक हफ्ते के बाद उनके पास कुछ भी नहीं बचा होगा।’

शहरी इलाकों में 65 फीसदी परिवारों के पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं, जबकि ग्रामीण घरों में 54 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं

भारत के 84 फीसदी से ज्यादा घरों की मासिक आमदनी में गिरावट दर्ज की गई है। देश में कामकाजी आबादी का 25% हिस्सा इस समय बेरोजगार हो चुका है।

ऐसे लोगों को तुरंत बिना ना नुकर के मदद किए जाने की जरूरत है।ऐसे लोगों को जल्द नकदी ट्रांसफर करने की जरूरत है नही तो बहुत बुरी स्थिति आ जाएगी......

लेकिन सरकार को आज भी आंकड़ो की बाजीगरी दिखाने से फुर्सत मिले तो, तो कुछ इनके बारे में सोचे........

'आत्मनिर्भर भारत अभियान' यह कल मोदी जी के भाषण का सबसे बड़ा जुमला था क्योंकि 20 लाख करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज इसी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के लिए दिया जा रहा है, इस दौरान छोटे मोटे जुमले भी खूब उछाले गए जैसे लोकल खरीदो ओर 'लोकल के लिए वोकल' आदि आदि........

मीडिया ऐसे पेश करेगा जैसे मोदी जी ने कोई अनोखी निराली बात कह दी हो, 2019 की आखिरी 'मन की बात' में ओर बनारस में दिए गए भाषण में ये 'लोकल खरीदो' 'लोकल को प्रमोट करो' वाली बातें ये पहले भी कर चुके हैं........

20 लाख करोड़ के पैकेज में से आज वित्त मंत्री ने करीब 6 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है जिसकी डिटेल निम्न है। ..........

1. एमएसएमई और कुटीर-गृह उद्यमों को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना जमानत का लोन
2. एमएसएमई और कुटीर-गृह उद्यमों को 20,000 करोड़ रुपये का सब-आर्डिनेट डेट यानी कर्ज
3. एमएसएमई की मदद के लिए फंड्स ऑफ फंड के द्वारा 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सहयोग
4. कर्मचारियों के ईपीएफ  में 3 माह तक के योगदान के लिए 2,500 करोड़ रुपये
5. कारोबार और कर्मचारियों के ईपीएफ योगदान को कम करने पर 6,500 करोड़ का सहयोग
6. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, एमएफआई को 30,000 करोड़ की नकदी सुविधा
7. एनबीएफसी के पार्शियल गारंटी स्कीम के लिए 45,000 करोड़ रुपये
8. बिजली वितरण कंपनियों को पूंजी सहयोग के लिए 90,000 करोड़ रुपये
9. टीडीएस/टीसीएस में कटौती के लिए 50,000 करोड़ रुपये
अब बताइये किस दीवार से जाकर सिर फोड़ना है.

आत्मनिर्भर भारत अभियान' 
दरअसल 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' भी 'मेक इन इंडिया' स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया ओर स्किल डेवलपमेंट के लिए बनाए गए 'स्किल इंडिया' का ही मिला जुला रूप है जिसे ये अपने पहले कार्यकाल के पहले साल में बड़ी जोरशोर से लेकर आए थे लेकिन कालांतर में वह कहा गायब हो गए पता ही नही चला, अब मोदी जी न तो स्टैंडअप इंडिया-स्टार्टअप इंडिया, का नाम लेते हैं न, स्किल इंडिया का न मेक इन इंडिया का .......

आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कीजिए, क्योंकि आत्मनिर्भरता सब से सुखों से बढ़कर सुख है. 

भाई कुछ ठोस किया गया हो तो इनका नाम ले लेकिन कुछ किया ही नही गया तो ऐसी फुस्सी फटाका योजनाओं का क्यो नाम ले!.......
मेक इन इंडिया की घोषणा 15 अगस्त 2015 को हुई, 'मेक-इन इंडिया' को शुरू हुए 6 साल बीत चुके हैं लेकिन देशी विदेशी विनिर्माता कंपनियों ने भारत में कारखाने लगाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। चीन से पलायन कर रही कंपनियां आज भी भारत में कोई दिलचस्पी नही दिखा रही है जबकि इस दौरान अमेरिका चीन के बीच ट्रेड वार तक शुरू हो गयी है, भारत के पास सबसे बेहतरीन मौका था लेकिन हमने उसे गंवा दिया.........

मूलतः मेक इन इंडिया अभियान मैन्युफैक्चरिंग की गति को बढाने का अभियान था जिससे रोजगार जैसे लक्ष्य आसानी से प्राप्त होते मेक इन इंडिया में मूल लक्ष्य निम्न थे......

