सलाम बाद जेसा के हम देख रहे हे, कोरोना वायरस के बाद हमारे देश मे पिछले कइ महिनों से लॉकडाउन मे देश के साथ गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक परिस्थितियां बहोत गंभीर हो चुकी हे, एसे मे हमे आने वाले समय मे अल्लाह ना करे लेकी हालात को चलते कयास किया जा रहा हे, और बुरे हालात का सामना करना पडेगा लेकीन इसमे सबसे बुरे हालात मुसलमानो के खरबा होने वाले हे, कुएं के भारत देश का 80 % मुसलमान मजदूरी और अपने छोटे मोटे कारोबार से जुडा हे.
जनाब मे एक सामाजिक कार्यों से जुडा हुवा हु और जितना हो सके समाज की परिस्थितियों को समझने मे हमेशा अपना वक्त लगाता हुं, हमारे सामाजिक कार्यों मे हमे कइ समय से हमारे समाज मे ब्याज को लेकर बहोत गंभीर समस्या देखने को मिल रही हे, जिसमें हमारे समाज के कुच गरीब और मध्यमवर्गीय लोग अपने छोटे मोटे कारोबार को लेकर और अपने परिवार की कुच जरुरत को लेकर बैंकों से ब्याज से लोन लेते हे, जिसका इल्म आपको जरुर होगा हमने इस विषय मे जितना हो सके समझने की कोशिश की हे ये समस्या समाज को बहोत गंभीर दिशा मे ले जा रही हे.
हमने देखा हे पिछले कइ महिनों से लॉकडाउन को लेकर लोगों के धंधा-रोजगार और नौकरियां बिल्कुल खतम हो गइ हे, और मजीद इसमे से निकल ने के लिये बहोत खराब हालात का सामान करना पडेगा एसे मे कई मुसलमान अपनी पेहले से ली अपनी लोन की भरपाई करने और कई नये लोग लॉकडाउन के बाद अपने छोटे मोटे धंधा-रोजगार कारोबार और अपनी जरुरत के लिये लोन लेंगे तो एसे मे मुसलमानो को और बुरे हालात का सामान करना पडेगा, हमारी चिंता ये हे के एसे हालात से बचाने के लिये हमे रास्ता निकालना जरुरी हे.
सवाल :- क्या गरीब और मध्यमवर्गीय मुसलमान को बैंक से लिये लोन जिसके ब्याज की भरपाई करने के लिये मुस्लिम समाजके बैंक के बडे खाता धारक के बैंक मे रखे पैसों का ब्याज वो किसी काम मे इस्तेमाल नही करता हे अगर वो ब्याज के पैसे गरीब और मध्यमवर्गीय मुस्लिम जिसने बैंक से लोन ली हे, उस लोन लेने वाले के ब्याज की भरपाई कर सकते हे???
बिलकुल ब्याज लेना हराम हे लेकीन कइ लोग पेहले से फसे हे और इस वक्त भारत देशका मुसलमान के पास एसी परिस्थितियोंशे निकल ने के लिये बेहतरीन निजाम नही हे.
सलाम बाद आपकी इल्म से मे मुस्लिम समाज के लिये वकत और हालात को लेकर परिस्थितियां बदलने हमे आगे एक कोशिश करना हे जिसको लेकर अापसे इस्लाम की रोशनी मे सवाल का जवाब तलब करता हु.