1)विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 12-14 फीसदी सालाना तक बढ़ाना....
2)2022 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण की हिस्सेदारी 16 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करना........
3)2022 तक विनिर्माण के क्षेत्र में 10 करोड़ रोजगार का सृजन करना.......

2019 की तीसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार 0.6 फीसदी तक आ गिरी, साल 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे खराब स्थिति थी, आज की तो बात ही क्या की जाए.....

और रोजगार की हालत तो आप अच्छी तरह से जानते है आँकड़े छोड़िए अपने घर के या अड़ोस पड़ोस के बेरोजगार को ही देख लीजिए............
मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी उम्मीद डिफेंस सेक्टर से ही थी.... आप जानते है वहाँ क्या हाल हुए?.......... मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन क्षेत्र में 49 प्रतिशत ओर विशेष मामलों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति के बावजूद पहले 4 सालो में मात्र 1 करोड़ 17 लाख का ही विदेशी निवेश हो पाया........पिछले छह साल में मेक इन इंडिया के तहत कोई बड़ा डिफेंस प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है। कुछ समय पहले वायुसेना प्रमुख रहते हुए  RKS भदौरिया ने स्वंय स्वीकार किया, ‘मेक इन इंडिया’ पर बातें बहुत की जाती हैं पर काम धीमा है.....

स्मार्टफोन के कारोबार पर पूरी तरह से चीनी मोबाइल कम्पनियो का कब्जा है, जो टीवी निर्माता कंपनियां आई थी वो भी पिछले दो तीन सालो में भाग खड़ी हुई है..

आप किसी भी सेक्टर को देख लीजिए मेक इन इंडिया पूरी तरह से विफल रहा है, जाने-माने अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी ने दो साल पहले बिल्कुल सही कहा था कि 'मेक इन इंडिया मोदी सरकार के बाक़ी प्रोजक्ट्स की तरह है- जिसमें सारा ध्यान बढ़ा-चढ़ा कर बोलने पर है.'.......

अभी भी ये ही हो रहा है आत्मनिर्भर भारत अभियान' ओर 'विशेष आर्थिक पैकेज' के नाम पर देश की जनता को दुबारा भरमाया जा रहा है मीडिया की सहायता से जनता को दुबारा मूर्ख बनाया जा रहा है.......जनता दुबारा मूर्ख बनेगी........ क्योंकि मीडिया पुरानी योजनाओं की तो बात करता ही नही है.....जो सवाल करता है उसे ही पहले कठघरे में खड़ा कर देता है सबको सकारात्मक रहने उर्फ़ 'सरकारात्मक' रहने के पैसे जो खिलाए जा रहे हैं.........
मोदी सरकार हवाई उड़ानों में यात्रियों के लिए मोबाइल फोन पर आरोग्य सेतु ऐप इन्स्टॉल करना अनिवार्य करने करने जा रही है अभी जो प्रस्ताव दिया गया है उसके मुताबिक 'ऐसे यात्री जिनका आरोग्य सेतु ऐप 'ग्रीन' नहीं दिखेगा उन्हें एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। .......
चीन के बाद भारत दूसरा देश होगा जो यात्रा के लिए ऐसी सर्विलांस मोबाइल ऐप को अनिवार्य बनाने जा रहा है........

चीन में हेल्थ कोड सर्विस ऐप का उपयोग लोगों के प्रभावित इलाकों में आवाजाही का प्रबंधन करने के लिए किया गया था। हुबेई प्रांत में लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकार ने लोगों को ग्रीन कोड के साथ प्रांत में आने-जाने की अनुमति दी थी।...........
सम्भव है इस बारे में कोई अध्यादेश सरकार लाए ओर इस आरोग्य सेतु एप्प को अनिवार्य बना दे.......मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर प्राइवेसी के अधिकार पर  युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते है....... हम सर्विलांस स्टेट में प्रवेश करने जा रहे है......

20 लाख करोड़ के पैकेज में दरअसल 8 लाख करोड़ की रकम वो है जो रिजर्व बैंक फरवरी-मार्च-अप्रेल के महीने में नकदी बढ़ाने के एलान के रूप में दे चुका है इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि सरकार इस साल बहुत से बहुत 4.2 लाख करोड़ की रकम दे सकती है हालांकि मुझे तो इसकी भी उम्मीद नहीं है इसमें भी वही आंकड़ों की बाजीगरी खेली जाएगी जिसके लिए यह सरकार कुख्यात है..

"आज के  लेख से जुड़ी  शायरी "
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